DNA Techonology help in search of unknown dead & Missing Petition in SC by Advocate from Agra #agra
आगरालीक्स ….आगरा के अधिवक्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, अज्ञात मृतकों और गुमशुदा की तलाश में मिलेगी मदद, डीएनए टेक्नोलॉजी करेगी मदद जानें।
सुप्रीम कोर्ट से आगरा के वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन द्वारा रिट याचिका (सिविल) सं0 15 वर्ष 2024 जनहित याचिका के रूप में दायर की। इसमें कहा गया है कि भारत में प्रतिवर्ष 40,000 से अधिक अज्ञात मृतकों के शरीर मिलते हैं जिनकी पहचान नहीं हो पाती है और इसी के साथ साथ 1,00,000 से अधिक बच्चे गुमशुदा होते हैं, महिलाओं की संख्या भी बड़ी होती है। गुमशुदा बच्चों, महिलाओं आदि के निकट सम्बन्धियों से डीएनए की जांच की जाये और जांच को अज्ञात मृतकों के डीएनए से मिलाया जाये तो यह मालूम हो सकता है कि क्या अज्ञात मृतकों का शरीर उन गुमशुदा बच्चों व महिलाओं का तो नहीं है। जिन्हें गुमशुदा मान रहे हैं उनकी मौत हो चुकी हो और अज्ञात में अंतिम संस्कार भी कर दिया गया हो।
आज हुई सुनवाई, नोटिस निर्गत करने के आदेश
मुख्य न्यायाधीश, डी वाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति पारदीवाला व न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने की और याचिकाकर्ता को व्यक्तिगत रूप से सुनने के बाद केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को नोटिस निर्गत करने के आदेश पारित कर दिये।
ये दी दलील
अधिवक्ता जैन ने यह भी दलील रखी है कि जहां आपराधिक मामलों के अभियुक्तों, सजायाफ्ताओं व आरोपियों की डीएनए जांच 2022 में बनाये गये क्रिमिनल प्रोसीजर आईडेन्टिफिकेशन एक्ट के अनुसार की जा सकती है जिसके कारण अज्ञात व्यक्तियों व गुमशुदा व्यक्तियों के बारे में जानना असम्भव सा हो जाता है। फोरेन्सिक विज्ञान का लाभ अब पूरी दुनियां ले रही है ऐसी स्थिति में भारत को पीछे नहीं रहना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वर्ष 2012 व 2013 में 2 जनहित याचिकाऐं सुप्रीम कोर्ट में दायर की गयीं थीं जिन पर कई बार सुनवाई हुई और यह याचिकाऐं भी अज्ञात व्यक्तियों व गुमशुदा व्यक्तियों के डीएनए के सम्बन्ध में थीं लेकिन यह दोनो याचिकाऐं दिनांक 01 मई 2018 को इस कारण से निस्तारित कर दी गयीं कि केन्द्र सरकार के अधिवक्ता ने यह बयान दिया कि केन्द्र सरकार अति शीघ्रता से डीएनए का कानून बनाने जा रही है इसके बाद में वर्ष 2018 में ही केन्द्र सरकार ने डीएनए जांचों के सम्बन्ध में विधेयक लोकसभा में प्रस्तुत किया जो जनवरी 2019 में पारित हुआ था। सोलहवीं लोक सभा के समाप्त होने पर वह विधेयक कानून नहीं बन सका और सत्रहवीं लोक सभा में जुलाई 2019 में केन्द्र सरकार द्वारा पुनः विधेयक रखा गया। यह विधेयक संसदीय स्थायी समिति को भेज दिया गया जिसमें इस कानून को बनाने के लिए अपनी सिफारिश वर्ष 2021 में दी। किन्तु केन्द्र सरकार ने अन्ततः इस विधेयक को 24 जुलाई 2023 को लोकसभा से वापस ले लिया। डीएनए विधेयक यात्रा इस प्रकार बीच में ही समाप्त हो गयी। इन सबको देखते हुए अधिवक्ता जैन ने सुप्रीम कोर्ट से केन्द्र सरकार को निर्देश देने की गुहार लगायी है।