आगरालीक्स…आगरा के एकमात्र ऐतिहासिक श्री सिद्धी विनायक मंदिर, गोकुलपुरा के बारे में जानिए कुछ रोचक बातें. गणेश चतुर्थी पर शुभ मुहूर्त…
आगरा में अकेले गणेश का विग्रह गोकुलपुरा राजामंडी मोहल्ले में गणेश जी का एकमात्र ऐतिहासिक श्री सिद्धी विनायक मंदिर है. इसकी स्थापना आज से लगभग 377 वर्ष पहले 1646 में की गई थी. मराठा सरदार महादाजी सिंधिया द्वारा पुन: जीर्ण उद्धार एवं मंदिर की स्थापना सन् 1760 में की गई तथा मंदिर में एक पीपल का वृक्ष भी लगाया. वह ग्वालियर के शासक थे तथा आगरा प्रवास में उन्होंने डेरा गणेश मंदिर की स्थापना की. कालांतर में ग्वालियर राज्य के विस्तार के साथ महाब जी सिंधिया की ओर से इस मंदिर की देखभाल तथा नियमित खर्च के लिए पाठ आना प्रतिदिन का आज्ञा पत्र मराठा शासन केे नाम जारी किया गया. मंदिर के पुजारी के पास ऐतिहासिक धरोहर आज भी सुरक्षित है.
गुजराती और मराठा परिवारों की आस्था के केंद्र के रूप में प्रतिष्ठित इस मंदिर में अपने आगरा प्रवास के दौरान ग्वािलयर नरेश महादजी सिंधिया नियम पूर्वक अपनी उपस्थिति में पूजन अर्चन कराते रहे. उन्होंने ही चतुर्थी के दिन शाही संरक्षण में धूमधाम से गणेश शोभायात्रा की शुरुआत कराई जो सन् 1860 तक जारी रही तथा एक हमले के कारण बंद होने के बाद भारत की स्वतंत्रता के उदय के साथ सन् 1959 में फिर से शुरू हुई तथा एक परंपरा के रूप में आज भी जारी है. संभवत: आगरा में गणेशोत्सवों की परंपरा में यह सबसे प्राचीन धर्म स्थल है.
भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का महत्व
मंदिर के महत पं. ज्ञानेश शास्त्री ने कहा कि इस तिथि को विशिष्ट रूप से श्री गणेश जी के आयोजन मनाये जाते हैं. यह तिथि अनेक दृष्टियों में महत्वपूर्ण है. श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को ही हुआ था. तब भगवान शिव के कैलाश पर्वत पर इसी जन्मोत्सव को मनाने का आयोजन किया था. सिंदूर दैत्य पर भी श्री गणेश जी ने इसी तिथि को विजय प्राप्त की थी. इसलिए भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी पर पार्थिव पूजन का विधान है. इस चतुर्थी को डांडिया चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है तथा छोटे बच्चों द्वारा डांडिया पूजन कराया जाता है तथा पट्टी पूजन भी कराया जाता है.
चंद्र दर्शन क्यों नहीं
इस व्रत के गंभीर आध्यात्कि उद्देश्य हैं चतुर्थी का अभिप्राय जागृति स्वप्न, सुशुप्ति के उस पार की तुरीय अवस्था से लिया जाता है जिसे जीवन का अंतिम लक्ष्य माना जाता है. उस दिन चंद्र दर्शन को निषेध माना जाता है क्योंकि चंद्र मन की संतति है. आध्यात्मिक क्षेत्र में उसे मन का प्रतीक और पर्यायवाची माना जाता है. जब मन असंयमित होता है तो किसी भी आध्यात्मिक साधना में प्रगति नहीं हो सकती. मन का विग्रह है सभी शुद्धियों का श्रृल माना जाता है. अत: सभी साधनायें इसी पर ही केंद्रित रहती हैं. इस पर विजय प्रापत किये बिना तुरीय अवस्था तक पहुंचना असम्भव है. आज के दिन बच्चों का पट्टी पूजन शिक्षा का भी श्री गणेश भी होता है. इसलिए बच्चों का चंद्रमा मन एकाग्रता प्राप्त करे. इस दिन चंद्र दर्शन न किया जाये अर्थात मन पर विजय प्राप्त करने का प्रयत्न किया जाये अथवा मौनवस्था की ओर लाया जाये तो लक्ष्य की प्राप्ति में सुविधा होगी.
गणपति के अचूक उपाय
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए : — कमल गट्टे की माला चढ़ायें
मनोकामना पूर्ति के लिए :— नारियल चढ़ायें व सिंदूर अर्पित करें.
विद्या प्राप्ति व परीक्ष्चाा में सफलता के लिए :— घी व गुड़ चढ़ायें
कर्ज से मुक्ति के लिए :— खीर व कमल के फूलों की माला चढ़ायें
विवाह कामना के लिए :— हल्दी की 7 गांठें पीले चावल व पीली मिठाई चढ़ायें
संतान प्राप्ति की कामना के लिए :— तिल से बनी मिठाई व पानी का बीड़ा चढ़ायें
सुख शांति एवं समृद्धि के लिए :— मोदक व दुर्वा चढ़ायें
व्यापार में वृद्धि व वैभव के लिए :— शमी के 5 पत्ते व पीले रंग का पीताम्बर अर्पित करें
रोग मुक्ति के लिए :— हरे मूंग व गुड़ चढ़ायें व घी की 8 बतती का दीपक जलायें
गणेश जी की स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 1 मिनट से दोपहर 1 बजकर 28 मिनट तक
चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट से प्रारंभ होकर 19 सितंबर 2023 को दोपहर एक बजकर 43 मिनट तक रहेगी.
स्थापना की विधि
पीत वस्त्र पर चावल का स्वास्तिक बनाकर उस पर गणेश जी स्थापित करें . फिर पंचोपचार व षोडषाचार पूजन करें.
गणेश जी पर विशेष रूप से हरी दुर्वा चढ़ायें, घी क दीपक जलायें, मोदक पंच मेवा व पांच फलों का भोग लायें, नारियल, ताम्बुल व सुपारी चढ़ायें.