एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार आगरा की बसई से मुंबई डांस बार की रौनक होती थी, मुंबई में डांस बार पर लगी रोक और उम्र बढने के साथ बेटिया समाज की महिलाओं को हो रही समस्याओं के बाद एक बडा बदलाव देखने को मिल रहा है। गंधर्भ समाज उत्थान एवं जाग्रति समिति ने ने यहां काम किया, उन्हें समझाया कि वे अपनी बेटियों को पढा लिखा कर मुख्य धारा में शामिल हो सकते हैं, आज जो लोग उनकी बेटियों को गलत नजर से देखते हैं, आने वाले समय में उनका भी नजरिया बदल जाएगा। इसका असर भी दिखने लगा है।
डांस बंद, स्कूल की क्लास
पिछले कई सालों से बसई की लडकियों ने डांस करना बंद कर दिया है, वे स्कूल जाने लगी हैं। कई घरों में तीन से चार लडकियां हैं, वे सभी पढाई कर रही हैं। इसमें से कुछ लडकियां मेडिकल और सीए की तैयारी भी कर रही हैं।
गंदा काम और जिंदगी भर का दंश
ऐसा कहा जाता है कि ताजमहल के निर्माण के दौरान कारीगरी के आनंद और मस्ती के लिए बसई को बसाया गया था। इसके बाद से बसई से लडकियां मुंबई जाने लगी और कमाई भी अच्छी होने लगी, डांस की आड में वैश्याव्रति भी बढी, लेकिन जब इनकी उम्र बढने लगी तो जिंदगी का दंश काल कोठरे में बिताना पड रहा है।
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