आगरालीक्स…हिन्दी को विश्व में पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं प्रवासी साहित्यकार. विवि में “विश्व पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य” पर संगोष्ठी का समापन
कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिंदी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ, डॉ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा; कथा (यू.के.) लंदन; अखिल विश्व हिंदी समिति, कनाडा; हिंदी वैश्विक संस्थान, नीदरलैंड्स; एवं केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वावधान में “विश्व पटल पर हिंदी भाषा और साहित्य” विषय पर दो दिवसीय अंतरविषयी अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का अकादमिक एवं समापन सत्र रहा।
संगोष्टि के द्वितीय दिन में विभिन्न अकादमिक सत्रों का आयोजन संपन्न हुआ। विषय “हिंदी का वैश्विक परिदृश्य” अकादमिक सत्र 03 का आयोजन गोल्डन जुबली हॉल में किया गया। सत्र के अध्यक्ष थे डॉ. बनवारी लाल जाजोदिया वरिष्ठ साहित्यकार, इंदौर और सारस्वत अतिथि थे प्रो. अनुराग शुक्ल प्राचार्य, आगरा कॉलेज, आगरा से।
विशिष्ट अतिथि थी डॉ. इंदिरा गाजिएवा, रूसी राजकीय मानविकी विश्वविद्यालय रशिया, डॉ. लक्ष्मी झमन महात्मा गांधी संस्थान, मोका मॉरीशस, एवं प्रो. पी.बी. वनिता डीन श्री कन्यका परमेश्वरी, कला एवं विज्ञान महिला महाविद्यालय, चेन्नई। इसी सत्र के आमंत्रित वक्तागण रहे डॉ. जवाहर कर्णावट, वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रबंध संपादक ‘अक्षरा’ मासिक, भोपाल, प्रो. सुनीता रानी घोष अध्यक्ष, हिंदी विभाग आगरा कॉलेज, आगरा, डॉ. कमलेश कुमारी हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय महेंद्रगढ़ और डॉ. मधु विनय, श्री कन्यका परमेश्वरी कला एवं विज्ञान महिला महाविद्यालय, चेन्नई से। उक्त विषय पर उपस्थित विद्वानों ने अपने विचार प्रस्तुत किये।
अकादमिक सत्र 04 का विषय था “वैश्विक स्तर पर हिंदी के प्रचार-प्रसार में प्रवासी साहित्यकारों की भूमिका”। इस सत्र का आयोजन सूर कक्ष, के.एम.आई. में हुआ जिसके अध्यक्ष थे आगरा के साहित्यकार प्रो. हरिमोहन जी। मुख्य वक्त्ता थी वरिष्ठ साहित्यकार, अमेरिका (ऑनलाइन) से श्रीमती अनिल प्रभा कुमार। विशिष्ट अतिथिगण थे प्रो. विजय श्रीवास्तव, प्राचार्य, आर.बी.एस. कॉलेज, आगरा, प्रो. पठान रहीम खान, मौलाना आजाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी हैदराबाद से, और डॉ. रेखा पतसरिया सेवानिवृत्त अध्यक्ष, हिंदी विभाग आगरा कॉलेज, आगरा से। सत्र के आमंत्रित वक्तागण थे प्रो. गुंजन, वैकुंठी देवी कन्या महाविद्यालय, आगरा, कश्मीर की साहित्यकार डॉ. मुक्ति शर्मा और डॉ. पुष्पा सिंह मार्चरिटा महाविद्यालय, आसाम से।
अकादमिक सत्र 05 का विषय था प्रवासी भारतीय समाज और हिंदी। जिसके अध्यक्ष थे प्रो. विमलेश कांति वर्मा, प्रवासी भारतीय साहित्य विशेषज्ञ एवं फीजी स्थित भारतीय दूतावास में पूर्व भारतीय राजनयिक। सारस्वत अतिथि थे प्रो. अश्वनी श्रीवास्तव, सेवानिवृत्त आचार्य, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (विजिटिंग प्रोफेसर: वेनिस विश्वविद्यालय, इटली एवं ओसाका विश्वविद्यालय, जापान)। आमंत्रित वक्तागण रहे डॉ. तनुजा पदारथ, व्याख्याता, महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस, डॉ. भावना सक्सेना सहायक निदेशक, राजभाषा विभाग, गृह मंत्रालय, भारत सरकार, सुनंदा वर्मा, सिंगापुर, वरिष्ठ पत्रकार एवं महत्वपूर्ण प्रवासी ग्रंथों की लेखिका, प्रो. ज्योति शर्मा, शिवाजी कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय (विजिटिंग प्रोफेसर : स्विट्जरलैंड), और दीप्ति अग्रवाल।
अकादमिक सत्र 06 का विषय था “हिंदी के विकास में संलग्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संस्थाएँ” जिसका आयोजन सूर कक्ष, के.एम.आई. में किया गया। सत्र के अध्यक्ष थी पद्मश्री सम्मानित आगरा से वरिष्ठ साहित्यकार प्रो. उषा यादव और सारस्वत अतिथि थी प्रो. उल्फ़त मुहीबोवा, ताशकन्द राजकीय प्राच्य विद्या संस्थान, उज़्बेकिस्तान से। इसी सत्र के विशिष्ट अतिथिगण थे श्रीमती जय वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार, नाटिंघम, लंदन, डॉ. टी. मोहनाश्री प्राचार्य, श्री कन्यका परमेश्वरी कला एवं विज्ञान महिला महाविद्यालय, चेन्नई से और प्रो. हाशमबेग मिर्जा, बाबासाहेब आंबेडकर मराठवाड़ा विश्विद्यालय, औरंगाबाद से। आमंत्रित वक्तागण की सूची में थी जम्मू से कवयित्री डॉ. सुनीता भड़वाल, प्रो. युवराज सिंह, अध्यक्ष, हिंदी विभाग, आर.बी.एस. कॉलेज, आगरा से, भारत ऑस्ट्रेलिया साहित्य सेतु के संस्थापक श्री अनिल शर्मा, और नागरी लिपि परिषद, नई दिल्ली के महासचिव डॉ हरिसिंह पाल।
दो दिवसीय संगोष्टि का समापन आयोजन गोल्डन जुबली हॉल में माननीय कुलपति प्रो. आशु रानी जी के अध्यक्षता में हुआ। समापन सत्र के मुख्य अतिथि रहे अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल, मध्य प्रदेश के कुलपति प्रो. खेमसिंह डहेरिया। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो आशु रानी जी ने हिंदी के छात्रों और शोधार्थीयो से कहा कि आप सभी इस दो दिवसीय संगोष्टि से अधिक से अधिक ज्ञान लें और विश्व में हमारे भारत, हिंदी और विश्विद्यालय का परचम लहराये।
आगरा कॉलेज की प्रो शेफाली चतुर्वेदी ने “प्रवासी पीड़ा के सजग चितेरे पं. बनारसीदास चतुर्वेदी” जी पर विषय प्रवर्तन किया। पद्म भूषण सम्मानित पं. बनारसीदास चतुर्वेदी जी का भावपूर्ण स्मरण करते हुए बताया कि कैसे पंडित जी ने फ़िजी में बसे भारतीय मजदूर प्रवासियों की आर्थिक एवं सामाजिक समस्याओं पर सरकार का ध्यान केंद्रित कराया और उनके अधिकारों के लिये निरंतर प्रयास करते रहे।
इसी सत्र के सारस्वत अतिथि थी अमेरिका की वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती अनिता कपूर और मुख्य वक्ता थी आस्ट्रेलिया की वरिष्ठ साहित्यकार, श्रीमती रीता कौशल। विशिष्ट अतिथिगण थे धर्म स्थापना फाउंडेशन, इंडोनेशिया के अध्यक्ष रस आचार्य डॉ. धर्मयश जी, डॉ. तनुजा पदारथ, महात्मा गांधी संस्थान, मॉरीशस से, डॉ. शैलजा सक्सेना, साहित्यकार एवं सह-संस्थापिका हिन्दी राइटर्स गिल्ड, कैनेडा से, श्रीमती जय वर्मा वरिष्ठ साहित्यकार, नाटिंघम, लंदन से, श्री भगवान प्रसाद, हिंदी अनुरागी, नीदरलैंड्स से और आगरा के वरिष्ठ बालरोग चिकित्सक डॉ. निखिल चतुर्वेदी। इन सभी ने अपने अपने विचार प्रकट किये। इसी क्रम में लंदन के वरिष्ठ कथाकार श्री तेजेन्द्र शर्मा जी ने शीर्षक “शवयात्रा” कहानी पाठन किया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ नितिन सेठी द्वारा प्रस्तुत किया गया।आयोजन में इंडियन बैंक, आगरा विश्वविद्यालय शाखा के मुख्य प्रबंधक श्री रोबिन कोचर उपस्थित थे। संगोष्ठी के समापन सत्र में विश्वविद्यालय के शिक्षकगण, छात्र-छत्राओं के अतिरिक्त विभिन्न देशों, प्रांतो, और शहरों से आये, शिक्षक, शोधार्थी एवं अन्य प्रतिभागी भी शामिल हुए। संस्थान के शिक्षकगणों में डॉ. नीलम यादव, डॉ. रणजीत भारती, डॉ पल्लवी आर्य, डॉ. केशव शर्मा, डॉ. अमित कुमार, डॉ. शालिनी श्रीवास्तव,डॉ. राजेंद्र दवे, डॉ वर्षा रानी, डॉ. प्रदीप वर्मा, डॉ रमा, मोहिनी दयाल, डॉ आदित्य प्रकाश, डॉ. विशाल शर्मा, अनुज गर्ग, डॉ. संदीप शर्मा, कृष्ण कुमार, डॉ संदीप, अंगद, कंचन आदि उपस्थित रहे। समापन सत्र का संचालन डॉ. नितिन सेठी ने किया।