Agra: The new generation could not remember the songs of Tesu-Jhanjhi
आगरालीक्स (14th October 2021 Agra News)… टेसू—झांझी के गीत भूल गई नई जेनरेशन. सांझी सजाना भी भूलीं लड़कियां. टेसू की कीमत भी बढ़ी. वीडियो में देखें टेसू का गीत.
मेरा टेसू यहीं अड़ा, खाने को मांगे दही बड़ा… आगरा में अब टेसू—झांझी के गीत नई जेनरेशन अब बिल्कुल नहीं जानती। पहले नवरात्रि में टेसू झांझी बच्चे रखते थे। इसका विसर्जन पूर्णिमा तक किया जाता है। लेकिन अब टेसू—झांझी की प्रथा भी लगभग खत्म होती जा रही है। स्थिति यह है कि क्या बच्चे और क्या बड़े, सभी टेसू—झांझी के गीत भूल रहे हैं। पहले घर—घर जाकर बच्चे इन गीतों को गाते हुए रुपये या कुछ भी वस्तु मांगते थे। शोभायात्राएं निकलती थीं। लेकिन अब बच्चे इन सबसे बिल्कुल अनभिज्ञ हैं।
सांझी सजाना भूली लड़कियां
सन 1980 से नवरात्रि पर लड़कियां अपने घरों के दरवाजे पर गोबर से सांझी बनाती थीं। प्रतिदिन नई सांझी बनाई जाती थी, जो देवी का स्वरूप होती थीं। लड़कियां सुबह उठकर सांझी बनाने के साथ उसकी पूजा करती थीं। शाम को देवी के गीत गाए जाते थे। दशहरे पर देवी का कोट सजाया जाता था। लड़कियों में उन दिनों सांझी और कोट सजाने के लिए प्रतिद्वंद्विंता रहती थी कि किसकी सांझी ज्यादा अच्छी सजी है। गोबर से बनी इन सांझियों पर लड़कियां सिगरेट के खाली पैकेटों की पन्नियां और गोटा सजाने के लिए लगाती थीं। ज्वार उगाती थीं। लेकिन यह प्रथा अब बिल्कुल खत्म हो गई है। नई जेनरेशन को तो इसकी जानकारी तक नहीं है।
खत्म हो रही क्रिएटिविटी
कुछ वृद्ध महिलाएं इसके बारे में बताती हैं कि टीवी, कंप्यूटर और लैपटॉप मोबाइल ने यह सब छीन लिया है। बचपन की क्रिएटिविटी खत्म हो गई है।
अब टेसू और झांझी की कीमत भी महंगी
शहर में इन दिनों टेसू और झांझी मिल रहे हैं। इनमें टेसू की कीमत ज्यादा है। यह 30 रुपये से 350 रुपये तक मिल रहे हैं। जबकि झांझी 20 रुपये से 50 रुपये तक मिल रही है। यह शहर में घटिया आजम खां, बेलनगंज, गोकुलपुरा, नुनिहाई, खटीकपाड़ा समेत अन्य स्थानों पर मिल रहे हैं।