आगरालीक्स…उम्र बढ़ने का मतलब सेक्स को अलविदा कहना नही है, देश के बड़े डॉक्टरों ने की चर्चा, आप भी जानें मिथ्स और फैक्ट्स.
सेक्स और अस्तित्व साथ-साथ चलते हैं, सेक्स के बारे में बात करने के लिए एक स्वतंत्र और सुरक्षित मंच के अभाव में अक्सर लोग विशेष रूप से युवा असुरक्षित प्रथाओं में लिप्त हो जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। 04 सितंबर यानि विश्व सेक्सुअल हैल्थ डे पर फेडरेशन आॅफ आॅब्सटेट्रिकल एंड गायनेकोलाॅजिकल सोसायटी आॅफ इंडिया (फाॅग्सी) की ओर से आयोजित वेबिनार में यह बातें देश के वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञों ने कहीं। उन्होंने सबसे ज्यादा जिस बात पर जोर दिया वह है सेक्सुअल कंसेंट। फौगसी के अध्यक्ष डॉ हृषिकेश पाई ने कहा कि लॉन्ग टर्म रिलेशनशिप में यौन सहमति बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपके पार्टनर को कभी यह नही लगना चाहिए कि आपका रिश्ता सिर्फ जिस्मानी है। वहीं उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने इस कार्यक्रम की मध्यस्थता की।
आगरा से इस वेबिनार में शामिल हुए और देश के प्रख्यात सेक्सोलॉजिस्ट डॉ प्रकाश कोठारी ने कहा कि यह दिवस जागरूकता बढ़ाने और स्वस्थ यौन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए वर्ल्ड एसोसिएशन फाॅर सेक्सुअल हेल्थ (वाॅस) की एक पहल है। सेक्स और अस्तित्व साथ-साथ चलते हैं, सेक्स के बारे में बात करने के लिए एक स्वतंत्र और सुरक्षित मंच के अभाव में अक्सर लोग विशेष रूप से युवा असुरक्षित प्रथाओं में लिप्त हो जाते हैं, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है। यौन स्वास्थ्य सिर्फ संबंधों के बारे में नहीं है बल्कि हमारा यौन स्वास्थ्य मेडिकल संबंधी समस्याओं, शिक्षा और यौन व्यवहार को प्रभावित करता है।
40 की उम्र में खुद को रीस्टोर करें
पैनल डिस्कशन की मध्यस्थता कर रहे आगरा के उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल से डॉ नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि उम्र बढ़ने का मतलब सेक्स को अलविदा कहना नही है। अगर आपकी दिलचस्पी इसमें कम हो रही है तो यह काफी हद तक आपके दिमाग और नकारात्मकता की उपज हो सकती है। लोग 40 की उम्र पर ही खुद को बूढ़ा समझने लगते हैं और साथ ही यह भी सोच होती है कि सेक्स की यह उम्र नहीं है। यह गलत है। दूसरी चीजों की तरह ही इस विषय पर सबसे शक्तिशाली अंग हमारा दिमाग ही है। यह निर्भर करता है कि आप अपने मस्तिष्क से कितने युवा हैं। हालांकि अव्यवस्थित जीवनशैली, तनाव आदि वजहों से कई मामलों में 40 की उम्र के बाद हैल्दी सेक्स लाइफ को रीस्टोर करने की जरूरत पड़ रही है।
पैनल डिस्कशन में उठे कई मुद्दे
पैनल डिस्कशन हुआ जिसमें मुख्य अतिथि डाॅ. प्रकाश कोठारी, डाॅ. ऋषिकेश पाई, डाॅ. मो. शमसूल अहसान, डाॅ. पीके शाह, डाॅ. जगदीश एन, डाॅ वीना सत्यनरायन, डाॅ. राहुल वानी, डाॅ. तृप्ति सरन, डॉ नीहारिका मल्होत्रा, डाॅ. शैब्या, डाॅ. संपथ कुमारी, अमोद कांत, पल्लबी घोष, भूमिका रेलिया, अब्दुल फतेह, करन मुलेकल, डॉ अलका अग्रवाल, डॉ शमा सुल्ताना, डॉ नीरज जादव, डॉ सुप्रिया जैसवाल, डॉ अदिति राठौर, डॉ मीणा सामंत आदि ने यौन संबधों की सहमति, यैस और नो, हैज टैग मी टू, कैसे और कब पूछें, बात करना जरूरी, सैक्सुअल असाॅल्ट क्या है, गाइडलाइन्स, उदाहरण, उम्र आदि तमाम विषयों पर चर्चा की। अध्यक्षता डाॅ. आशा बक्शी, डाॅ. अल्का पांडे ने की।