आगरालीक्स.. ( 2 मिनट में पूरी खबर)… आगरा में राधा स्वामी सत्संग सभा, दयालबाग द्वारा कब्जाई जमीन पर छह घंटे चला बुलडोजर, छह गेट तोड़े, 50 करोड़ की जमीन मुक्त, दोबारा गेट लगाने पर गंभीर धाराओं में मुकदमा।
आगरा के दयालबाग, पोइया घाट, जगनपुर, खासपुरा में राधा स्वामी सत्संग सभा, दयालबाग पर रास्ते, खेल के दौरान, नहर सहित 10 हेक्टेयर भूमि पर कब्जा करने के आरोप में थाना न्यू आगरा में सभा के अध्यक्ष और दो उपाध्ययों पर मुकदमा दर्ज किया गया था। सात दिन में कब्जा हटाने के लिए चेतावनी दी गई लेकिन कब्जा नहीं हटाया गया। सरकारी जमीनों से सत्संग सभा को बेदखल करने के बाद प्रशासन की टीम की टीम शनिवार सुबह बुलडोजलर लेकर पहुंची।
50 करोड़ रुपये की जमीन कब्जा मुक्त
सुबह प्रशासन की टीम पुलिस फोर्स और बुलडोजर को साथ लेकर पहुंची। दयालबाग में प्रशासन की टीम ने छह गेट तोड़ दिए। जगनपुर और खासपुर के गांव में राधा स्वामी सत्संग सभा द्वारा 49300 हेक्टेयर जमीन को कब्जामुक्त कराया है। इसकी कीमत करीब 50 करोड़ रुपये है।
टेनरी वाले रास्ते पर रात में लगाया दोबारा गेट
पुलिस प्रशासन की टीम ने दिन में बुलडोजर चलाया तो रात में सत्संगियों ने टेनरी वाले रास्ते पर दोबारा गेट खड़ा कर दिया।
एक और मुकदमा हुआ दर्ज
इस मामले में रात को थाना न्यू आगरा में एक और मुकदमा दर्ज किया गया है। इसमें आरोप लगाया है कि सत्संग सभा के पदाधिकारियों ने प्रशासन की टीम के साथ धक्कामुक्की की, दोबारा गेट लगाया और बलवा कराने के लिए लोगों को उकसाने की कोशिश की। मुकदमे में 10 नामजद किए गए हैं। 37 गाड़ियों के नंबर खोले हैं।
इन्हें किया गया नामजद
प्रवीन कुमार निवासी स्वामी बाग , दयालबाग, देवेश भटनागर निवासी प्रेम नगर, दयालबाग, मेहर केसारबानी निवासी दयालबाग, गुरचरन निवासी गुरुग्राम, अक्षत सत्संगी निवासी पुरुषोत्तम नगर, दयालबाग, सरन प्रकाश गुप्ता निवासी स्वामी बाग, लक्की सत्संगी, सुरेश सेक्ट्रेटरी अदनबाग, सौरभ राणा, गुरुदेव सिंह सिदधू के साथ ही 37 वाहन के नंबर भी दिए हैं।
113 साल पुरानी सत्संग सभा, 1942 से शुरू हुआ विवाद
राधा स्वामी सत्संग सभा दयालबाग की स्थापना 26 मार्च 1910 को हुई थी, बाईलॉज के मुताबिक, 40 सदस्यीय सत्संग सभा का गठन धार्मिक आध्यात्मिक, शैक्षिक गतिविधियों के लिए किया गया था। ब्रिटिश काल में जो जमीनें सत्संग सभा ने अधिग्रहित की और दान में मिलीं सभा उनका प्रबंधन करती है। 1942 में ब्रिटिशकालीन भारत में कॉलोनी और खेतों के नाम पर जमीन अधिग्रहण के प्रस्ताव हुए, खासपुर, जगनपुर, घटवासन, मानेहरपुर, नगला तल्फी, पोइया घाट, लाल गढ़ी के किसानों के साथ विवाद शुरू हो गए, यह विवाद अभी भी जारी हैं।