आगरालीक्स(12th August 2021 Agra News)…हिंदू धर्मग्रंथों में नाग को देवता माना गया है। कल नागपंचमी है। जानिए इससे जुड़ी कथा, मंत्र जाप व पूजा विधि।
12 प्रसिद्ध नागों के नाम नाम लिए जाते हैं
हिंदू धर्मग्रन्थों में नाग को देवता माना गया है। इनका विभिन्न जगहों पर उल्लेख भी किया गया है। हिंदू धर्म में कालिया, शेषनाग, कद्रू (सांपों की माता) तक्षक आदि बहुत प्रसिद्ध हैं। नागपूजन करते समय 12 प्रसिद्ध नागों के नाम लिये जाते हैं। इनमें धृतराष्ट्र, कर्कोटक, अश्वतर, शंखपाल, पद्म, कम्बल, अनंत, शेष, वासुकी, पिंगल, तक्षक और कालिया। साथ ही इनसे अपने परिवार की रक्षा के लिए प्रार्थना की जाती है।
मनसा देवी की पूजा
अलीगढ़ के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा के अनुसार, उत्तर भारत में नागपंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा करने का विधान भी है। मनसा देवी को भगवान शिव की मानस पुत्री और नागराज वासुकी की बहन के रूप में पूजा जाता है। देवी मनसा को नागों की देवी माना गया है, इसलिए बंगाल, ओडिशा और अन्य क्षेत्रों में नागपंचमी के दिन मनसा देवी की पूजा-अर्चना की जाती है।
विश्व में सब जगह की जाती है नाग पूजा
नागपूजा या सर्पपूजा किसी न किसी रूप में विश्व में सब जगह की जाती है। दक्षिण अफ्रीका में कई जातियों में नाग कुलदेवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा समझा जाता है कि कुल की रक्षा का भार सर्पदेव पर है। कई जातियों ने नाग को अपना धर्मचिह्न स्वीकार किया है। ऐसा भी मान्यता है कि पूर्वज सर्प के रूप में अवतरित होते हैं।
शिव की आराधना से जुड़ा है पर्व
शिव की आराधना भी नागपंचमी के पूजन से जुड़ी है। पशुओं के पालनहार होने की वजह से शिव की पूजा पशुपतिनाथ के रूप में भी की जाती है। शिव की आराधना करने वालों को पशुओं के साथ सहृदयता का बर्ताव करना जरूरी है।
नागपंचमी के दिन क्या करें
इस दिन नागदेव के दर्शन अवश्य करना चाहिए।बांबी (नागदेव का निवास स्थान) की पूजा करना चाहिए। नागदेव को दूध भी पिलाना चाहिए। नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध प्रिय है।
इस मंत्र का जाप करें
ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा का जाप करने से सर्प दोष दूर होता है।
नाग पूजन कैसे करें
सुबह उठकर घर की सफाई करके नित्यकर्म से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद स्नान कर धुले हुए साफ और स्वच्छ कपड़े धारण करें। नाग पूजन के लिए सेंवई-चावल आदि ताजा भोजन बनाएं। कुछ भागों में नागपंचमी से एक दिन पहले ही भोजन बना कर रख लिया जाता है और नागपंचमी के दिन बासी (ठंडा) खाना खाया जाता है। इसके बाद दीवार पर गेरू पोतकर पूजन का स्थान बनाया जाता है। फिर कच्चे दूध में कोयला घिसकर उससे गेरू पुती दीवार पर घर जैसा बनाते हैं और उसमें अनेक नागदेवों की आकृति बनाते हैं। कुछ जगहों पर सोने, चांदी, काठ व मिट्टी की कलम तथा हल्दी व चंदन की स्याही से अथवा गोबर से घर के मुख्य दरवाजे के दोनों बगलों में पांच फन वाले नागदेव अंकित कर पूजते हैं। सर्वप्रथम नागों की बांबी में एक कटोरी दूध व लाई चढ़ा आते हैं। फिर दीवार पर बनाए गए नागदेवता की दही, दूर्वा, कुशा, गंध, अक्षत, पुष्प, जल, कच्चा दूध, रोली और चावल आदि से पूजन कर सेंवई व मिष्ठान से उनका भोग लगाते हैं। इसके बाद आरती करके कथा का श्रवण किया जाना चाहिए।