Craze among children to make reels and status on Social Media Accounts…#agranews
आगरालीक्स…अब बच्चों को टेस्ट में नंबर की नहीं, रील्स पर कितने लाइक आएंगे इसकी ज्यादा टेंशन है. जानिए कितनी खतरनाक है ये लत…आप भी दें अपनी राय
आजकल सोशल मीडिया का जमाना है. फेसबुक हो या फिर व्हाट्सअप या फिर इंस्टाग्राम…लोग सुबह उठकर सबसे पहले इन प्लेटफार्म पर बने अपने एकाउंट्स को देखते हैं और सबसे पहले स्टेटस चेक करते हैं. हर उम्र के लोगों में इसका क्रेज साफ देखा जा रहा है लेकिन पिछले करीब दो साल से छोटे—छोटे बच्चों ने भी सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट बना लिए हैं. मोबाइल भले ही मम्मी का हो या फिर पापा का…बच्चे इसके आदी हो रहे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार 7 से 10 साल तक के करीब 50 प्रतिशत बच्चों ने सोशल मीडिया पर अपने एकाउंट बनाए हुए हैं. बच्चे डेली इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अपनी रील्स और पोस्ट अपडेट कर रहे हैं और इसके अलावा व्हाट्सअप के स्टेटस पर भी उनको लगा रहे हैं.

डेली बना रहे रील्स
वैसे तो रील्स बनाने का क्रेज आजकल के युवाओं पर जमकर छाया हुआ है लेकिन 7 से 15 साल तक के बच्चे भी इसके लिए क्रेजी हैं. बच्चा लड़का हो या फिर लड़की, डेली रील्स बना रहे हैं. इसमें वह अपने पेरेंट्स और दोस्तों को भी शामिल करते हैं. स्कूल से लौटने के बाद बच्चे सबसे पहले मोबाइल को ही हाथ लगाते हैं और रील्स बनाने के लिए कोई न कोई आइडिया अपने साथ स्कूल से ही लेकर आते हैं या फिर पहले से ही बनाकर रखते हैं. देखा जाए तो बच्चों में रील्स और पोस्ट शेयर करने की एक लत सी लग गई है. उन्हें अब अपने टेस्ट में आने वाले नंबरों से ज्यादा फिक्र इस बात की है कि उनकी रील्स पर कितने लाइक्स और कॉमेन्ट्स आ रहे हैं.
रील्स बनाने वाले नहीं पढ़ने वाले बच्चे करते हैं टॉप
चिकित्सकों और विशेषज्ञों की मानें तो सोशल मीडिया पर बच्चों को रील्स और पोस्ट बनाने की एक लत लग गई है. चिंता की बात ये है कि उनकी इस लत में उनके पेरेंट्स भी साथ दे रहे हैं. वे भी छोटे—छोटे बच्चों के साथ अच्छी से अच्छी रील्स बनाने में लगे रहते हैं. चिकित्सकों और शिक्षकों का कहना है कि यह चिंता की बात है कि बच्चे सोशल मीडिया पर इतने एक्टिव हैं, लेकिन जो बच्चा पढ़ता है और सोशल मीडिया से खुद को दूर रखता है, वही बच्चा टॉप करता है. इसके उदाहरण पिछले कुछ सालों से सीबीएसई, आईसीएसई और यूपी बोर्ड से टॉप करने वाले बच्चे हैं.