आगरालीक्स…श्री पारसनाथ भगवान कई शक्तियों के स्वामी थे. बल के स्वामी थे चाहते तो कुछ भी कर सकते थे. एमडी जैन कॉलेज मेें मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर जी महाराज ने कहा..
एमडी जैन इंटर कॉलेज में चल रहा आयोजन
एमडी जैन इंटर कॉलेज ग्राउंड हरीपर्वत में मुनि श्री 108 प्रणम्य सागर महाराज ने पार्श्वनाथ कथा में बताया कि दिव्य तीर्थंकर पारस प्रभु की कथा अनेक जन्मों को प्रस्तुत करती हुई आज उस मोड़ पर है, जब पारस प्रभु को उपसर्ग और केवल ज्ञान प्राप्त हुआ। उस समय आपने देखा कि उन्होंने कोई प्रतिकार नहीं किया। यह देखने की नहीं सीखने की चीजें हैं। जानने का मतलब है कि जो घटित हो रहा है, उसे हम जान रहे हैं। यह सीखने का मतलब है कि हम उन्हें अपना आदर्श बनाएं, जीवन में उतारें।

भगवान के पास 63 रिद्धि थीं
उन्होंने कहा कि पारसनाथ भगवान कई ऋद्धियों, शक्तियों के स्वामी थे। बल के स्वामी थे। चाहते तो कुछ भी कर सकते थे लेकिन कुछ नहीं किया। श्री पारसनाथ भगवान के पास 63 रिद्धि थीं, फिर भी कुछ नहीं किया। जैसे सिंह के ऊपर चूहा आया तो शेर को कुछ नहीं होगा। प्रतिकार रोकने का नाम साधना है। धर्म है। आप अपने को रोक लो, यही संवर है। कर्म आने से रुकेंगे और निर्जरा के लिए बहुत सब्र चाहिए। सब्र रखना सीखें।
पारसनाथ भगवान को अपने हृदय में बिठाएं
पारसनाथ भगवान को अपने ह्रदय में बिठाएं। उनको ध्यान में रखकर अपने भीतर की शक्ति जागृत करो, सब्र रखना सीखें, सामने वाला तो बहुत जालिम हो सकता है। आप तो भगवान को अपने ह्रदय में बिठाना। उनके बारे में सोचना कि उपसर्ग को दूर करने के लिए पार्श्वनाथ भगवान ने कुछ भी नहीं किया, उपसर्ग हो गया। तब पद्मावती धर्णेन्द्र वहां पर आए और अपने फन को फैलाया। आप फिर सोचें जो महामुनि राज तपस्या कर रहे हैं, उनको महिला नहीं छू शक्ति, हिम्मत नहीं कर सकती। समझदार है तो, पद्मावती देवी ने भी फन ही फैलाया था, छुआ नहीं। जिनेंद्र भगवान की जिनवाणी है।
संस्कार शिविर 10 सितंबर से
मीडिया प्रभारी शुभम जैन ने बताया कि 10 सितंबर से 19 सितंबर तक अर्हं स्वधर्म श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन एमडी जैन इंटर कॉलेज ग्राउंड हरीपर्वत पर होगा। इस अवसर पर आगरा दिगंबर जैन परिषद के अध्यक्ष जगदीश प्रसाद जैन, महामंत्री सुनील जैन, राकेश जैन, राजकुमार राजू, निर्मल मौठया, राजेश सेठी, पवन जैन, हरीचंद जैन, सतीश जैन, सुमेर पांडया, विमल जैन, अंकेश जैन आदि मौजूद रहे।