आगरालीक्स…..नेताओं के काले धन से रसूखदार बने शैलेंद्र अग्र्रवाल पर उत्तर प्रदेश के दो पूर्व पुलिस महानिदेशक खासे मेहरबान रहे। वही किसी भी जिले से गनर दिला देते थे। हाईकोर्ट के कड़ाई के आदेश के बाद भी उसे जहां से चाहा, वहां से गनर दिला दिए। कुछ गनर के लिए नाम मात्र को रिपोर्ट ली गई, तो कुछ बिना रिपोर्ट के ही स्वीकृत हो गए। विभव नगर में किराए के आलीशान घर में रहने वाले सपा नेता के पास दर्जनभर से अधिक गनर रहे हैं। सत्ता किसी भी पार्टी की रही हो, उसका रसूख कम नहीं हुआ। आखिर क्या राज था जो उसे थोक में गनर मिल गए। क्या उनकी जान को खतरा था या उनको अति विशिष्ट व्यक्ति का दर्जा प्राप्त था। करीब दर्जनभर गनर उसकी पत्नी व कुछ परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर मिले थे। दो तत्कालीन महानिदेशक गनर देने में खासे मेहरबान रहे थे। उनके आदेश से ही आगरा में शैलेंद्र और उसकी पत्नी वंदना के नाम से दो गनर मिले थे। दोनों गनर पेड थे, इसलिए इनका शुल्क भी वह जमा करा देता था। नवंबर 2014 में हाईकोर्ट के नए निर्देशों के बाद आगरा से गनर हटा दिए गए। इसके बाद फिर गनर के निर्देश मिले, तो जनपदीय समिति में प्रस्ताव के बाद फिर से गनर दे दिए गए। फरवरी 2015 में शैलेंद्र के गनर हटा दिए, तब से नहीं मिले थे। डीआइजी लक्ष्मी सिंह ने बताया कि शैलेंद्र को गनर स्थानीय स्तर पर पूर्व डीजीपी के निर्देश पर दिए थे, जो बाद में हटा दिए।
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