नईदिल्लीलीक्स… देश की युवा पीढ़ी का बदल रहा है नजरिया। लोग भोजन पर कम और कपड़े, मनोरंजन व अन्य पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे।
घरेलू खर्च दस वर्षों में दोगुना से ज्यादा हुआ
राष्ट्रीय सांख्यिकी मंत्रालय (एनएसओ) की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय परिवारों का घरेलू खर्च पिछले 10 वर्षों में दोगुना से ज्यादा हो गया है। अगस्त 2022 से जुलाई 2023 के बीच किए गए सर्वेक्षण के आंकड़ों में यह बात कही गई है। हालांकि, सरकार ने 2017-18 के सर्वे का नतीजा आंकड़ों में गड़बड़ी की बात कहकर जारी नहीं किया था।
प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च भी बढ़ा
आंकड़ों के अनुसार, 2022-23 में शहरी क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग खर्च (एमपीसीई) बढ़कर अनुमानित 6,459 रुपये हो गया। 2011-12 में यह 2,630 रुपये था। ग्रामीण भारत में खर्च 1,430 रुपये से बढ़कर अनुमानित 3,773 रुपये हो गया है।
गांवों से ज्यादा शहरी लोगों का खाने-पीने का खर्चा
भारतीय परिवार खाद्य पदार्थों पर प्रतिशत के रूप में कम खर्च कर रहे हैं। कपड़े, टीवी और मनोरंजन जैसे माध्यमों पर ज्यादा खर्च कर रहे है। यह आंकड़ा कुल 2,61,746 घरों के सर्वे से जुटाया गया है। इसमें 1,55,014 घर गांवों के और 1,06,732 घर शहरी इलाकों के हैं। गांवों में खाने-पीने पर प्रति व्यक्ति -मासिक खर्च 1,750 और शहरों में 2,530 रुपये रहा।
दुग्ध पदार्थ से ज्यादा पेय और प्रोसेस्ड सामग्री पर खर्च
गांवों में दूध और इससे बनी चीजों पर प्रति व्यक्ति औसत मासिक खर्च 314 रुपये और अनाज पर 185 रुपये रहा। शहरों में इन पर खर्च 466 और 235 रुपये रहा, लेकिन पेय और प्रोसेस्ड सामग्री पर खर्च इनसे भी ज्यादा हो गया है। गांवों में इन पर महीने का प्रति व्यक्ति औसत खर्च 363 रुपये और शहरों में 687 रुपये है।