Agra: Light a lamp at these five places on Pitra Amavasya #agranews
आगरालीक्स (04th October 2021 Agra News)… पितृ अमावस्या पर इन पांच स्थानों पर जलाएं दीपक. मिलेगा पितरों का आशीर्वाद और देवों की कृपा.
देव पितृ कार्ये अमावस्या छह अक्टूबर बुधवार को है। प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में पांच स्थानों में तेल का दीपक जलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है। मां लक्ष्मी का स्थाई निवास होता है। इसके अलावा पितर भी खुश होते हैं।
तुलसी के निकट जलाएं एक दीपक
हिंदू धर्म में तुलसी को सर्वाधिक पवित्र और माता स्वरूप माना जाता है। सभी हिन्दू परिवारों में तुलसी अवश्य ही मिलती है। तुलसी मां को घर-घर में पूजा जाता है। भगवान श्री विष्णु और उनके सभी अवतारों को तुलसी के बिना भोग सम्पूर्ण ही नहीं समझा जाता है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में तुलसी के निकट एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए। इससे भगवान विष्णु अति प्रसन्न होते हैं। मां लक्ष्मी भी उस घर को कभी भी छोड़ कर नहीं जाती है।
मुख्य द्वार को रखें साफ
शास्त्रों और वास्तु के अनुसार, घर के मुख्य द्वार को बहुत साफ और सजा कर रखना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा रहती है। शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में घर के मुख्य द्वार के दोनों ओर एक—एक दीपक अवश्य ही जलाएं। इससे घर में प्रेम, हर्ष-उल्लास और ऊर्जा का वातावरण बनता है। मां लक्ष्मी की असीम कृपा बनती है।
छत पर जलाएं एक दीपक
शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की रात में घर की छत पर भी एक दीपक अवश्य ही जलाएं। इससे घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। घर में किसी भी अशुभ शक्तियों का प्रवेश नहीं होता है।अमावस की रात में घर की छत पर दीपक जलाने से मां लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है।
कुल देवता भी खुश होते हैं
अमावस्या की रात्रि को सर्वत्र गहन अंधकार होता है। अमावस्या की गहन अंधेरी रात को घर के मंदिर में भी एक दीपक अवश्य ही जलाएं। इससे हमें अपने इष्ट देवता, कुल देवता और सभी देवताओं की पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। घर धनधान्य से भरा रहता है।
पीपल पर पितरों का वास
पीपल पर देवताओं और पितरों दोनों का वास माना गया है। अमावस्या की रात को पीपल के नीचे एक दीपक अवश्य ही जलाना चाहिए। इससे शनि, राहु-केतु का प्रकोप शान्त होता है। कुंडली के ग्रहों के शुभ फल मिलते हैं। पितरों की भी पूर्ण कृपा मिलती है। यदि पीपल का पेड़ किसी मंदिर में हो तो और भी उत्तम है।