Agra News: 43% accidents on the expressway from 12 pm to 6 am…know the full details…#agranews
आगरालीक्स…आगरा—लखनऊ एक्सप्रेस वे हो या फिर यमुना एक्सप्रेस वे. आए दिन दर्दनाक हादसे हो रहे हैं. इन छह घंटों में सबसे ज्यादा एक्सीडेंट. तीन उपाय अपनाने से रुक सकते हैं हादसे. सीएम से भी की मांग
- एक्सप्रेसवे पर रात्रि 1 से 4 बजे तक वाहनों का प्रवेश हो निषिद्ध
- एक्सप्रेसवे पर चालानों की संख्या से ही लगेगी हादसों पर रोक
- गति सीमा नियंत्रण की जिम्मेदारी हो एक्सप्रेसवे के टोल कलेक्टर की
एडीएफ ने की सीएम से मांग
165 किलोमीटर लम्बा यमुना एक्सप्रेसवे और 302 किलोमीटर लम्बा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर एक के बाद एक ह्नदयविदारक सड़क हादसे हो रहे हैं। तेज गति इसके मुख्य कारण हैं जिसको लेकर आगरा डवलपमेन्ट फाउन्डेशन (एडीएफ) के सचिव व वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की कि हमें एक्सप्रेसवे पर हादसों की गति पर रोक लगानी है तो रात्रि में भी 1 बजे से 4 बजे तक वाहनों के आवागमन पर रोक लगनी चाहिए जो कि इसी समय पर रात्रि में अधिकांश हादसे एक्सप्रेसवे पर होते हैं।

रात को 12 बजे से सुबह छह बजे तक सबसे ज्यादा हादसे
आईआईटी (दिल्ली) द्वारा यमुना एक्सप्रेसवे की रोड सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट 29 अप्रैल 2019 में दी थी जिसमें 2012 से लेकर 2018 तक के एक्सप्रेसवे के हादसों के समय का विश्लेषण करने पर यह पाया गया कि सांय 6 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक 21 प्रतिशत और रात्रि 12 बजे से लेकर प्रातः 6 बजे तक 43 प्रतिशत हादसे होते हैं और प्रातः 6 बजे से लेकर सांय 6 बजे तक 36 प्रतिशत हादसे होते हैं। इस प्रकार सांय 6 बजे से लेकर प्रातः 6 बजे तक 64 प्रतिशत हादसे एक्सप्रेसवे पर हो जाते हैं और इसमें भी मुख्य रूप से यह हादसे रात्रि 12 बजे से 6 बजे तक होते हैं।
आईआईटी दिल्ली के इस निष्कर्ष का उल्लेख कर जैन द्वारा यह भी मांग की गयी कि रात्रि में 1 बजे से लेकर 4 बजे तक एक्सप्रेसवे पर किसी भी वाहन का आवागमन पूरे वर्ष नहीं होना चाहिए। ऐसे समय पर वाहन चालक भी थका होता है और झपकी लग जाने से हादसा हो जाता है। 100 किलोमीटर की गति से यदि वाहन चल रहा हो तो एक सैकेण्ड के समय में वाहन 28 मीटर आगे बढ़ जाता है। पल भर का झौंका तेज चल रहे वाहन को कहीं का कहीं पहुंचा देता है और नतीजा हादसा होता है।
आईआईटी दिल्ली की ऑडिट रिपोर्ट में गति सीमा नियन्त्रण करने के लिए यह भी संस्तुति की गयी है कि एक टोल प्लाजा से अगले टोल प्लाजा के बीच की दूरी में जितना समय वाहन ने लगाया उसके आधार पर उसकी गति की गणना करनी चाहिए और यदि निर्धारित गति सीमा से अधिक गति पायी जाये तो चालान किया जाना चाहिए क्योंकि वाहन चालक चालान से बचने के लिए कैमरा आने से पहले प्रायः अपनी गति कम कर देते हैं और उस चालाकी के कारण उनका चालान होने से बच जाता है। कैमरों की संख्या भी बढ़नी चाहिए और अलग-अलग लोकेशन पर कैमरों के द्वारा गति सीमा को चैक करना चाहिए।
यमुना एक्सप्रेसवे एवं आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे पर चार पहिया यात्री वाहन प्रायः 120 से 125 किलोमीटर प्रति घण्टे की रफ्तार से चलते हैं जबकि निर्धारित गति 100 किमी प्रति घण्टा है। बी0एम0डब्लू, मर्सिडीज, ऑडी व अन्य लग्जरी वाहन की गति तो 150 किलोमीटर से उपर रहती है। एक्सप्रेसवे पर लगे हुए स्पीड केमरों को देखकर वाहन चालक गति को कम कर लेते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि जगह-जगह पर इन्टरसेप्टर केमरे लगाये जायें जो दिखायी न देें और गति सीमा को रिकॉर्ड कर सकें जिसके आधार पर ई-चालान हों। गति सीमा उल्लंघन के चालानों की संख्या काफी कम है। जब तक अधिक से अधिक चालान नहीं होंगे वाहन चालक तेज गति से चलने के अपने आकर्षण को नियंत्रित नहीं कर सकेंगे और जानलेवा सड़क हादसे होते रहेंगे। गति सीमा उल्लंघन के सम्बन्ध में कार्य एक्सप्रेसवे के टोल कलेक्टर एजेन्सी को देना चाहिए क्योंकि ट्रेफिक पुलिस कर्मियों की कमी है और इस कारण चालान नहीं हो पाते हैं। सभी ई-चालान ही होने चाहिए और येड़ा व यूपीडा द्वारा समय-समय पर हादसों और चालान के आंकड़े प्रेस में देने चाहिए ताकि वाहन चालकों तेज चलने के खतरों से रूबरू हो सके।
प्रदेश में अनेकों नये एक्सप्रेसवे निर्माणाधीन हैं। 296 किलोमीटर लम्बा बुन्देलखण्ड एक्सप्रेसवे, 594 किलोमीटर लम्बा गंगा एक्सप्रेसवे 340 किलोमीटर लम्बा पूर्वांचल एक्सप्रेसवे बन रहे हैं। यदि हादसों को रोकने के लिए प्रभावी व्यवस्थाऐं नहीं की गयी तो सभी एक्सप्रेसवे सड़क हादसों के लिए जाने जायेंगे। एडीएफ की ओर से यह आशा की गयी कि शासन द्वारा इस सम्बन्ध में पहल की जायेगी और बहुमूल्य मानव जीवन बचाया जा सकेगा।