आगरालीक्स… आगरा के सांसद और मोदी सरकार में केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री डॉ राम शंकर कठेरिया पर फर्जी मार्कशीट से अंबेडकर विवि में नौकरी पाने के आरोप लगे थे, आज (सोमवार) सीजेएम कोर्ट ने उन्हें फर्जी मार्कशीट के केस में बरी कर दिया गया। थाना हरीपर्वत में अदालत के आदेश पर वर्ष 2010 में बसपा नेता कुंवरचंद वकील ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री रामशंकर कठेरिया (तत्कालीन सांसद) के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। इसमें धोखाधड़ी, कूट रचित दस्तावेज तैयार करना और उनसे लाभ लेने की धाराएं लगाई गई थीं। आरोप लगाया गया था कि केंद्रीय राज्यमंत्री ने शिक्षा संबंधी प्रमाण पत्रों और अंकतालिकाओं में हेरफेर कर डॉ. बीआर अंबेडकर विवि में प्रवक्ता के पद पर नियुक्ति प्राप्त की। जबकि वे अनुसूचित जाति के मानकों को पूरा नहीं करते। केंद्रीय राज्यमंत्री ने इस मुकदमे के खिलाफ उच्च न्यायालय इलाहाबाद में दांडिक प्रकीर्ण याचिका प्रस्तुत की गई। न्यायालय ने निगरानी गुण-दोष के आधार पर पुन: निस्तारित करने के आदेश अधीनस्थ न्यायालय को दिए थे।
उच्च न्यायालय के आदेश के बाद केंद्रीय मंत्री के अधिवक्ता द्वारा दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 299 के तहत प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को अदालत ने स्वीकार कर लिया। अदालत ने कहा कि अभियुक्त को उक्त मामले में आरोपित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य पत्रावली पर उपलब्ध नहीं है। लिहाजा, आरोप निर्धारित करने के लिए प्रथम दृष्टया साक्ष्य और आधार नहीं हैं। अदालत ने आदेश दिए कि अभियुक्त रामशंकर कठेरिया को संबंधित सभी धाराओं में उन्मोचित (अपराध मुक्त) किया जाता है।
डॉ राम शंकर कठेरिया अंबेडकर विवि के आवासीय संस्थान केएमआई के हिंदी विभाग में शिक्षक हैं। उन्होंने कानपुर विवि से बीए और एमए किया था। उनके द्वारा विवि में नौकरी के लिए लगाई गई मार्कशीट को फर्जी बताया जा रहा था। यही नहीं, एक बार विवि के गोपनीय विभाग से उनकी मार्कशीट सहित अन्य दस्तावेज गायब होने के भी आरोप लगाए गए थे। इसके बाद वे उन पर केंद्रीय मंत्री बनने के बाद भी विवि में बिना पढाए तनख्वाह लेने पर फंस गए थे, उन्हें विवि से ली गई एक महीने की करीब 85 हजार तनख्वाह वापस करनी पडी।
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