आगरालीक्स…(5 August 2021 Agra news) एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी. मां बनने के दौरान महिलाओं के लिए कितनी खतरनाक होता है एनीमिया..डॉक्टर ने बताए उपाय
- रेनबो हाॅस्पिटल में आयोजित कार्यशाला में एनीमिया से बचाव, इलाज पर हुआ मंथन
- एनीमिया के विभिन्न प्रकारों के साथ ही एक्यूट और क्राॅनिक एनीमिया पर दी अहम जानकारी
रेनबो में हुई कार्यशाला
एनीमिया यानि शरीर में खून की कमी। हमारे शरीर में हीमोग्लोबिन एक ऐसा तत्व है जो शरीर में खून की मात्रा बताता है। पुरूषों में इसकी मात्रा 12 से 16 प्रतिशत और महिलाओं में 11 से 14 के बीच होनी चाहिए। भारत में एनीमिया एक विकराल समस्या है, इसलिए बेहतर प्रबंधन जरूरी है। यह कहना है विशेषज्ञों का। रेनबो हाॅस्पिटल में शुक्रवार को एनीमिया प्रबंधन और स्टेम सेल थैरेपी से इलाज पर एक कार्यशाला आयोजित की गई। रेनबो आईवीएफ की निदेशक डा. जयदीप मल्होत्रा ने कहा कि शिशु जन्म सिर्फ मां के लिए ही नहीं बल्कि समस्त परिवार के लिए सुखद अनुभूति होता है। गर्भावस्था में बेहतर शिशु विकास एवं प्रसव के दौरान होने वाले रक्त स्त्राव प्रबंधन के लिए महिलाओं में पर्याप्त मात्रा में खून होना आवश्यक है।
सर्जरी के दौरान भी हीमोग्लेबिन का स्तर मानक के अनुरूप होना चाहिए
वरिष्ठ न्यूरोसर्जन डा. आरसी मिश्रा ने कहा कि सर्जरी के मामलों में भी यह सुनिश्चित कर लेना जरूरी है कि मरीज के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर मानकों के अनुरूप होना चाहिए। 10 से उपर होने पर ही आॅपरेट करने का जोखिम उठाया जा सकता है और इसके अलावा भी दूसरी स्थितियां देखनी होती हैं। सर्जरी के दौरान या बाद में खून की कमी होने से कई तरह की समस्याएं पैदा हो सकती हैं। रेनबो हाॅस्पिटल के निदेशक डा. नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि महिलाओं में खून की कमी दूर करने के लिए अब बहुत ही एडवांस दवाएं उपलब्ध हैं। गर्भावस्था के नौ महीनों में एक से दो इंजेक्शन दिए जाते हैं और पूरे समय खून की कमी नहीं होती। एनीमिया को खत्म करके हम मातृ मृत्यु दर को 20 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।
कई जरूरी जानकारियां भी दीं
आईसीयू हैड डा. वंदना कालरा ने कहा कि खून की कमी को देखते हुए आॅपरेशन से पहले कौन सी दवाएं दे सकते हैं। खून चढ़ाने की आवश्यकता कब, किन परिस्थितियों में होती है। यह सब सुनिश्चित करना होता है। क्रिटिकल केयर एक्सपर्ट डा. पायल सक्सेना ने कहा कि एक्यूट एनीमिया जैसे दुर्घटना में ब्लड लाॅस होने आदि की स्थिति में तुरंत खून चढ़ाने की आवश्यकत हो सकती है, लेकिन क्राॅनिक एनीमिया को दवाओं के सहारे ठीक किया जाता है। कई बार अत्यधिक खून की कमी होने पर इसमें भी खून चढ़ाने की आवश्यकता होती है। वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डा. मनप्रीत शर्मा ने गर्भवती महिलाओं में एनीमिया मैनेजमेंट पर विस्तार से जानकारी दी। संचालन डा. केशव मल्होत्रा ने किया।
स्टेम सेल थैरेपी से चमत्कार संभव
कार्यशाला का दूसरा विषय स्टेम सेल थैरेपी था। री जनरेटिव मेडिसिन विशेषज्ञ डा. सुधीर धाकरे ने स्टेम सेल थैरेपी से इलाज पर अपने अनुभव साझा किए। कहा कि आज से कई साल पहले तक इलाज की यह पद्धति भारत में उपलब्ध नहीं थी लेकिन अब यह आगरा में भी है। जरूरत है इस पर थोड़ा काम करने की और लोगों को जागरूक करने की। स्टेम सेल थैरेपी भविष्य की इलाज पद्धति है। यह जानलेवा बीमारियों में मददगार साबित हो रही है। एल्कोहलिक लिवर सिरोसिस समेत जटिल रोगों के 100 से अधिक लोगों की स्टेम सेल थैरेपी से आगरा में जान बचा चुके हैं। स्टेम सेल से चमत्कार किया जा सकता है। रेनबो हाॅस्पिटल में इस डिपार्टमेंट की हाल ही में शुरूआत की गई है, लेकिन यह अभी बेसिक स्तर पर है। धीरे-धीरे इसे आगे ले जाने की कोशिश जारी है।
यह रहे मौजूद
डा. राजीव लोचन शर्मा, डा. विनीश जैन, डा. वंदना कालरा, डा. पायल सक्सेना, डा. सुधीर धाकरे, डा. तृप्ति सरन, डा. मनप्रीत शर्मा, डा. सेमी बंसल, डा. राहुल गुप्ता, डा. विशाल गुप्ता, डा. शैली गुप्ता, डा. अनीता यादव, डा. नीरजा सचदेव, डा. रिचा गुप्ता, डा. अंजलि, डा. मिलूना भूषण, डा. निशा अधिकारी, डा. समृद्धि धवन, डा. मीनाक्षी, डा. सुरक्षा त्यागी, डा. अरूण चैधरी, डा. दिनेश राॅय, डा. ऋषभ प्रताप, डा. करिश्मा गुप्ता आदि मौजूद थे।