आगरालीक्स…(30 October 2021 Agra News) दिवाली पर पटाखा चलाने से होने वाले प्रदूषण और उसके असर के बारे में जानेंगे तो दिवाली इको फ्रेंडली मनाएंगे. आगरा के पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. रंजीत कुमार ने बताए इसके दुष्प्रभाव
दीपों का त्योहार है दीपावली
दीपावली का त्यौहार हमारे देश मे बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे दीपों का त्योहार के रूप में जाना जाता है। हमारे मान्यता के अनुसार, यह त्यौहार भगवान राम की चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। इसे अधर्म के उपर धर्म की विजय व अच्छाईयों का बुराइयों के उपर विजय का प्रतीक माना जाता है। इस अवसर पर हम मिट्टी के दीपक जलाते हैं तथा घरों को सजाते हैं। दीपावली पर खुशी में हम खूब रोशनी करते हैं, पटाखे जलाते हैं जिससे वायु प्रदूषण बढ़ जाता है।
ग्लोबल ही नहीं लोकल समस्या भी है वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण एक ग्लोबल ही नही लोकल समस्या भी है जिसने मनुष्य के जिंदगी को खतरे मे डाल दिया है। आईपीसीसी (इंटरगोवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लिमेट चेंज) तथा विश्व स्वास्थ्य संगठन के 2021 की रिपोर्ट बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण होने वाले विनाशकारी दुष्प्रभाव का भयावह चित्र प्रस्तुत करता है। दयालबाग शिक्षण संस्थान मे कार्यरत पर्यावरण वैज्ञानिक डा रंजीत कुमार ने बताया कि पटाखों में बहुत तरह के नुकसानदायक तत्व पाए जाते हैं। ये तत्व पटाखा के जलने पर वातावरण मे प्रवेश कर जाते हैं तथा वायुमंडलीय संरचना को असंतुलित कर देते हैं जिसका पारिस्थितिकी तंत्र पर दीर्घकालीन दुष्प्रभाव परता है। वायु मे पटाखाजनित तत्त्व के मिश्रित होने पर मनुष्य का स्वास्थ्य प्रभावित होता है। पटाखा का धुआं न केवल सांस लेने की समस्या ही पैदा करता है बल्कि फेफड़ें को भी खराब कर देता है तथा रेस्पिरेटरी व कार्डिओवस्कुलर बीमारी भी पैदा करता है। मनुष्य के शरीर की इम्युनिटी को कमजोर कर देता है। करोना महामारी के बीच पटाखा का धुआं कहीं देश व दुनिया के लिए बहुत भारी न पर जाए।
प्रदूषण रूपी बुराई को बढ़ा सकता है जश्न
बुराई पर अच्छाईं के विजय का जश्न-दीपावली का पटाखा, प्रदूषण रूपी बुराई को बढा सकता है। प्रदूषण समाज के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। इस चुनौती से भाग कर हम बच नही सकते हैं। इस चुनौती से हमें लड़ना होगा व हम सभी को प्रदूषण की समस्या की गंभीरता को समझना होगा तथा इससे निपटने के लिए हर व्यक्ति को अपना-अपना योगदान देना होगा। अब और इंतजार नही किया जा सकता है। डा कुमार का कहना है कि इंतजार का समय खत्म हो चुका है। वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए जिसे जहाँ जैसे समझ आये प्रयत्न करना चाहिए नही तो आने वाला भविष्य हमें माफ नही करेगा। अपने आने वाले पीढ़ी को स्वच्छ हवा व स्वस्थ जीवन उपलब्ध कराना हमारा पुनीत कर्तव्य है।
युवा वर्ग को होना होगा जागरूक
डा कुमार ने बताया कि रोशनी व पटाखा के कारण होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए हमें मोमबती के जगह एलईडी बल्ब या झालर का उपयोग करना चाहिए व ग्रीन पटाखा का उपयोग करना चाहिए वैसे हो सके तो पटाखा बिल्कुल ही नही चलाना चाहिए। पटाखे से वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है। इन्हीं महीनों में पराली जलने से वायु दूषित हो जाता है तथा मौसम में बदलाव के कारण वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन जाता है।इससे बचने के लिए हमें युवा वर्ग में पर्यावरण के प्रति चेतना जागृत करना होगा। युवा वर्ग को सचेत होना चाहिए तथा वातावरण को स्वच्छ व स्वस्थ बनाये रखने के लिए अपना योगदान देना चाहिए।