RK Marketing’s new establishment opens with India’s third largest platinum store in Agra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में भारत के तीसरे सबसे बड़े प्लेटिनम स्टोर के साथ हुआ आरके मार्केटिंग के नए प्रतिष्ठान का शुभारम्भ…संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने किया उद्धाटन
सिकन्दरा बोदला रोड स्थित (कारगिल पैट्रैल पम्प के पास) आरके मार्केटिंग के इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के नए प्रतिष्ठान का शुभारम्भ करते हुए संत श्री विजय कौशल जी महाराज ने कहा कि सामान नहीं हमेशा साख बिकती है। ठीक वैसे ही जैसे धोखे को नहीं बल्कि सत्य और साख को ईश्वर मिलता है। इसलिए व्यापार में दूसरों को देखकर नहीं अपनी गति से चलिए तो सफलता अवश्य मिलेगी। श्रीराम व माता सीता की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर उन्होंने आरके मार्केटिंग के इलेक्ट्रोनिक उत्पादों के नए प्रतिष्ठान का शुभारम्भ किया। आरके मार्केटिंग के निदेशक राकेश कुमार अग्रवाल, राहुल अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि फेवर कम्पनी का भारत का तीसरा सबसे बड़ा प्लेटिनम स्टोर अब आगरा में भी है। फ्रीजर की होटल इंडस्ट्री की पूरी रेंज में आइस क्यू मशीन, वाइनव बार, विजी कोलर शामिल है। वाशिंग मशीन की भी सबसे बड़ी रेंज उपलब्ध है। दीपावली तक सभी ग्राहकों के लिए चार से साढ़े चार हजार तक का गिफ्ट आफर भी है। इस अवसर पर मुख्य रूप से इटावा के सांसद रामशंकर कठेरिया, एलजी कम्पनी के आरएम नरेन्द्र गम्भीर जी, हिटेची के इंडिया हेड संजीव अग्रवाल, टीसीरीज के इंडिया हेड एएन सहगल, वोल्टास के बीएम आशीष सिन्हा, केल्विनेटर के एजीएम तिलक डींगरा, अमरचंद अग्रवाल, अशोक अग्रवाल, सौरभ सिंघल, अजय गर्ग,
शरीर शोधन का समय है नवरात्रिः संतश्री विजय कौशल जी महाराज
देवी का अर्थ सिर्फ स्त्री नहीं, शक्ति की प्रतिमा है। शारीरिक, मानसिक आध्यात्मिक, बौद्धिक, सभी प्रकार की शक्तियां। देवी का अर्थ है वो सभी शक्तियां जो सिंह पर सवारी करती हैं। व्यक्ति में जब बल होता है तो उसकी चाल में एक अलग धमक होती है, अन्यथा लाठी का सहारा लेना पड़ता है। शरीर स्वस्थ तो सब कुछ अच्छा चलता है।
संतश्री विजय कौशल जी महाराज ने आरके मार्केटिंग के नए मार्केटिंग के नए प्रतिष्ठान के उद्घाटन मौके पर मंगलमय परिवार के श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि वर्ष में दो बार आने वाली (चैत्र और कार्तिक माह में) नवरात्रि शरीर शोधन का समय है। जिसमें हमें फलाहार के रूप में छप्पन भोग नहीं बल्कि सात्विक और साधारण भोजन करना चाहिए। हिन्दू जीवन पद्दति, दर्शन, दिनचर्या, रहन-सहन, खान-पान सब कुछ पूर्ण वैज्ञानिक है। आक्रमणकारियों द्वारा हमारे शास्त्र और आचार्यों को काफी नष्ट भ्रष्ट किया जिसके कारण आज परम्पराएं तो नजर आती हैं, लेकिन उसका तत्व नहीं। हिन्दू धर्म के प्रति आत्म ज्ञान न होने से गलतफहमिया बनी हुई हैं। कहा कि विरक्त व्यक्ति को भगवत ज्ञान तो हो सकता है, लेकिन भगवत साक्षात्कार नहीं। घर परिवार की जिम्मेदारी छोड़ने से सिर्फ आश्रम में रहने का अच्छा स्थान प्राप्त हो सकता है, ईश्वर नहीं। पूजा पाठ क्रिया है, ईश्वर प्राप्ति के लिए तो सत्य, भक्ति और सरलता चाहिए।