Agra news: Ten day festival from tomorrow: Abhijeet and auspicious time of establishment of Shri Ganesh ji, how to worship
आगरालीक्स… श्री गणेश चतुर्थी महोत्सव की तैयारियां तेज। श्री गणेश की स्थापना का शुभ समय, अभिजीत मुहूर्त के साथ कैसे करें गणेशजी की स्थापना।
स्वाति नक्षत्र वैधृति योग
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा बताते हैं कि इस बार 19 सितम्बर भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी दिन मंगलवार स्वाति नक्षत्र वैधृति योग और विष्टि कारण के शुभ संयोग में श्री गणेश जन्मोत्सव (गणेश चौथ) पत्थर चौथ, कलंक चौथ मान्य होगी।
अभिजीत मुहूर्त सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 1:45 तक
श्री गणेश जी स्थापना हेतु इस दिन अभिजीत मुहूर्त में सुबह 9:15 से लेकर दोपहर 1:45 तक अत्यंत शुभ फलदायक मुहूर्त कहे जा सकते हैं। इसमें सभी लोग नौकरीपेशा व्यापारी घरेलू लोग सभी तरह के लोग शामिल हैं।
इस दिन से शुरू होता है विद्याध्ययन
श्री गणेश चतुर्थी को कुछ स्थानों पर डंडा चौथ के नाम से भी जाना जाता है। मान्यता है कि गुरु शिष्य परंपरा के तहत इसी दिन से विद्याध्ययन का शुभारंभ होता था। इस दिन बच्चे डण्डे बजाकर खेलते भी हैं। गणेश जी को ऋद्धि-सिद्धि व बुद्धि का दाता भी माना जाता है। इसी कारण कुछ क्षेत्रों में इसे डण्डा चौथ भी कहते हैं।
🏵️पूजन मुहूर्त
गणपति स्वयं ही मुहूर्त है। सभी प्रकार के विघ्नहर्ता है इसलिए गणेशोत्सव गणपति स्थापन के दिन दिनभर कभी भी स्थापन कर सकते है। सकाम भाव से पूजा के लिए नियम की आवश्यकता पड़ती है इसमें प्रथम नियम मुहूर्त अनुसार कार्य करना है।मुहूर्त अनुसार गणेश चतुर्थी के दिन गणपति की पूजा दोपहर के समय करना अधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था।
मध्याह्न यानी दिन का दूसरा प्रहर जो कि सूर्योदय के लगभग 3 घंटे बाद शुरू होता है और लगभग दोपहर 12 से 12:30 तक रहता है। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना अत्यंतशुभ माना जाता है।
🏵️गणेश चतुर्थी पूजन
♦️मध्याह्न गणेश पूजा- दोपहर 12:15 से 01:45 तक।
♦️चतुर्थी तिथि आरंभ- (18 सितंबर 2023) दोपहर 12:39 से।
♦️चतुर्थी तिथि समाप्त- 19 सितंबर दोपहर 01:43 पर।
♦️चंद्र दर्शन से बचने का समय – 18 सितम्बर की रात्रि से 19 सितंबरकी रात्रि ।
♦️वर्जित चन्द्रदर्शन का समय -19 सितंबर की रात्रि 09:23 से 11:05 तक।
🏵️पूजा की सामग्री
गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, जनेऊ गंगाजल, सिन्दूर चांदी का वर्क लाल फूल या माला इत्र मोदक या लडडू धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर की आवस्यकता होती है।
🌸 भगवान गणेश की पूजा करने लिए सबसे पहले सुबह नहा धोकर शुद्ध लाल रंग के कपड़े पहने। क्योकि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद गंगा जल से स्नान कराएं। गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं। ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं। लाल चन्दन का टीका लगाएं। अक्षत (चावल) लगाएं। मौली और जनेऊ अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें। इत्र अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करें। नारियल चढ़ाएं। पंचमेवा चढ़ाएं। फल अर्पित करें। मोदक और लडडू आदि का भोग लगाएं। लौंग इलायची अर्पित करें। दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं। गणेश जी की प्रतिमा के सामने प्रतिदिन गणपति अथर्वशीर्ष व संकट नाशन गणेश आदि स्तोत्रों का पाठ करे।
🌷यह मंत्र उच्चारित करें
ऊँ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः।
निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा।।