आगरालीक्स…’बडी देर भई नदलाला, तेरी राह तकें ब्रजवाला’ श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर समूचे ब्रज में चहुंओर जगमग. 50 लाख से अधिक श्रद्धालु पहुंचे. फोटो देखकर आपका मन हो जाएगा खुश
बड़ी देर भई नंदलाला, तेरी राह तकें ब्रजवाला… पूछें इक इक से कहां है मुरली वाला। कान्हा की नगरी में लाखों श्रद्धालु आपने पालन हार के आगमन की अधीरता से प्रतीक्षा कर रहे हैं। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व ब्रज में धूमधाम से मनाया जा रहा है। चहुंओर जगमग और उल्लास छाया हुआ है। मठ मंदिर और तिराहे चौराहे दूधिया रोशनी में झिलमिला रहे हैं। हर ओर उमंग उत्साह और उल्लास छाया हुआ है। हर कोई अपने लाला के आगमन की अधीरता से प्रतीक्षा कर रहा है। गरीब, अमीर का भेद मिट गया है। कोई घास फूंस की कुटिया बना कर लाला को रिझाने का प्रयास कर रहा है तो कोई स्वर्ण रजत हिंडोले में झेलाने को आतुर है। तैयारियां मंदिरों में भी बड़े स्तर पर पूरी कर ली गई हैं। मंदिर परिसरों को भव्य लाइटों से सजाया गया है। जिससे आने वाले किसी भी तीर्थ यात्री को कोई तकलीफ न हो और इसके लिए भी व्यवस्था की जा रही है। तीर्थ यात्रियों के लिए मुख्य द्वार से केवल प्रवेश की व्यवस्था रहेगी और अन्य दो द्वारों से निकास की व्यवस्था रहेगी।
ठा. द्वारकाधीश में मंदिर में भी आज ही मनाई जाएगी जन्माष्टमी
ठाकुर मंदिर द्वारकाधीश में मंदिर में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। मीडिया प्रभारी राकेश तिवारी एडवोकेट ने बताया कि 19 अगस्त को दर्शन के समय में निम्न परिवर्तन रहेगा। मंगला प्रातः काल 6.00 बजे से 6.15 तक रहेगी और 6.30 पर ठाकुर जी का पंचामृत अभिषेक होगा तत्पश्चात लगभग 8.30 पर श्रृंगार के दर्शन खुलेंगे और सेवा चालू रहेगी और उसके बाद ग्वाल और राजभोग के दर्शन होंगे उद्यापन के दर्शन जो सायं काल 4.00 बजे होते थे। वह सायंकाल 7.30 पर होंगे उसके बाद सेवा चालू रहेगी और रात्रि 10.00 बजे जागरण की पहली झांकी खुलेगी और झांकियां निरंतर चलती रहेगी और 11.45 पर ठाकुर जी के जन्म के दर्शन होंगे। 20 अगस्त को मंदिर के प्रांगण में भव्य नंद महोत्सव का आयोजन किया जाएगा और वह प्रातः काल 10.00 बजे होगा और उसके बाद सेवा चालू रहेगी और उस दिन सायंकाल 4.30 से 5.00 बजे ठाकुर जी शयन करेंगे और 5.00 बजे बाद कोई दर्शन 20 अगस्त को नहीं खुलेंगे।
गोकुल के नंदभवन में हुआ लाला का छठी पूजन
कंस के कारागार में भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को अजन्मे का जन्म होगा। भगवान श्रीकृष्ण रात रात के 12 बजे मथुरा में कंस के कारागार मंे अवतरित होंगे। इससे पहले जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर यानी सप्तमी की शाम को गोकुल के नंद भवन में लाला की छठी पूजी गई। बच्चे के जन्म के छटवें दिन छटी पूजन होता है लेकिन कान्हा छटी पूजन उनके जन्म के ठीक एक साल बाद यानी पहले जन्मदिन की पूर्व संध्या पर हुआ था। पुजारी मथुरादास का कहना है कि मैया यशोदा ने राक्षसों के डर से लाला का छठ पूजन नहीं किया था। मथुरा में कंस के कारागार में जन्मे भगवान श्रीकृष्ण को वासुदेव जी रात में ही उफनती यमुना नदी से होकर गोकुल में नदबाबा के यहां पहुंचा आए थे। रात में कंस के कारागार में जन्मे देवकीनंदन सुबह गोकुल में नंदनंदन हो गए। गोकुल वासी हर्षित हो उठे लेकिन कान्हा के आगमन की खुशियां नहीं मना पाए। रात में ही आकाशवाणी हुई और कंस को यह अवगत हो चुका था उसके मारने वाला ब्रज में पैदा हो चुका है। कंस ने नवजातों को मारने का आदेश दे दिया था। कान्हा के आगमन की कंस को पता न चले इसके लिए कान्हा को छुपा कर रखा गया। इस आपाधापी में माता यशोदा लाला की छठी पूजना भी भूल गई। जब कान्हा एक साल के हो गए और पहला जन्मदिन मनाने का अवसर आया तो शाम को नंदबाबा ब्राह्मणों के पास पहुंचे लेकिन उन्हें पता चला कि लाला का छठी पूजन नहीं हुआ है और अभी तक सोबर चल रही है। ऐसे में जन्मोत्सव पर पूजन नहीं हो सकता। आनन फानन में जन्मोत्सव की पूर्व संध्या पर लाला की छटी पूजी गई। इस परंपरा को गोकुलवासी परंपरागत रूप से आज भी निर्वान्ह कर रहे हैं। नंद भवन में जन्माष्टमी की पूर्व संध्या पर प्रतिवर्ष लाला का छठी पूजन विधि विधान से किया जाता है।
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