Agra News : Fiber cooler has won the market, know why it is in highest demand…#agra
आगरालीक्स…आगरा में तीन तरह के कूलर की पूछपरख पर ये वाला नंबर वन, महंगा होते हुए भी इसे ही ले रहे लोग, खरीदने से पहले जान लें खासियत
आगरा में गर्मी का मौसम अपने प्रचंड रूप में हैं। इस भयंकर गर्मी में हम एसी और कूलर का सहारा लेते हैं। हालांकि, एसी सबके बजट में फिट नहीं होता तो बहुत सारे लोग कूलर खरीदने पहुंच रहे हैं। बाजार पर नजर डालें तो यहां तीन तरह के कूलर की पूछपरख है लेकिन सबसे अधिक बिकने वाला कूलर फाइबर बॉडी वाला है। इस कूलर की बाजार में जबरदस्त डिमांड है। आते—जाते दुकानों पर भी सबसे ज्यादा यही नजर आ रहा है। पिछले साल तक सबसे ज्यादा डिमांड में रहने वाले लकड़ी, लोहे और प्लास्टिक बॉडी वाले कूलर जैसे गायब ही हो गए हैं।
बेलनगंज स्थित सीबी बरौलिया एंड कंपनी के जितेंद्र भान बताते हैं कि विशेष एबीएस प्लास्टिक से तैयार किया गया कूलर मजबूत और टिकाऊ भी है। हालांकि अन्य कूलरों की अपेक्षा यह पांच फीसदी महंगा भी है। खास बात यह है कि इस कूलर में अन्य कूलरों के मुकाबले ठंडा करने की क्षमता ज्यादा रहती है। जबकि यह वजन में हल्का है और बिजली भी कम खाता है। 100 लीटर वाला कंपलीट कूलर महज 200 वॉट बिजली ही उपयोग में लेता है जबकि लकड़ी और लोहे की बॉडी में लगे एडजॉस्ट ही 300 वॉट बिजली खर्च करते हैं। इसमें एबीएस प्लास्टिक लगा होने से करंट लगने का खतरा भी कम रहता है। जबकि लोहे के कूलरों में लोग झटके खाते रहते हैं। यानि अन्य की अपेक्षा ये कूलर इस साल सबसे ज्यादा डिमांड में है। इसे खरीदने का एक रीजन यह भी है कि लकड़ी और लोहे के कूलर में आपको विंडो पर एक फिक्ट जगह कूलर के लिए चाहिए होती है जबकि इस कूलर को आप घर के भीतर कहीं भी रख सकते हैं। लोग अपने घरों में डाइनिंग टेबिल के करीब भी इसे खूब लगा रहे हैं।
तीन रेंज में बाजार में उपलब्ध है फाइबर कूलर
आगरा के बाजार में तीन रेंज के कूलर उपलब्ध हैं। बल्केश्वर स्थित एक कारोबारी ने बताया कि 18 इंच का 100 लीटर फाइबर कूलर जिसे हम आम भाषा में चार से छह फीट का कहते हैं बाजार में 13000 से 14000 रूपये की रेंज में उपलब्ध है। लकड़ी या लोहे में यही कूलर 9000 से 10000 की रेंज में आसानी से मिल जाता है। वहीं 15 इंच में यानि तीन से चार फीट 65 लीटर में फाइबर कूलर 10000 से 11000 रूपये की रेंज में उपलब्ध है। लकड़ी या लोहे की बॉडी में यह कूलर और भी कम दामों में मिल जाता है। हालांकि अब यह कूलर लोकली भी बन रहे हैं तो अगर आप कंपनी में नहीं जाते हैं फिर यह आपको और भी कम दामों में मिल जाएंगे।
यह अंतर लोहे और फाइबर बाडी कूलर में
लोहे के कूलर: इनकी बाडी ज्यादा भारी होती है। इसमें अक्सर करंट लगने का डर बना रहता है। आवाज ज्यादा आती है। जंग से बचाने के लिए हर साल रंग रोगन करना अतिरिक्त खर्च बढ़ाता है। एक से दूसरी जगह शिफ्ट करने में भी मेहनत लगती है। जंग से लोहा खराब होता है। परिवहन खर्चीला होता है।
फाइबर के कूलर: इसकी बॉडी वजन में हल्की होती है। करंट लगने का खतरा बेहद कम होता है। इससे जान का जोखिम नहीं रहता है। इसमें सीधे नल से मोटर का पाइप जोड़कर भी पानी भरा जा सकता है। फाइबर बाडी सड़ती, गलती नहीं है। हर साल आइल पेंट करने की चिंता नहीं रहती। इसे बिना अर्थिंग के भी चलाया जा सकता है। परिवहन में सुविधा होती है। इसमें उमस नहीं होती क्योंकि हनीकॉम्ब पैड का इस्तेमाल होत है।