मंगलवार 11 बजे बादल छाने लगे और अंधेरा हो गया, इसके बाद बिजली कडकने लगी और बारिश शुरू हो गई। आकाशीय बिजली की आवाज इतनी तेज थी कि लोग सकते में आ गए। इसी बीच 11 30 बजे सिकंदरा स्मारक पर आकाशीय बिजली गिर गई और पत्थर टूट कर गिर गए। ताजमहल पर भी बादलों की तेज आवाज से पर्यटकों में खलबली मच गई।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षण पुरातत्वविद डॉ. भुवन विक्रम के अनुसार स्मारकों को बिजली से बचाने के लिए इस तरह की व्यवस्था की गई है। इसलिए कोई खास नुकसान नहीं हुआ।
क्या है आकाशीय बिजली
आसमान में बादल तेज वेग के साथ आपस में टकराते हैं, इससे घर्षण उत्पन्न होता है। इस घर्षण से बिजली उत्पन्न होती है बूंदें इसका प्रवाह नहीं रोक पाती हैं तो आकाशीय बिजली धरती पर कंडक्टर तलाशती है।
आकाशीय बिजली का तापमान सूर्य की उपरी सतह से भी अधिक होता है, इसकी क्षमता 300 12 5 किलोवाट यानि 12 5 करोड वाट होती है, आकाशीय बिजली मिली सेकेंड से भी कम समय के लिए ठहरती है। यह लोगों के सिर, गले और कंधों पर असर करती है।
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