Agra News: ‘Ek Roti Daan’ campaign started in Agra on Prakash Parv…#agranews
आगरालीक्स…आपके किचन से निकली एक रोटी बनेगी गरीब का निवाला, बच्चे के लंच बाॅक्स में रखें एक एक्सट्रा रोटी, हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट और आरबीएस काॅलेज के गेट पर भी कर सकते हैं ‘एक रोटी दान’
गुरूनानक देव जी ने लगभग 15वीं शताब्दी में लंगर की शुरूआत की थी। उनके प्रकाश पर्व पर आज आगरा में एक ऐसी मुहिम शुरू हुई है जो गरीब का पेट भरेगी, बच्चों के अंदर भलाई का बीज रोपित करेगी और साथ ही इंसान की भावनाओं को अर्थशास्त्र से जोड़ने की ताकत रखती है। इस मुहिम का नाम ‘एक रोटी दान’ रखा गया है, लेकिन एक दूसरे नजरिए से यह इमोशनल इकोनोमिक्स भी है।
आरबीएस काॅलेज में अर्थशास्त्र कीं प्रोफेसर डाॅ. अंजू जैन और हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट एंड कम्यूटर स्टडीज के निदेशक डाॅ. नवीन गुप्ता का मानना है कि इंसान इमोशनल है और यदि हम इस दिशा में अपने चिंतन को बढ़ा लें तो ‘इमोशनल इकोनोमिक्स’ जैसे एक विषय को पैदा कर सकते हैं। इस विषय में भावनाओं और अर्थशास्त्र का मिश्रण है, जिससे हम रोजगार बढ़ाने, भुखमरी मिटाने और मदद से घर चलाने के अवसर पैदा कर सकते हैं। ऐसा ही एक अवसर आज गुरूनानक देव जी के प्रकाश पर्व पर ‘एक रोटी दान’ के रूप में शुरू किया है।
इस मुहिम की शुरूआत हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट और आरबीएस काॅलेज के छात्रों की मदद से की जा रही है और आम नागरिक, महिलाएं, स्कूली बच्चे सब इसका हिस्सा बन सकते हैं। हमें बस करना ये है कि अपने किचन में एक अतिरिक्त रोटी बनानी होगी। काम पर आते-जाते वक्त इस रोटी को हिन्दुस्तान काॅलेज और आरबीएस काॅलेज के गेट पर रखे दान पात्र में डालें। यहां से हमारी संस्था एसओएस के वाॅलेंटियर इन रोटियों को कलेक्ट करके राजा की मंडी स्थित एसओएस भोजनालय पहुंचाएंगे। भोजनालय पर एसओएस द्वारा तैयार होने वाली सब्जी के साथ इस रोटी को महज एक रूपये में थाली में परोसा जाएगा। सब्जी या दाल के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इस तरह अगर कोई चार रोटी लेता है तो चार रूपये में खाना उपलब्ध होगा। रोटी के लिए एक रूपये का शुल्क इसलिए रखा गया है ताकि सम्मान की भावना भी बनी रहे।
इस मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल प्रबंधनों से भी अभी बातचीत की जानी है। स्कूली बच्चे यदि अपने लंच बाॅक्स में एक अतिरिक्त रोटी लाना शुरू कर दें तो ऐसे ही दान पात्र स्कूलों की सहमति से उनके गेट पर भी रखवाए जाएंगे। सरकारी और गैर सरकारी दफ्तरों में भी यदि वे सहमत होते हैं तो इस मुहिम को शुरू किया जा सकता है। लंच बाॅक्स लाने वाले लोग बस एक रोटी दान करें।
डाॅ. अंजू जैन और डाॅ. नवीन गुप्ता कहते हैं कि बहुत ही चिंता की बात है कि आज हमारा देश वैश्विक भुखमरी सूचकांक में और नीचे गिर गया है। 121 देशों की इस सूची में भारत अब 107वें स्थान पर आ गया है। पहले 101वें स्थान पर था। वहीं दूसरी ओर धनी लोगों की संख्या में 11 फीसदी बढ़ोत्तरी भी दर्ज की गई है। यानि कोरोना के बाद गरीब और गरीब हो रहे हैं जबकि अमीर और अमीर। अमीरी और गरीबी की खाई और गहरी हो गई है। भारत के लोगों का अरबपति या खरबपति होना खुशी की बात है लेकिन कोरोना काल में अध्यम और निम्न वर्ग के अधिकतर लोगों की आमंदनी घट गई है। आर्थिक असमानता का बढ़ता स्तर कई तरह के खतरे पैदा कर सकता है। यही वक्त है जब हमें इस बारे में सोचना है। किसी एक को नहीं बल्कि सभी को सोचना है।