आगरालीक्स…आगरा में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में हुआ महारास और श्रीकृष्ण—रुक्मणि विवाह का वर्णन. भजन व कीर्तन पर झूमे लोग. शास्त्री जी ने कहा—आत्मा का परमात्मा से मिलन है महारास
महारास वो परमानन्द है जिसे प्राप्त करना हर किसी के लिए आसान नहीं। कठिन तपस्या, साधना और भक्ति की कई सीढ़ियां पार करने के बाद आत्मा से परमात्मा का मिलन महारास में जीव को प्रवेश मिलता है। महारास के परमानन्द को प्राप्त करने के लिए तो महादेव भी गोपी बनकर वृन्दावन पहुंचे। विजय नगर स्थित स्पोर्टबज में आयोजित श्रीहरि सत्संग समिति द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में आज कथा व्यास मृदुल कान्त शास्त्री ने महारास व श्रीकृष्ण-रुक्मणी विवाह के कथा सुनाई।
महारास की कथा के साथ भक्तिमय भजन व कीर्तन पर हर भक्त भक्ति के आनन्द में डूबा नजर आया तो वहीं श्रीकृष्ण व रुक्मणी विवाह के साथ श्रीहरि के जयकारों से कथा स्थल गूंज उठा। कथा व्यास मृदुल कान्त शास्त्री ने महारास व लक्ष्मण जी का चरित्र के माध्यम रिश्तों की मर्यादा और पवित्रता को समझाया। कहा कि सीता हरण के बाद राह में मिले आभूषणों को श्रीराम ने लक्ष्मण से पहचानने के लिए कहा तो लक्ष्मण ने उत्तर दिया कि मैंने तो सीता मां के चरणों को ही देखा है। आजकल रिश्तों में तार-तार होती मर्यादा को सम्भाले रखने के लिए लक्ष्मण और भरत जैसे चरित्र से युवाओं को सीख लेने की सलाह दी।
इस अवसर पर मुख्य रूप से राज्य मंत्री राकेश गर्ग, अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, महामंत्री उमेश बंसल, संयोजक संजय गोयल, रमेश मित्तल, संजय मित्तल, भगवानदास बंसल, अनिल अग्रवाल, जितेन्द्र बंसल, उमेश कंसल, मुरारीप्रसाद अग्रवाल, नितेश अग्रवाल, राकेश शरद, प्रमोद अग्रवाल, अंशु अग्रवाल, मधु गोयल, शशि बंसल, मीनू त्यागी आदि उपस्थित थीं।