Agra Special: Kites of Agra are supplied all over the country, there is a business of crores…#agranews
आगरालीक्स… आगरा का पतंग कारोबार भी है करोड़ों रुपये का। गुजरात से लेकर देश के कई इलाकों में जाती है आगरा की पतंग। पूरे साल चलता है कारोबार
उत्तर प्रदेश में बनती हैं सबसे ज्यादा पतंग
आगरा में पतंग का बड़ा कारोबार है। पतंग के कारोबार में आगरा का स्थान बरेली के बाद दूसरे स्थान पर आता है। इसके बाद लखनऊ में भी पतंग की जाती है। कई अन्य शहरों में भी पतंग बनती है लेकिन यह तीन शहर प्रमुख हैं।
आगरा में गंगा दशहरा पर उड़ाते हैं पतंग
काला महल क्षेत्र के पतंग कारोबारी रहमान भाई का कहना है कि आगरा में पतंग का कोराबार काफी समय से है। आगरा में पतंग गर्मियों में गंगा दशहरा पर उड़ाई जाती है।
यमुना किनारे होती थी पतंगबाजी, लड़ाए जाते थे पेच
यमुना किनारे पर पतंगबाजी की प्रतियोगिता भी आयोजित होती थी, इसमें कई इलाकों से लोग पतंग उड़ाने आते थे। लंबे-लंबे पेच लड़ाए जाते थे और वो काटा… का शोर दूर तक सुनाई देता था लेकिन समय के साथ अब औपचारिकता रह गई हैं। मकर संक्रांति पर जरूर अब यमुना किनारे पर कुछ लोग पतंग उडाते हैं।
गुजरात,राजस्थान और दक्षिण के राज्यों में रहती है पूरे साल मांग
मकर संक्रांति पर आगरा में कम पर गुजरात, राजस्थान. मध्यप्रदेश और दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा पतंग उड़ाई जाती हैं। कई राज्यों में तो परे साल पतंगबाजी होती है।
कालामहल,नई बस्ती में बड़े पैमाने पर काम
आगरा में पूरे साल पतंग का काम होता है। आगरा में नई बस्ती, मंटोला, शाहगंज में घरों में भी पतंग बनाने का काम पूरे साल चलता है। आगरा के कारोबारियों पर आर्डर आते हैं और उसके मुताबिक पतंग की आपूर्ति की जाती है।
डिजाइनिंग पतंग में बरेली आगे
आगरा की पतंग प्रतियोगिताओं के लिए कम बनती हैं सिर्फ आर्डर देने पर ही तैयार की जाती हैं लेकिन बरेली में डिजाइनिंग पतंग ज्यादा बनती हैं।
आगरा की झोपड़ी पतंग आकर्षण का केंद्र
आगरा की बनी झोपड़ी पतंग भी काफी प्रसिद्ध है, इस पतंग को रात के समय उड़ाया जाता है, जिसमें कपूर रखकर जला दिया जाता है, जिससे वह अंधेरे में काफी दूर तक बिना डोरी के उड़ते हुए चली जाती है।
आगरा की पतंगों का बैलेंस सबसे बेहतर
आगरा की पतंगों का बैलेंस अन्य स्थानों पर बनी पतंगों से बेहतर होता है, जिसकी वजह से इनकी मांग ज्यादा रहती है। पतंग और मांझा के मामले में बरेली पहले स्थान पर है। आगरा में मांझे का काम कम है।
चायनीज मांझे की नहीं अब मांग
चायनीज मांझे से होने वाले हादसों और इस पर कई शहरों में रोक के कारण अब यह मांझा बाजार से लगभग गायब हो गया है। अब भारतीय मांझे के साथ प्लास्टिक का मांझा भी बाजार में आ गया है लेकिन इसकी मांग भी कम ही रहती है।