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Agra News: The epic play ‘Janata Raja’ concludes in Agra with the echo of Shivaji Maharaj’s ideals…#agranews

आगरालीक्स…आगरा में शिवाजी महाराज के आदर्शों की गूंज के साथ समाप्त हुआ महानाट्य ‘जाणता राजा’. अंतिम दिन उमड़ा जन सैलाब

कलाकृति कन्वेंशन सेंटर में विगत पांच दिवस से चल रहे दिव्य प्रेम सेवा मिशन के सेवा प्रकल्प ‘जाणता राजा’ महा नाट्य का छठवां दिन श्रद्धा, उत्साह और देशभक्ति के रंग में सराबोर रहा। शिवाजी महाराज के गौरवशाली जीवन, माता जिजाबाई की प्रेरणा और हिंदवी स्वराज्य की स्थापना का अद्भुत मंचन देखकर दर्शक भावविभोर हो उठे। महा नाट्य में शिवाजी महाराज का आदर्श, मातृत्व का भाव, रणकौशल, नीति और समाज के प्रति समर्पण का ऐसा सजीव चित्रण किया गया जिसने पूरा वातावरण भक्ति और वीर रस से भर दिया। दर्शक पंक्तियों में बैठे-बैठे हर प्रसंग के साथ इतिहास को जीते हुए नजर आए।

पात्रों का सम्मान और सृजनशीलता का उत्सव
समापन सत्र में नाट्य के सभी प्रमुख पात्रों का सम्मान किया गया। शिवाजी महाराज, जीजाबाई, समर्थ गुरु रामदास, अफजल खान, तानाजी मालुसरे, शाहजी राजे, सांभाजी, तथा अन्य पात्रों ने अपने अभिनय से ऐतिहासिक चरित्रों को सजीव कर दिया।
नाट्य महासचिव डॉ. अजीत राव आप्टे और उनकी टीम को भी विशेष रूप से सराहा गया, जिन्होंने पद्म भूषण बाबा साहब पुरंदरे द्वारा लिखे गए इस महा नाट्य को 45 वर्षों की निरंतरता और अनुशासन के साथ प्रस्तुत किया।

महेश ने शाहीर के पात्र में अभिनय से भरे रंग, मंचन में थिरकते रहे कदम
‘जाणता राजा’ महा नाट्य के शाहीर बने महेश ने अपने सशक्त अभिनय, प्रभावशाली संवाद शैली और भावपूर्ण अभिव्यक्ति से दर्शकों का मन मोह लिया। उनकी प्रस्तुति केवल अभिनय नहीं, बल्कि शिवाजी महाराज की कथा को जनमानस तक पहुँचाने का जीवंत माध्यम बन गई। महेश वर्ष 2011 से इस नाट्य से जुड़े हुए हैं और शिवाजी महाराज उनके लिए केवल मंचीय पात्र नहीं, बल्कि जीवन की प्रेरणा हैं। वे महान इतिहासकार बाबा साहेब पुरंदरे को अपना गुरु मानते हैं और कहते हैं कि उन्हीं के मार्गदर्शन में उन्होंने अभिनय की गहराई और ऐतिहासिक भावों को समझना सीखा। सूत्रधार के रूप में महेश की विशेषता यह है कि वे नाटक के हर प्रसंग को इस तरह जोड़ते हैं कि दर्शक कथा के प्रवाह से कभी अलग नहीं होते। उनका मानना है कि “मंच पर मेरा लक्ष्य हमेशा यही रहता है कि अंतिम पंक्ति पर बैठे दर्शक तक मेरे चेहरे के भाव और संवाद की ऊर्जा पहुँचे।” उनकी आवाज़, चेहरे के भाव और शारीरिक अभिव्यक्ति नाटक के हर दृश्य में नई जान डाल देती है। कहा जा सकता है कि महेश का अभिनय ही वह सूत्र है जो ‘जाणता राजा’ को कंचन की तरह चमक देता है।

पांच साल बाद लौटेगा ‘जाणता राजा’ महा नाट्य, अंतिम दिन उमड़ा जन सैलाब
दिव्य प्रेम सेवा मिशन द्वारा प्रस्तुत ‘जाणता राजा’ महा नाट्य का समापन समारोह अंतिम दिन भव्यता और श्रद्धा के साथ संपन्न हुआ। समारोह में दर्शकों की भारी भीड़ उमड़ी, जिससे आयोजन स्थल श्रद्धा और उत्साह से भर गया। सभी ने नाटक की सफलता और कलाकारों के समर्पण की सराहना की। उद्घाटन के समय मां तुलजा भवानी की आरती और दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्कूली बच्चों द्वारा मनमोहक योग की प्रस्तुति दी गई।

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