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Yogini Ekadashi fast on June 24: Freedom from sins and happiness and prosperity in life
आगरालीक्स.. योगिनी एकादशी कल 24 जून को है। योगिनी एकादशी व्रत करने से पाप मिटते हैं।जीवन में समृद्धि आनन्द मिलती है। जानिये क्या है महत्व।
योगिनी एकादशी व्रत का बहुत है महत्व
गुरु ज्योतिष शोध संस्थान के ज्योतिषाचार्य पं. हृदय रंजन शर्मा के मुताबिक योगिनी एकादशी वह एकादशी है जो निर्जला एकादशी के बाद और देवशयनी एकादशी से पहले आती है, उसे योगिनी एकादशी कहते हैं। उत्तर भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार आषाढ़ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान और दक्षिण भारतीय पञ्चाङ्ग के अनुसार ज्येष्ठ माह में कृष्ण पक्ष के दौरान योगिनी एकादशी पड़ती है।
🔥 लाभ योगिनी एकादशी तीनों लोकों में प्रसिद्ध है। यह माना जाता है कि योगिनी एकादशी का व्रत करना 88 हज़ार ब्राह्मणों को भोजन कराने के बराबर है।
🔥 एकादशी के व्रत को समाप्त करने को पारण कहते हैं। एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है। एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है। यदि द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है। द्वादशी तिथि के भीतर पारण न करना पाप करने के समान होता है।
🔥 एकादशी व्रत का पारण हरि वासर के दौरान भी नहीं करना चाहिए। जो श्रद्धालु व्रत कर रहे हैं उन्हें व्रत खोलने से पहले हरि वासर समाप्त होने की प्रतिक्षा करनी चाहिए। हरि वासर द्वादशी तिथि की पहली एक चौथाई अवधि है। व्रत खोलने के लिए सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है। व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्यान के दौरान व्रत खोलने से बचना चाहिए। कुछ कारणों की वजह से अगर कोई प्रातःकाल पारण करने में सक्षम नहीं है तो उसे मध्यान के बाद पारण करना चाहिए।
🔥 कभी कभी एकादशी व्रत लगातार दो दिनों के लिए हो जाता है। जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब स्मार्त-परिवारजनों को पहले दिन एकादशी व्रत करना चाहिए। दूसरे दिन वाली एकादशी को दूजी एकादशी कहते हैं। सन्यासियों, विधवाओं और मोक्ष प्राप्ति के इच्छुक श्रद्धालुओं को दूजी एकादशी के दिन व्रत करना चाहिए। जब-जब एकादशी व्रत दो दिन होता है तब-तब दूजी एकादशी और वैष्णव एकादशी एक ही दिन होती हैं।
🔥 भगवान विष्णु का प्यार और स्नेह के इच्छुक परम भक्तों को दोनों दिन एकादशी व्रत करने की सलाह दी जाती है।
🔥 आषाढ़ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष योगिनी एकादशी का व्रत शुक्रवार 24 जून 2022 को रखा जाएगा।
योगिनी एकादशी की तिथि और शुभ मुहूर्त
♦एकादशी तिथि प्रारंभ: 23 जून को रात्रि 09 बजकर 41 मिनट से।
♦एकादशी तिथि समाप्त: 24 जून को रात्रि 11बजकर 12 मिनट पर।
♦पारण का समय:25 जून को सुबह 05 बजकर 35 मिनट से सुबह 06 बजकर 06 मिनट तक।
♦पारण के दिन द्ववाद्शी तिथि समाप्त: 25 जून की रात्रि 01 बजकर 09मिनट पर।
योगिनी एकादशी की पूजा विधि
* योगिनी एकादशी के उपवास की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। व्रती को दशमी तिथि की रात्रि से ही तामसिक भोजन का त्याग कर सादा भोजन ग्रहण करना चाहिये और ब्रह्मचर्य का पालन अवश्य करें। हो सके तो जमीन पर ही सोएं। प्रात:काल उठकर नित्यकर्म से निजात पाकर स्नानादि के पश्चात व्रत का संकल्प लें। फिर कुंभस्थापना कर उस पर भगवान विष्णु की मूर्ति रख उनकी पूजा करें। भगवान नारायण की मूर्ति को स्नानादि करवाकर भोग लगायें। पुष्प, धूप, दीप आदि से आरती उतारें। पूजा स्वंय भी कर सकते हैं और किसी विद्वान ब्राह्मण से भी करवा सकते हैं। दिन में योगिनी एकादशी की कथा भी जरुर सुननी चाहिये। इस दिन दान कर्म करना भी बहुत कल्याणकारी रहता है। पीपल के पेड़ की पूजा भी इस दिन अवश्य करनी चाहिये। रात्रि में जागरण करना भी अवश्य करना चाहिये। इस दिन दुर्व्यसनों से भी दूर रहना चाहिये और सात्विक जीवन जीना चाहिये।