आगरालीक्स… देव प्रबोधिनी एकादशी 12 नवंबर के दिन ही खाटू श्यामजी बाबा का प्राकट्य हुआ था। हारे का सहारा बाबा खाटूश्याम के बारे जानें विस्तार से।
श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को दिया खाटू श्यामजी नाम
श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान एवं गुरु रत्न भंडार वाले ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताते हैं कि खाटू श्याम बर्बरीक के रूप है। श्रीकृष्ण ने ही बर्बरीक को खाटूश्यामजी नाम दिया था। भगवान श्रीकृष्ण के कलयुगी अवतार खाटू श्यामजी खाटू में विराजित हैं। वीर घटोत्कच और मौरवी को एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जिसके बाल बब्बर शेर की तरह होने के कारण इनका नाम बर्बरीक रखा गया
अनगिनत नामों से जाना जाता
बर्बरीक को आज हम खाटू के श्याम, कलयुग के अवतार, श्याम सरकार, तीन बाणधारी, शीश के दानी, खाटू नरेश व अन्य अनगिनत नामों से जानते व मानते हैं।
बर्बरीक के बलिदान पर श्रीकृष्ण ने दिया था वरदान
कृष्ण वीर बर्बरीक के महान् बलिदान से काफ़ी प्रसन्न हुये और वरदान दिया कि कलियुग में तुम श्याम नाम से जाने जाओगे, क्योंकि कलियुग में हारे हुये का साथ देने वाला ही श्याम नाम धारण करने में समर्थ है। खाटूनगर तुम्हारा धाम बनेगा और उनका शीश खाटूनगर में दफ़नाया गया
रींगस में है खाटू श्याम का मंदिर
श्री खाटू श्याम मंदिर जयपुर से उत्तर दिशा में वाया रींगस होकर 80 किलोमीटर दूर पड़ता है। रींगस पश्चिमी रेलवे का जंक्शन है।
खाटू श्याम का नाम भजने से मोझ की प्राप्ति
आज यह सच हम अपनी आँखों से देख रहे हैं की उस युग के बर्बरीक आज के युग के श्याम हैं और कलयुग के समस्त प्राणी श्याम जी के दर्शन मात्र से सुखी हो जाते हैं उनके जीवन में खुशियों और सम्पदाओं की बहार आने लगती है और खाटू श्याम जी को निरंतर भजने से प्राणी सब प्रकार के सुख पाता है और अंत में मोक्ष को प्राप्त हो जाता है।