आगरालीक्स…(19 December 2021 Agra News) स्पेशल नहीं सामान्य स्कूलों में पढ़े स्पेशल बच्चे..आगरा में आईएपी व जीडीबीपी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का समापन
स्मृति चिन्ह प्रदान कर दिया सफल आयोजन के लिए धन्यवाद
आईएपी आगरा (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स) व जीडीबीपी (ग्रेथ डवलपमेंट एंड बिहेवियोरल पीडिएट्रिक्स) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह में आयोजन समिति के सभी सदस्यों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर सफल आयोजन के लिए धन्यवाद दिया गया। कार्शाला में देश विदेश के 200 से अधिक डॉक्टरों ने भाग लिया व कोरोना माहमारी के बाद बच्चों की वृद्धि, विकास और व्यवहार में आए बदलाव के कारण और इलाज पर मंथन किया। 10 शोध पत्र व पोस्टर प्रस्तुत किए गए। इस अवसर पर मुख्य रूप से आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप चावला, डॉ. आरएन द्विवेदी, अजय श्रीवास्तव, आयोजन सचिव डॉ. अरुण जैन, डॉ. राजीव कृषक, डॉ. मनोज जैन, डॉ. सुनील अग्रवाल, डॉ. राहुल पैंगोरिया, डॉ. स्वाति द्विवेदी, डॉ. सचिन चावला, डॉ. अंजना थडानी, मोनिका शर्मा, जयदीप चौधरी, आईएपी आगरा के अध्यक्ष डॉ. आरेन शर्मा, सचिव डॉ. संजीव अग्रवाल आदि उपस्थित थे।

स्पेशल बच्चों के लिए शिक्षा की व्यवस्था स्पेशल स्कूलों में नहीं बल्कि सामान्य स्कूलों में सामान्य बच्चों के साथ होनी चाहिए। रिवाइज पर्सन्स बिद डिसएबीलिटी एक्ट 2016 के तहत यह नियम भी है। कोई स्कूल आपके स्पेशल बच्चे को एडमीशन देने के लिए मना नहीं कर सकता। ऐसा हो तो आप इसकी शिकायत कलेक्ट्रेट या सम्बंधित विभागाधिकारी को कर सकते हैं। ऐसे बच्चों के साथ होने वाले क्रिम के लिए धाराएं भी अलग-अलग हैं।
स्पेशल बच्चों के सामान्य स्कूलों में पढ़ने से वह खुद को समाज से अलग-थलग महसूस नहीं करेंगे। समाज में उन्हें आगे बढ़ने के मौके भी बेहतर मिल सकेंगे, क्योंकि आम बच्चे भी साथ पढ़ने लिखने से उन्हें च्छी तरह समझ सकेंगे। हमें स्पेशल बच्चों को योग्य बनाना है, दया का पात्र नहीं।
डॉ.अंजना थडानी, मुम्बई
बच्चों का बेहतर भविष्य हमारा बीमा है
बच्चों की बेहतर देखभाल के लिए आईएपी कर रहा 10 हजार डॉक्टरों को ट्रेन्ड
बच्चों की बेहतर देखभाल और उनका भविष्य आज की पीढ़ी के लिए किसी जीवन बीमा से कम नहीं। बच्चों की सही तरह से देखभाल कैसे इसके लिए लोग इंडियन एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक्स) आईएपी की वेबसाइट पर जाकर सही जानकारी ले सके हैं। भारत में तीन वर्ष तक के लगभग 45 प्रतिशत बच्चों की सही देखभाल न होने से वह वहां नहीं पहुंच पाते, जहां उन्हें क्षमता के अनुसार होना चाहिए। सिर्फ पैसा खर्च करने और बेहतर सुविधाएं देना ही बच्चों के सही विकास की परिभाषा नहीं है। उन्हें अभिभावकों का समय चाहिए। आईएपी के 2021-2023 के कार्यक्रम के तहत लगभग 8-10 हजार डाक्टरों को ट्रेन्ड करने का लक्ष्य रखा गया है, जो आगे अभिभावकों को ट्रेंड कर सकें।
डॉ. शर्मिला मुखर्जी, दिल्ली