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कुंभ 2025

Mahakumbh 2025: Sadhu who achieved engineering in aerospace said – Sannyas is the best for best knowledge…

आगरालीक्स…महाकुंभ में आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने वाला साधु. फोटोग्राफी में भी बनाया कॅरियर, लेकिन अंत में चुना संन्यास. बोले—सर्वोत्तम ज्ञान के लिए यही सबसे बेहतर…3 ईडियट्स फिल्म का भी किया जिक्र

आगरालीक्स…महाकुंभ में IITian बाबा. एयरोस्पेस में डिग्री, फोटोग्राफी में कॅरियर के लिए आटर्स में हासिल की मास्टर डिग्री, फिजिक्स की कोचिंग भी दी लेकिन चुना संन्यास. बोले—ज्ञान के लिए ये सबसे बेहतर

प्रयागराज महाकुंभ 2025 में कई साधु संत और नागा साधु चर्चा का केंद्र बन चुके हैं, लेकिन यहां एक ऐसा साधु भी है जो कि आईआईटी बॉम्बे से एयरोस्पेस में डिग्री हासिल कर चुका है. फोटोग्राफी करने का शौक आया तो आटर्स में मास्टर डिग्री हासिल कर कॅरियर भी बनाया. बच्चों को फिजिक्स की कोचिंग भी दी लेकिन अपने आंतरिक ज्ञान के लिए संन्यास को चुना.

इन आईआईटीयन बाबा का नाम है अभय सिंह. सोशल मीडिया पर एक टीवी चैनल द्वारा लिए गए इनके साक्षात्कार के बाद वायरल हो रहा है. साक्षात्कार में बाबा ने अपनी जिंदगी के कई दिलचस्प पहलुओं को उजागर किया और बताया कि कैसे उन्होंने आईआईटी मुंबई से इंजीनियरिंग करने के बाद फोटोग्राफी में कॅरियर बनाया और इसके बावजूद संन्यास लेने का फैसला किया.

संन्यासी बाबा अभय सिंह ने बताया कि वह आईआईटी मुंबई से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल कर चुके हैं. आईआईटी जैसी प्रतिष्ठित संस्था से शिक्षा हासिल करने के बाद उनके पास जीवन में सफलता पाने के तमाम रास्ते थे लेकिन इसके बावजूद उन्होंने संन्यास लेने काएकदम अलग और दिलचस्प निर्णय लिया. आईआईटी से इंजीनियरिंग करने के बाद अभय सिंह ने अपनी रुचियों का पीछा करना शुरू किया और फोटोग्राफी के क्षेत्र में कदम रखा. उन्होंने फिल्म 3 इडियट्स के किरदार की तरह इंजीनियरिंग के बाद एक अलग दिशा में कदम रखा. फोटोग्राफी में अपना करियर बनाने के लिए उन्होंने कई वर्षों तक कड़ी मेहनत की और आटर्स में मास्टर डिग्री भी हासिल की. इस दौरान अभय ने एक साल तक फिजिक्स की कोचिंग भी दी और फोटोग्राफी की दुनिया में अपना नाम बनाने की कोशिश की.

मानसिक संतुष्टि के लिए चुना संन्यास
फोटोग्राफी में भी सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने महसूस किया कि बाहरी सफलता, पैसे और मान्यता से आत्मिक शांति नहीं मिली. इस अनुभव के बाद उनहोंने जीवन में गहरी खोज शुरू की और संन्यास लेने का निर्णय लिया. अभय सिंह का मानना है कि संन्यास, जीवन की सर्वोत्तम अवस्था है. उन्होंने कहा कि ज्ञान के पीछे चलते जाओ, चलते जाओ, कहां तक जाओगे. अंत में यही समझ आ जाएगी कि वही सबसे अच्छा है. इसके बाद उन्होंने अपने जीवन को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की प्राप्ति की दिशा में समर्पित कर दिया.

अभय सिंह ने कहा कि वह ​हरियाणा के हैं लेकिन उनहोंने कई अलग—अलग शहरों में अपना जीवन बिताया. संन्यास लेने के बाद अब वह समाज के कल्याण और व्यक्तिगत विकास के लिए काम कर रहे हैं. उन्होंने अपनी जीवन यात्रा में सीखा है कि बाहरी सफलता केवल दिखावा होती है, असली सुख और शंति भीतर से ही आती है.

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