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आगरालीक्स…आरबीएस टेक्निकल कॉलेज के बच्चों ने बनाया ऐसा प्रोजेक्ट जिससे पता चलेगी पानी की शुद्धता. इस तरह से काम करेगा यह प्रोजेक्ट, इन छात्रों ने बनाया इसे
पानी हमारा सबसे कीमती प्राकृतिक संसाधन है और इसकी हमारे पास असीमित मात्रा नहीं है। भारत में हर साल लगभग 49 अरब लीटर पानी वर्वाद हो जाता है। और यह अनुमान लगाया गया है कि यदि हमने अभी इसके बारे में कुछ नहीं किया तो 2040 तक मनुष्यों को एंजेल जल की गंभीर कमी से जूझना पड़ेगा। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए आर.बी.एस. इंजीनियरिंग टेक्निकल कैंपस विचपुरी के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के विभाग के छात्र विकास कुमार शर्मा, अंकित त्यागी, आयुष कुलश्रेष्ठ और मोहित वर्मा ने IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) आधारित स्मार्ट वॉटर मीटर और क्वालिटी कंट्रोल सिस्टम का प्रोटोटाइप प्रोजेक्ट तैयार किया।
IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) आधारित स्मार्ट मीटरिंग तकनीक एक उन्नत मीटरिंग बुनियादी ढांचा है जो पानी के उपयोग को सटीक और वास्तविक समय में मापता है और रिकॉर्ड करता है। पारंपरिक जल मीटरों के विपरीत, जिन्हें मैन्युअल रीडिंग की आवश्यकता होती है और मानवीय त्रुटि की संभावना होती है, स्मार्ट मीटर स्वचालित रीडिंग प्रदान करते हैं जो विलिंग और विश्लेषण उद्देश्यों के लिए उपयोगिता कंपनियों को प्रेषित की जाती हैं जिससे वे अपने उपयोग की निगरानी कर सकते हैं और अपनी पानी की खपत की आदतों के बारे में सूचित निर्णय ले सकते हैं। छात्रों ने बताया कि IoT (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) आधारित स्मार्ट जल गुणवत्ता (SWQM) प्रणाली पानी के मापदंडों का पता लगाने के लिए तीन सेंसर जो पानी के प्रवाह, टीडीएस और टर्बिडिटी (मैलापन) को मापते हैं यह तीनों सेंसर आर्डिनो-यूनो micro controller से जुड़े हुए हैं। टीडीएस सेंसर, पानी में कुल घुलित ठोस स्तर का पता लगाता है. यदि टीडीएस सेंसर द्वारा मापा गया मान यदि 50 पीपीएम से कम है एवं 500 पीपीएम से अधिक है तो यह पीने के लिए सुरक्षित नहीं है, टर्विडिटी सेंसर ऐसा उपकरण है जिसके द्वारा गंदगी को मापा जाता है, अगर टर्विडिटी 0.5 एनटीयू (नेफेलोमेट्रिक टर्विडिटी यूनिट) से कम है, पानी साफ माना जाता है।
छात्रों ने प्रोजेक्ट विभागाध्यक्ष डॉ जयकुमार के मार्ग दर्शन में बनाया है, डॉ जयकुमार ने बताया यह प्रोजेक्ट उपभोक्ताओं के लिए जल की शुद्धता, मात्रा, फ्लो रेट, और लागत के बारे में जानकारी प्रदान करता है। प्रोजेक्ट का उद्देश्य पानी की लीकेज को तेजी से खोजना है और वास्तविक समय में डेटा प्रदान करना है, जो जल संरक्षण में मदद करता है। कॉलेज निदेशक प्रो. बीएस कुशवाह बताया गया कि कॉलेज में छात्र-छात्राओं द्वारा पर्यावरण के अनुकूल, बचाने हेतु कई प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा रहा है एवं निदेशक (वित्त एवं प्रशासन) प्रो. पंकज गुप्ता ने इनोवेटिव प्रोजेक्ट के लिए छात्रों की सराहना एवं उनके उज्जवल भविष्य की कामना की। छात्रों के इस प्रोजेक्यू में विभाग के शिक्षक इंजी. उपेंद्र पाल सिंह, इंजी. अनुज शर्मा, इंजी देश दीपक लावानिया ने भी सहयोग प्रदान किया।