आगरालीक्स…(18 December 2021 Agra News) कोरोना काल में मोबाइल का अधिक यूज करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हुई. लिखने की आदत छूटी,जिससे अब स्कूल में हो रही परेशानी…आईएपी और जीडीबीपी की कार्यशाला में की गई चर्चा
मोबाइल का ज्यादा देर तक इस्तेमाल से भी हो रही समस्या
कोरोना काल में मोबाइल का अत्यधिक इस्तेमाल करने से बच्चों की याददाश्त कमजोर हो गई है। लिखने की आदत छूट गई है, अब जब स्कूल खुलेंगे तो बच्चों को परेशानी होगी। इसके लिए तैयार रहना पड़ेगा। आईएपी (इंडियन एकेडमी ऑफ पीडिएट्रिक) और जीडीबीपी (ग्रोथ डवलपमेंटबिहेवियोरल पीडिएट्रिक) की कार्यशाला में कोरोना काल में बच्चों के व्यवहार, मानसिक और शारीरिक विकास में आए बदलाव और चिंताओं पर चर्चा की गई।
आनलाइन क्लास का टाइम 8 घंटे तक हुआ
कोरोना काल में बच्चों की याददाश्त पर हुए पैनल डिस्कशन में मुंबई की डॉ. अंजना थडवानी ने बताया कि आनलाइन क्लासेज से बच्चोें का स्क्रीन टाइम दो घंटे से बढ़कर आठ घंटे हो गया है। कुछ केस में इससे भी अधिक है। इससे बच्चों की याददाश्त कमजोर हुई है, इसे लेकर स्टडी अभी चल रही हैं। इसके साथ ही बच्चों के व्यवहार में भी बदलाव आया है। बच्चे तनाव का शिकार हो रहे हैं।
आने वाले दिनों में बढ़ेगी समस्या
डॉ. सुनील गोडबोले, पुणे ने आटिज्म विषय पर आयोजित पैनल डिस्कशन में कहा कि यह समस्या आने वाले दिनों में और बढ़ जाएगी। इस बीमारी में बच्चे का व्यवहार अलग हो जाता है, वह कुछ समझता नहीं है। समाज से अलग थलग हो जाता है। यह क्यों होता है यह अभी तक पता नहीं है। मगर, आटिज्म के बारे में प्रारंभिक अवस्था में पता चल जाए तो बच्चों को मुख्य धारा से जोड़ा जा सकता है। डॉ. अश्वनी गोडबोले ने कोरोना काल में बच्चों के घर पर रहने से मोटापा सहित अन्य समस्याएं बढ़ने पर चर्चा की। इससे पहले अभिभावक और शिक्षकों को बच्चों की सही तरह से देखभाल करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया।
डॉ. संजीव अग्रवाल
कोविड के बाद बच्चों में डिप्रेसन, अकेलेपन, हकलाना, बिहेवियर डिसआर्डर जैसे मामलों में वृद्धि हुई है। बच्चों का मस्तिष्क अपेक्षाकृत परिपक्व नहीं होता, इसलिए कोविड काल का उन पर अधिक प्रभाव पड़ा है। ऐसे कई मामले बाल रोग विशेषज्ञों के पास पहुंच रहे हैं, जिसमें बच्चा अब स्कूल जैने को तैयार नहीं। बच्चों में स्कूल फोबिया के माले बढ़े हैं। बिना किसी भय के हमें अब बच्चों को घर से बाहर निकालना होगा।
डॉ. राजीव कृषक
कोविड के बाद बच्चों में तनाव और अवसाद के 30-40 प्रतिशत मामलों में वृद्धि हुई है। इस दौरान बच्चे स्कूल दूर रहे। स्कूल न जाने से सिर्फ पढ़ाई नहीं, खेल-कूद और दोस्तों से भी अलग रहे बच्चे। इस समस्या को अकेले हल नहीं किया जा सकता। अभिभावक, शिक्षक और डॉक्टरों को मिलकर इस समस्या पर काम करना होगा।