आगरालीक्स(20th September 2021 Agra News)… श्राद्ध पक्ष में तर्पण के लिए इस बार तीन तिथियां हैं सर्वोत्तम. जानिए तर्पण की अति उत्तम विधि और स्थान.
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के अध्यक्ष पंडित ह्रदयरंजन शर्मा ने बताया कि श्राद्ध पक्ष आज से शुरू हो गए हैं। यह छह अक्तूबर तक चलेंगे। उन्होंने बताया कि इस दौरान सभी अपने पितरों के तर्पण के लिए भोजन निकालते हैं।
तर्पण हेतु सर्वोत्तम तिथियां
पंडित हृदय रंजन ने बताया कि 25 सितंबर पंचमी, 30 सितंबर नवमी, 06 अक्टूबर अमावस्या तिथि तर्पण के लिए सर्वोत्तम तिथियां हैं। उन्होंने बताया कि जो व्यक्ति साधन संपन्न नहीं है धनहीन है, वे केवल एक हाथ में काले तिल और गंगाजल लेकर पूरी आस्था श्रद्धा विश्वास के साथ अपने पूर्वजों को मन में स्मरण करते हुए सूर्य को अर्पित करे। मन में प्रार्थना करनी चाहिए, हे सूर्य देव मैं साधन संपन्न नहीं हूं, धन हीन हूं, अतः प्रणाम श्रद्धा व भक्ति भाव से परिपूर्ण है। सूर्य भगवान इसे स्वीकार करें। ऐसा करके उसे सूर्य भगवान पर चढ़ा देना चाहिए। इससे तृप्ति और संतुष्टि प्राप्त होती है। यही तर्पण की आसान और अति उत्तम विधि है।

तर्पण से सभी पितर होते हैं संतुष्ट
ब्राह्मण भोज से एक पितृएवं और तर्पण से सभी पितर तृप्त और संतुष्ट होते हैं। इस विषय में बताते हुए पंडित हृदय रंजन ने कहा कि गया की फल्गु नदी में स्नान और तर्पण करने से पितरों को देव योनि मिल जाती है। हिंदू समाज में यह दृढ़ विश्वास है कि गया में पिंडदान करने से उनकी सात पीढ़ियों के पितरों को मुक्ति मिल जाती है। गया के अलावा भारत माता की पावन भूमि में कई ऐसे स्थान हैं, जहां लोग पितृदोष के लिए अनुष्ठान कर सकते हैं। जैसे महाराष्ट्र में त्रंबकेश्वर, गंगासागर, हरियाणा पिहोबा यूपी में गढ़गंगा, उत्तराखंड में हरिद्वार भी श्राद्ध कर्म के लिए उपयुक्त स्थान है।
यह भी महत्वपूर्ण स्थान
अकाल मृत्यु को प्राप्त होने वाले पितरों का श्राद्ध जगन्नाथपुरी में, बीमारी से मृत्यु प्राप्त होने वाले पितरों का श्राद्ध और पिंडदान ओम्कारेश्वर में किया जाता है। जिन का वंश आगे नहीं बढ़ता वह अकेले मृत्यु को प्राप्त होते हैं, ऐसे पितरों का पिंडदान पशुपतिनाथ नेपाल या कैलाश मानसरोवर में करना अति उत्तम है।