Sharad Purnima 2024: Moon sighting on Sharad Purnima is very auspicious, know what to do in the night
आगरालीक्स….शरद पूर्णिमा पर 15 मिनट चांद को जरूर निहारें. धवल चांदनी में सुई के अंदर धागा डालने की कोशिश करें. खीर भी खाएं..जानिए शरद पूर्णिमा की रात को क्या—क्या कर सकते हैं और इससे क्या होता है लाभ
इस रात को हजार काम छोड़कर 15 मिनट चन्द्रमा को एकटक निहारना। एक-आध मिनट आँखें पटपटाना। कम-से-कम 15 मिनट चन्द्रमा की किरणों का फायदा लेना, ज्यादा करो तो हरकत नहीं। इससे 32 प्रकार की पित्तसंबंधी बीमारियों में लाभ होगा, शांति होगी।फिर छत पर या मैदान में विद्युत का कुचालक आसन बिछाकर लेटे-लेटे भी चंद्रमा को देख सकते हैं। जिनको नेत्रज्योति बढ़ानी हो वे शरद पूनम की रात को सुई में धागा पिरोने की कोशिश करें।इस रात्रि में ध्यान-भजन, सत्संग कीर्तन, चन्द्रदर्शन आदि शारीरिक व मानसिक आरोग्यता के लिए अत्यन्त लाभदायक है।शरद पूर्णिमा की शीतल रात्रि में (9 से 12 बजे के बीच) छत पर चन्द्रमा की किरणों में महीन कपड़े से ढँककर रखी हुई दूध-पोहे अथवा दूध-चावल की खीर अवश्य खानी चाहिए। देर रात होने के कारण कम खायें, भरपेट न खायें, सावधानी बरतें।
विशेष ~ 16 अक्टूबर 2024 बुधवार को शरद पूर्णिमा शरद पूनम की रात दिलाये आत्मशांति, स्वास्थ्यलाभ
16 अक्टूबर 2024 बुधवार को शरद पूर्णिमा है ।
आश्विन पूर्णिमा को ‘शरद पूर्णिमा’ बोलते हैं । इस दिन रास-उत्सव और कोजागर व्रत किया जाता है । गोपियों को शरद पूर्णिमा की रात्रि में भगवान श्रीकृष्ण ने बंसी बजाकर अपने पास बुलाया और ईश्वरीय अमृत का पान कराया था । अतः शरद पूर्णिमा की रात्रि का विशेष महत्त्व है । इस रात को चन्द्रमा अपनी पूर्ण कलाओं के साथ पृथ्वी पर शीतलता, पोषक शक्ति एवं शांतिरूपी अमृतवर्षा करता है।
शरद पूर्णिमा की रात को क्या करें, क्या न करें ?
दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चाँदनी में विशेष हितकारी रस, हितकारी किरणें होती हैं । इन दिनों चन्द्रमा की चाँदनी का लाभ उठाना, जिससे वर्षभर आप स्वस्थ और प्रसन्न रहें । नेत्रज्योति बढ़ाने के लिए दशहरे से शरद पूर्णिमा तक प्रतिदिन रात्रि में 15 से 20 मिनट तक चन्द्रमा के ऊपर त्राटक करें अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं जो भी इन्द्रियाँ शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करने के लिए चन्द्रमा की चाँदनी में खीर रखना और भगवान को भोग लगाकर अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना कि ‘हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ायें ।’ फिर वह खीर खा लेना ।इस रात सुई में धागा पिरोने का अभ्यास करने से नेत्रज्योति बढ़ती है शरद पूनम दमे की बीमारी वालों के लिए वरदान का दिन है।
चन्द्रमा की चाँदनी गर्भवती महिला की नाभि पर पड़े तो गर्भ पुष्ट होता है शरद पूनम की चाँदनी का अपना महत्त्व है लेकिन बारहों महीने चन्द्रमा की चाँदनी गर्भ को और औषधियों को पुष्ट करती है अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर में जो जलीय अंश है, सप्तधातुएँ हैं, सप्त रंग हैं, उन पर भी चन्द्रमा का प्रभाव पड़ता है । इन दिनों में अगर काम-विकार भोगा तो विकलांग संतान अथवा जानलेवा बीमारी हो जाती है और यदि उपवास, व्रत तथा सत्संग किया तो तन तंदुरुस्त, मन प्रसन्न और बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रकाश आता है खीर को बनायें अमृतमय प्रसाद खीर को रसराज कहते हैं सीताजी को अशोक वाटिका में रखा गया था रावण के घर का क्या खायेंगी सीताजी! तो इन्द्रदेव उन्हें खीर भेजते थे खीर बनाते समय घर में चाँदी का गिलास आदि जो बर्तन हो, आजकल जो मेटल (धातु) का बनाकर चाँदी के नाम से देते हैं वह नहीं, असली चाँदी के बर्तन अथवा असली सोना धो-धा के खीर में डाल दो तो उसमें रजतक्षार या सुवर्णक्षार आयेंगे।
लोहे की कड़ाही अथवा पतीली में खीर बनाओ तो लौह तत्त्व भी उसमें आ जायेगा । इलायची, खजूर या छुहारा डाल सकते हो लेकिन बादाम, काजू, पिस्ता, चारोंजी ये रात को पचने में भारी पड़ेंगे । रात्रि 8 बजे महीन कपड़े से ढँककर चन्द्रमा की चाँदनी में रखी हुई खीर 11 बजे के आसपास भगवान को भोग लगा के प्रसादरूप में खा लेनी चाहिए । लेकिन देर रात को खाते हैं इसलिए थोड़ी कम खाना और खाने से पहले एकाध चम्मच मेरे हवाले भी कर देना । मुँह अपना खोलना और भाव करना : ‘लो महाराज ! आप भी लगाओ भोग ।’ और थोड़ी बच जाय तो फ्रिज में रख देना । सुबह गर्म करके खा सकते हो ।(खीर दूध, चावल, मिश्री, चाँदी, चन्द्रमा की चाँदनी – इन पंचश्वेतों से युक्त होती है, अतः सुबह बासी नहीं मानी जाती ।
शरद पूर्णिमा पर क्या करें और क्या नहीं, इस रात खीर बनाने एवं पाने की भी है प्रमुख विधि
दशहरे से शरद पूर्णिमा तक चन्द्रमा की चांदनी में विशेष हितकारी किरणें होती हैं। इनमें विशेष रस होते हैं। इन दिनों में चन्द्रमा की चांदनी का लाभ लेने से वर्षभर मानसिक और शारीरिक रूप से स्वास्थ्य अच्छा रहता है। प्रसन्नता और सकारात्मकता भी बनी रहती है। इस बार शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर बुधवार को मनाई जाएगी। इस रात कुछ खास बातों का भी ध्यान रखना चाहिए। जिससे खीर को दिव्य औषधि बनाया जा सकता है और इस खीर विशेष तरह से खाने पर इसका फायदा भी मिलेगा
शरद पूर्णिमा पर अश्विनी कुमारों के साथ यानी अश्विनी नक्षत्र में चंद्रमा पूर्ण 16 कलाओं से युक्त होता है। चंद्रमा की ऐसी स्थिति साल में 1 बार ही बनती है। वहीं ग्रंथों के अनुसार अश्विनी कुमार देवताओं के वैद्य हैं। इस रात चंद्रमा के साथ अश्विनी कुमारों को भी खीर का भोग लगाना चाहिए। चन्द्रमा की चांदनी में खीर रखना चाहिए और अश्विनी कुमारों से प्रार्थना करना चाहिए कि हमारी इन्द्रियों का बल-ओज बढ़ाएं।जो भी इन्द्रियां शिथिल हो गयी हों, उनको पुष्ट करें। ऐसी प्रार्थना करने के बाद फिर वह खीर खाना चाहिए
शरद पूर्णिमा पर बनाई जाने वाली खीर मात्र एक व्यंजन नहीं होती है। ग्रंथों के अनुसार ये एक दिव्य औषधि होती है। इस खीर को गाय के दूध और गंगाजल के साथ ही अन्य पूर्ण सात्विक चीजों के साथ बनाना चाहिए। अगर संभव हो तो ये खीर चांदी के बर्तन में बनाएं। इसे गाय के दूध में चावल डालकर ही बनाएं। ग्रंथों में चावल को हविष्य अन्न यानी देवताओं का भोजन बताया गया है
महालक्ष्मी भी चावल से प्रसन्न होती हैं। इसके साथ ही केसर, गाय का घी और अन्य तरह के सूखे मेवों का उपयोग भी इस खीर में करना चाहिए। संभव हो तो इसे चंद्रमा की रोशनी में ही बनाना चाहिए
चंद्रमा मन और जल का कारक ग्रह माना गया है। चंद्रमा की घटती और बढ़ती अवस्था से ही मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं। अमावस्या और पूर्णिमा को चन्द्रमा के विशेष प्रभाव से समुद्र में ज्वार-भाटा आता है। जब चन्द्रमा इतने बड़े दिगम्बर समुद्र में उथल-पुथल कर विशेष कम्पायमान कर देता है तो हमारे शरीर केजलीय अंश, सप्तधातुएं और सप्त रंग पर भी चंद्रमा का विशेष सकारात्मक प्रभाव पड़ता है
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परम पूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरू रत्न भंडार वाले पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़ यूपी. व्हाट्सएप नंबर-9756402981,8272809774