आगरालीक्स…आगरा में जमीन वापसी के लिए छठवें दिन भी इनर रिंग रोड पर धरने पर किसान. हाड़ कंपाने वाली ठंड में बुलंद हौसलों के साथ डटे हैं किसान
लखनऊ-यमुना एक्सप्रेस-वे के इनर रिंग रोड पर पंद्रह वर्ष से मुआवजा न मिलने पर अधिग्रहित जमीन वापस करने की मांग को लेकर बीवी-बच्चों संग डेरा जमाए रहनकलां और रायपुर मौजा क्षेत्र के किसानों की उम्मीदें हर रोज अस्ताचलगामी सूरज के साथ अस्त हो रही हैं। लेकिन भोर होने पर कोहरे की चादर ओढ़े मौसम में फिर से उम्मीदों की किरणें चमकने लगती है। सूर्यदेव भी लुकाछिपी का खेल खेल रहे हैं। लेकिन पंचायती लंगर की पंगत और सरकारी लकड़ियों से जल रहे अलावों की ताप पूस की हाड़ कंपाऊ ठंड में मुट्ठियां भींच कर जमीन की जंग में डटे रहने का उन्हें हौसला दे रही है। राजनीतिक व गैर राजनीतिक संगठनों के नेता दिनभर आ-आकर आंदोलन को समर्थन की ताकत देकर चले जाते हैं। पीड़ित किसानों की कहानी सुनकर हर कोई उनके साथ हुई नाइंसाफी पर सहानुभूति दिखाता है। लेकिन लखनऊ और दिल्ली को जाने वाली जिस सड़क पर वह बैठे हैं वहां से अभी तक उम्मीदों को उजाला देने वाला कोई फरमान नहीं आया है।
किसान मुख्यमंत्री से अपनी सीधी बातचीत कराए जाने की मांग पर अब भी अड़े हुए हैं। जिला प्रशासन मनाने के प्रयास में लगातार जुटा है। क्षेत्रीय विधायक भी जल्द से जल्द जमीन वापस कराने का भरोसा देने आए थे। फिलहाल रहनकलां टोल प्लाजा से लगभग ढाई किलो मीटर दूर आगरा विकास प्राधिकरण के इनर रिंग रोड की एक लाइन पर कब्जा कर छह दिन से किसान अपने परिवारों संग धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। विपक्षी दलों के नेता लगातार धरना स्थल पर आकर किसानों की आड़ में सरकार पर भड़ास निकाल रहे हैं। लेकिन किसान इस सब के बीच सिर्फ और सिर्फ अपने परिवार के हितों की चिंता को लेकर फिक्रमंद हैं। वह सुन सब की रहे हैं। लेकिन मन में लक्ष्य प्राप्ति की इच्छाभरी उम्मीद ही है। धरना स्थल पर ठंड में बैठे किसानों के अनुरोध को स्वीकार कर तहसील प्रशासन दूसरे दिन से लगातार अलाव जलाने के लिए सूखी लकड़ियां उपलब्ध करा रहा है। लेखपाल राजकुमार इसकी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।