VSICON 2022 : Amputation of 8 % patient suffering from blockage & Diabetic foot ulcer in India #agra
आगरालीक्स ….आगरा में वैस्कुलर सर्जन आज से चर्चा करेंगे, देश में 70 मिलियन डायबिटिक हैं, इसमें से आठ प्रतिशत के नसों की समस्या के कारण हाथ और पैर काटने पड़ रहे हैं।
होटल ताज कन्वेंशन सेंटर में शुरू हुई तीन दिवसीय द वैस्कुलर सोसायटी आफ इंडिया की 29वीं राष्ट्रीय कार्यशाला में डा. वीएस बेदी ने बताया कि भारत को दुनिया की डायबिटिक कैपिटल कहा जाता है। यहां 70 मिलियन लोगों को डायबिटीज है। इसमें से 17 प्रतिशत को नसों की शिकायत है, जिसमें से आठ प्रतिशत के पैर, उंगलियां या हाथ काटने की स्थिति आ जाती है। नसों से बंधित हर बीमारी का इलाज संभव है, बस मरीज समय से हमारे पास पहुंच जाए। पैरों में आने वाले अटैक पर उन्होंने जानकारी दी कि लोग इस सामान्य कंपन, दर्द या सुन्न होना समझ लेते हैं।यह गंभीर समस्या है।आधे घंटे की सर्जरी से इसे ठीक किया जा सकता है।

समिति के सचिव डा. तपिश साहू ने बताया कि गुरुवार को कार्यशाला में आयोजित सीएमई(कंटीन्य मेडिकल एजुकेशन)में देश भर से ट्रेनिंग लेने आए 50 वैस्कुलर सर्जन, 20 जनरल सर्जन, 20 नर्स व टैक्नीशियन को नसों से जुड़ी अलग-अलग बीमारी व इलाज के बारे में ट्रेनिंग दी गई। खून की धमनियों की सूचरिंग (आपरेट करना) सिखाया गया। एआइ साइमोलेटर पर भी आपरेट करना सिखाया गया।सात अक्टूबर को मुख्य अतिथि डा. अभिजात शेठ (अध्यक्ष नेशनल बोर्ड आफ एग्जामिनेशन) कार्यशाला का शुभारंभ करेंगे। नौ अक्टूबर तक वैरीकोज वेंस, डायलिसिस के मरीजों के लिए बनाया जाने वाले एवी फिस्टुला, एओरटिक एनेयुरिज्म, डीप वेन थ्रोमबोसिस, डायबिटिक फुट अल्सर पर विशेषज्ञ चर्चा करेंगे। दी डायलिसिस एसेस सोसायटी आफ सिंगापुर, मायो क्लीनिक (यूएसए) वैस्कुलर सर्जरी, वर्ल्ड फेडरेशन आफ वैस्कुलर सर्जन के पदाधिकारी और सदस्य कार्यशाला में शामिल होने के लिए आएंगे। कार्यशाला में भारत में वैस्कुलर सोसायटी के संस्थापकों को सम्मानित किया जाएगा। कार्यशाला में 400 चिकित्सक और 100 ट्रेनी भाग ले रहे हैं। डा. संजीव अग्रवाल ने बताया कि पिछले कुछ सालों में वैरीकोज वेंस की समस्या बढ़ी है।यदि कुछ समय खड़े रहने पर ही पैरों में थकान और सूजन आ जाती है और नसों में कालापन बढ़ रहा है यह वैरीकोज वेंज के लक्षण है।इसमें नसों के वाल्व खराब हो जाने से पैरों में नसों के गुच्छे बन जाते हैं। इंग्लैंड से आए डा.नंदन ने बताया कि नसों की बीमारियों में एक बीमारी होती है, जिसमें नसें बड़ी हो जाती हैं। ऐसा पेट की नसों के साथ भी होता है। आज के समय में एेसी तकनीक है, जिसमें बिना पेट चीरे बड़ी नस को काट कर छोटा किया जा सकता है।यूएसए से आईं डा. मंजू कालरा ने कहा कि भारत में सभी इलाज हैं, बस उसे बढ़ाना है।लोगों की पहुंच तक लाना है।