Big question raised by blinds in Agra: Abe Andha hai Kya
आगरालीक्स…. स्मार्ट सिटी बनने जा रहे आगरा में कोई कहे ‘अबे अंधा है क्या’ ! यह आम चलन का वाक्य किसी ब्लांइड के लिए कहा जाए तो दुख होता है। उन तमाम ब्लाइंड को जिनके लिए दुनिया बेहद खूबसूरत है, यहां रहने वाले लोग खुशनसीब हैं। भले ही ये आंखों से देख नहीं सकते, लेकिन इनका परिकल्पनाओं का संसार बहुत बडा है। ये सुनते हैं कि बुलेट ट्रेन चलेगी इनका दिलो दिमाग गदगद होने लगता है। स्पीड ये भी जानते हैं और बुलेट ट्रेन के सफर को महसूस भी कर सकते हैं।
सूरदास नेत्रहीन विद्यालय, रुनकता के ब्लाइंड छात्र छात्राएं प्ले के माध्यम से सवाल उठाएंगे कि स्मार्ट सिटी बनने जा रहे आगरा में उनके लिए क्या है, अभी भी उन्हें अबे अंधा है क्या कहा जाएगा। ब्लाइंड छात्रों के प्ले को वरिष्ठ रंगकर्मी राकेश भारद्वाज रॉकी ने तैयार कराया है, अपने अनुभव साझा करते हुए रॉकी ने कहा कि ब्लाइंड सामान्य बच्चों से जल्दी अभिनय कला को सीखते हैं और उसे बेहतरीन तरह से पेश करते हैं। ब्लाइंड के लिए कार्य कर रही अंतरदृष्टि संस्था द्व़ारा दृष्टि 2015 फिल्म फेस्टिवल का आयोजन 18 और 19 दिसंबर को डॉ भीमराव अंबेडकर विवि के जुबली हॉल में किया जा रहा है।