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Hartalika Teej is the biggest fast in Hinduism, know the method of worship#agranews
आगरालीक्स(01st September 2021 Agra News)…हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता है. जानिए कब है यह व्रत और पूजा विधि.
अखंड सौभाग्य की होती है प्राप्ति
हरतालिका तीज का व्रत हिन्दू धर्म में सबसे बड़ा व्रत माना जाता हैं। यह तीज का त्यौहार भाद्रपद मास शुक्ल की तृतीया तिथि को मनाया जाता हैं। खासतौर पर महिलाओं द्वारा यह त्यौहार मनाया जाता हैं। कम उम्र की लड़कियों के लिए भी यह हरतालिका का व्रत श्रेष्ठ समझा गया हैं। इस बार यह नौ सितंबर दिन गुरुवार को मनाया जाएगा। अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने बताया कि विधि-विधान से हरतालिका तीज का व्रत करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहे वर की प्राप्ति होती है, वहीं विवाहित महिलाओं को अखंड सौभाग्य मिलता है।
भगवान शिव, माता गौरी और गणेश जी की होती है पूजा
हरतालिका तीज में भगवान शिव, माता गौरी और गणेश जी की पूजा का महत्व है। यह व्रत निराहार और निर्जला किया जाता हैं। शिव जैसा पति पाने के लिए कुंवारी कन्या इस व्रत को विधि विधान से करती हैं।
हरतालिका तीज व्रत विधि और नियम
हरतालिका पूजन प्रदोष काल में किया जाता हैं। प्रदोष काल अर्थात दिन रात के मिलने का समय। हरतालिका पूजन के लिए शिव, पार्वती, गणेश और रिद्धि सिद्धि जी की प्रतिमा बालू रेत अथवा काली मिट्टी से बनाई जाती है। इसके बाद कई प्रकार के पुष्पों से सजाकर उसके भीतर रंगोली डालकर उस पर चौकी रखी जाती है। चौकी पर एक अष्टदल बनाकर उस पर थाल रखते हैं। उस थाल में केले के पत्ते को रखते हैं। सभी प्रतिमाओं को केले के पत्ते पर रखा जाता है। सर्वप्रथम कलश के ऊपर नारियल रखकर लाल कलावा बांध कर पूजन किया जाता है। कुमकुम, हल्दी, चावल, पुष्प चढ़ाकर विधिवत पूजन होता है। कलश के बाद गणेश जी की पूजा की जाती है।
माता गौरी पर चढ़ाते हैं श्रृंगार
उसके बाद शिव जी की पूजा जी जाती हैं। फिर माता गौरी की पूजा की जाती हैं। उन्हें सम्पूर्ण श्रृंगार चढ़ाया जाता हैं। इसके बाद अन्य देवताओं का आह्वान कर षोडशोपचार पूजन किया जाता है। इसके बाद हरतालिका व्रत की कथा पढ़ी जाती है। इसके पश्चात आरती की जाती है, जिसमें सर्वप्रथम गणेश जी की, पुनः शिव जी की और फिर माता गौरी की आरती की जाती है। इस दिन महिलाएं रात्रि जागरण भी करती हैं। कथा-पूजन के साथ कीर्तन करती हैं। प्रत्येक प्रहर में भगवान शिव को सभी प्रकार की वनस्पतियां जैसे बिल्व-पत्र, आम के पत्ते, चंपक के पत्ते और केवड़ा अर्पण किया जाता है। आरती और स्तोत्र द्वारा आराधना की जाती है। हरतालिका व्रत का नियम है कि इसे एक बार प्रारंभ करने के बाद छोड़ा नहीं जा सकता।
प्रात: की अंतिम पूजा में सिंदूर का महत्व
प्रातः अन्तिम पूजा के बाद माता गौरी को जो सिंदूर चढ़ाया जाता है, उस सिंदूर से सुहागन स्त्री सुहाग लेती हैं। ककड़ी और हलवे का भोग लगाया जाता है। उसी ककड़ी को खाकर उपवास तोड़ा जाता है। अंत में सभी सामग्री को एकत्र कर पवित्र नदी और कुण्ड में विसर्जित किया जाता है।
हरतालिका व्रत पूजन की सामग्री
फुलेरा विशेष प्रकार से फूलों से सजा होता है
गीली काली मिट्टी अथवा बालू रेत
केले का पत्ता
विविध प्रकार के फल एवं फूल पत्ते
बेल पत्र, शमी पत्र, धतूरे का फल एवं फूल, तुलसी मंजरी
जनेऊ , नाडा, वस्त्र,
माता गौरी के लिए पूरा सुहाग का सामग्री, जिसमे चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, महावर, मेहँदी आदि एकत्र की जाती हैं। इसके अलावा बाजारों में सुहाग पूड़ा मिलता है, जिसमे सभी सामग्री होती है।
घी, तेल, दीपक, कपूर, कुमकुम, सिंदूर, अबीर, चन्दन, नारियल, कलश।
पञ्चामृत – घी, दही, शक्कर, दूध, शहद।
हरितालका तीज पूजा मुहूर्त
नौ सितंबर की प्रातः से ही पूरे दिन तीज होगी। इसलिए व्रत रखने वाली महिलाएं और लड़कियां इससे पहले ही सरगी कर लें। यह निर्जला उपवास रखा जाता है।
तृतीया तिथि प्रारंभ: 08 सितंबर 2021 को रात 02:33 मिनट से
तृतीया तिथि समाप्त: 09सितंबर 2021 की रात्रि 12 बजकर18 मिनट पर।
अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित ह्रदय रंजन शर्मा ने बताया कि प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त गुरुवार नौ सितंबर की सुबह 05 बजकर 05 मिनट से 06 बजकर 10 मिनट तक शुभ का चौघडिया माना जाएगा। इसके बाद सुबह 10:40 मिनट से दोपहर 01:40 तक के समय में विश्व प्रसिद्ध चौघड़िया मुहूर्त अनुसार चर, लाभ और अमृत के मुहूर्त उपलब्ध होंगे, जो पति के उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु जीवन के लिए सर्वोत्तम माने जाएंगे।