आगरालीक्स…छह रोटी और घर में 8 सदस्य….बच्चों को टुकड़ों में मिली तो मां की खत्म हो गई जीने की चाह, दे दी जान….मार्मिक और दिल को झकझोर देने वाली खबर
उस दिन संडे था…अगर संडे न होता तो बच्चे भूखे न होते, बच्चे भूखे न होते तो सुमन को अपनी जान नहीं देनी पड़ती…उत्तर प्रदेश के एटा जिले से एक बहुत ही मार्मिक और दिल को झकझोर देनी वाली खबर सामने आई है. यहां एक महिला सुमन ने कीटनाशक पीकर अपनी जान दे दी, लेकिन जान देने की जो वजह है वो है उसके बच्चों का भूखा होना. पति की मौत के बाद विधवा महिला के पास उसके छह बच्चे और सास की जिम्मेदारी थी. घर में 8 सदस्य थे लेकिन रोटी बनी सिर्फ छह, ऐसे में जब बच्चों के पास रोटी टुकड़ों में पहुंची तो बेचारी मां का कलेजा फट गया और जीने की आस खत्म हो गई.
दो साल पहले हो गई थी पति की मौत
घटना एटा के नगला नवल की है. यहां वृद्धा रामबेटी रहती हैं. दो साल पहले इनके एक बेटा, बहू सुमन और इनके छह बच्चे थे. लेकिन दो साल पहले इनके बेटे की मौत् हो गई. ऐसे में परिवार के भरण पोषण की पूरा भार सुमन पर था. बच्चे स्कूल जाते थे तो मध्यान्ह भोजन से पेट भर जाता था लेकिन रविवार को स्कूल बंद था. ऐसे में बच्चे भूखे ही रह गए.
8 लोगों के लिए 6 रोटियां बनीं
घर में जितना आटा था, उससे केवल छह रोटियां बनीं. ऐसे में ये रोटियां टुकड़ों में बंटी तो सुमन का कलेजा भर आया. यहीं उसे उसके जीने की चाह खत्म हो गई और अगले दिन सोमवार को जान दे दी.
छह बच्चों में सबसे बड़ी बेटी छाया ने बताया कि पापा की मौत के बाद घर का गुजारा करना मुश्किल हो रहा था. हम लोगों के खाने के लिए पर्याप्त भोजन तक नहीं मिल पा रहा था जिसके कारण मां मानसिक रूप से परेशान रहती थी. घर पर काम करने के बाद दूसरों के खेतों पर मजदूरी कर किसी तरह बच्चों को पालती थी. छाया ने बताया वह और उसकी बहनें मोहिनी, सुधा और संतोषी के साथ भाई कन्हैया सरकारी स्कूल में पढ़ने के लिए जाता था. छोटा भाई विवेक घर पर ही रहता है. छाया ने बताया कि स्कूल में हम मध्यान्ह का भोजन खा लेते थे लेकिन रविवार को छुट्टी थी तो हम लोग घर पर ही थे तो दिन में खाना नहीं मिला. शाम को घर पर मुट्ठीभर आटा था जिससे छह रोटियां ही बन पाईं.
वृद्धा रामबेटी ने रोते हुए बताया कि रोटी टुकड़ों में बच्चों के पास पहुंची तो किसी का पेट नहीं भरा. उसके पास भी रोटी का टुकड़ा आया. इस बात से सुमन बहुत दुखी हो गई और अगले दिन सोमवार को उसने जान दे दी.
छाया ने बताया कि दादी के नाम राशनकार्ड है और उसमें पांच लोगों के नाम दर्ज है. सोमवार को मां एटा शहर गई थी और शाम को लौटते समय खेत में लगाने के लिए कीटनाशक दवा लेकर आई थी. छाया ने बताया कि यह दवा मां ने खा ली और उसे बुलाया और कहा कि बेटी तुम सबसे बड़ी और समझदार हो, मैं तो जा रही हूं, अब तुम अपने साथ ही इन सबका ख्याल रखना और परिवार संभालना. सुमन की विधवा पेंशन भी हाल ही में बनी थी जिसके लिए सिर्फ 3000 रुपये ही पहली किस्त के रूप में आए थे.