‘षमिताभ’ अनोखी व प्रयोगवादी किस्सागोई करने को मशहूर फिल्मकार आर. बाल्की की फिल्म है। ‘षमिताभ’ की कहानी एक गूंगे शख्स की है, जो हिंदी फिल्म इंडस्ट्री का सुपरस्टार बन जाता है। वह भी तब, जब वह न किसी फिल्मकार का सगा-संबंधी है। न उसके पास संसाधन हैं। न वह टिपिकल हीरो जैसा दिखता ही है। वह फिर भी कैसे सितारा बनता है, उस सफर को बाल्की ने विश्वसनीय तरीके से पोट्रे किया है। ‘षमिताभ’ बड़ी खूबसूरती से हिंदी फिल्मकारों व सितारों की लकीर के फकीर वाली सोच व कार्यप्रणाली पर करारा प्रहार कर जाती है। वह माइंडलेस मसाला फिल्मों पर तंज कसते हुए उन्हें आड़े हाथों लेती है। फिल्म में अमिताभ बच्चन के असल जिंदगी से जुड़े अनुभव भी हैं। उन्हें असल जिंदगी में हिंदी फिल्म जगत को बॉलीवुड कहना पसंद नहीं है। उसे एक संवाद से उनका किरदार फिल्म में कह जाता है। फिल्म यह सवाल भी उठाती है कि क्या एक आम चेहरे-मोहरे वाला शख्स कभी सुपरस्टार नहीं बन सकता?
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