World Mental Health Day 2022 : Online workshop at Hindustan College, Agra #agra
आगरालीक्स… आगरा में अपराध क्या है, क्यों किया गया है, क्या कारण है, किसने किया है ? इस पर बड़ी चर्चा हुई, स्कूल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड बिहेवियरल साइंसेज कीं डॉ एसएल वाया, डॉ नवीन गुप्ता ने कहा संवेदनशील बनें.
अपराध क्या है, क्यों किया गया है, कौन-कौन से कारक उत्तरदायी हैं ? इसके लिए अपराधी की मानसिकता को समझने की जरूरत है। हालांकि इस पर अनुसंधान जारी हैं लेकिन आगरा में इस पर एक बड़ी चर्चा हुई।
शारदा ग्रुप के हिंदुस्तान इंस्टीट्यूट की ओर से विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को लेकर एक ऑनलाइन कार्यशाला हुई, जिसमें इस क्षेत्र के अनुसंधानकर्ता, वैज्ञानिक, प्रबुद्धजन, प्रवक्ता, उच्च न्यायालय और पुलिस के बड़े अफसर शामिल हुए। मुख्य वक्ता राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय में स्कूल ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड बिहेवियर साइंसेज कीं निदेशक डॉ एसएल वाया ने अहम जानकारियां दीं और अपने अनुभव साझा किए। निठारी कांड और आरुषि मर्डर केस जैसे दिल दहलाने वाले अपराधों में अपराधियों की मानसिकता को समझकर सुप्रीम कोर्ट कीं सहयोगी के रूप में काम करने वालीं डॉ वाया ने कहा कि अपराध के पीछे कई कारण होते हैं। कुछ विद्वान व्यक्ति और उसकी परिस्थितियों को दोषी ठहराते हैं तो कुछ व्यक्ति और समाज को, इन सब के अतिरिक्त मानसिक कारणों को भी अपराध की वजह माना जाता है। प्रश्न किया गया कि सैद्धांतिक मनोवैज्ञान को कार्यस्थल पर कैसे समझा जाए ? डॉ वाया ने कहा कि हम इसे समझ सकते हैं जब हम लोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाएं। इससे दूसरे की मानसिकता को समझने की शक्ति विकसित होती है। संवेदनशील होने के साथ अगर हम ज्यादा जागरूक हो जाएं तो अपराध को रोका भी जा सकता है। उन्होंने अपराध और न्याय प्रक्रिया के कई तकनीकी पहलुओं पर भी चर्चा की।
वहीं बिहेवियर साइंटिस्ट, ट्रेनर एवं मैनेजमेंट विशेषज्ञ डॉ नवीन गुप्ता ने बताया कि हमने हाल में थाईलैंड की घटना के बारे में सुना जिसमें एक व्यक्ति में मासूम बच्चों की हत्या कर दी। हम बढ़ते हुए तलाक के मामले देख रहे हैं। नोएडा के कई वायरल वीडियो मामले हाल में हमने देखे जिनमें आक्रामकता बाहर आती दिख रही है। जाहिर है कि मानसिक अस्वस्थता बढ़ रही है, जिससे हम असंवेदनशील, हमलावर और आक्रामक हो रहे हैं। खुद पर नियंत्रण खो रहे हैं। यह दर्शाता है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान न दिया गया तो यह हिंसा को बढ़ा देगा। इसलिए जरूरी है कि समाज के सभ्य, प्रबुद्धजन, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक, प्रशासन और पुलिस के अधिकारी, अधिवक्ता, समाजसेवी, चिकित्सक और संस्थाएं आगे आएं और आम आदमी के मानसिक स्वास्थ्य पर एक साथ काम करें। लोगों को यह समझाना जरूरी है कि हमारे जिस तरह हम शरीर से परेशान होकर एक चिकित्सक के पास जाते हैं ऐसे ही मन-मस्तिष्क से परेशान होने पर इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के पास जाना चाहिए। इसमें कोई शर्मिंदगी की बात नही है कि आप मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं क्योंकि मस्तिष्क भी शरीर का हिस्सा है। उपचार की जरूरत किसी को भी हो सकती है। अगर आप इस पर बात करने से बचते रहेंगे तो अनजाने में नियंत्रण खो बैठेंगे और किसी किसी अन्य या खुद के लिए खतरा पैदा करेंगे। कभी-कभी बात करने से ही समस्याएं हल हो जाती हैं। यह बहुत आसान है बस जागरूकता के अभाव में हम इसे मुश्किल बना रहे हैं। न्याय मित्र प्रवीण कुमार ने कहा कि हम घरेलू हिंसा, पारिवारिक कलह और तलाक के बढ़ते मामले देख रहे हैं। संयुक्त परिवारों की परंपरा को तोड़ना इसकी मुख्य वजह है। परिवार बचाने होंगे। अमेरिका समेत कई देशों में हुए अध्ययन भी बताते हैं कि हैप्पीनेस का आधार परिवार हैं। संचालन डॉ अभिलाषा ने किया।