Agra News : Goeldichironomus, the enemy of Taj Mahal, can be destroyed, but how? Read the questions of senior advocate KC Jain and answers of ASI…#agra
आगरालीक्स…ताजमहल के दुश्मन गोल्डीक्रिनोमस को खत्म किया जा सकता है, पर कैसे ? पढ़ें इस खबर में वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन के सवाल और एएसआई के जवाब…
आगरा में गोल्डीक्रिनोमस प्रजाति के कीड़ों की उत्पत्ति का मुख्य कारण यमुना नदी का प्रदूषण है और ये कीड़े यमुना के पानी के प्रदूषण को बताने वाले एक बायो इन्डीकेटर हैं। जब ताज महल के पार्श्व में यमुना के किनारे पर पानी रूक जाता है तो रूके हुए प्रदूषित पानी में इन कीड़ों का प्रजनन होता है। पानी में उपस्थित एल्गी कीड़ों के लिए भोजन का काम करती है। इन कीड़ों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ती है। ये कीड़े झुंड के रूप में ताज महल के मार्बल सतह पर बैठते हैं और मलमूत्र उत्सर्ग करते हैं जिससे हरे/काले धब्बे सतह पर नजर आते हैं। इस बात को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा आगरा ने सूचना अधिकार अधिनियम के अन्तर्गत वरिष्ठ अधिवक्ता केसी जैन को अभी हाल में दिए।
सूचना में यह भी बताया गया कि वर्ष 2015 से लेकर प्रत्येक वर्ष ताजमहल की मार्बल सतह पर कीड़ों के मलमूत्र की वजह से हरे/काले धब्बे संज्ञान में आये हैं। वर्ष 2023 में ताज महल के उत्तरी भाग के कुछ हिस्से की मार्बल सतह पर कीड़ों के कारण हरे/काले धब्बे पड़ गए थे, जिन्हें अक्टूबर, नवम्बर माह में वैज्ञानिक तरीके से साफ किया गया था। ताजमहल के उत्तरी भाग में मार्बल सतह पर कीड़ों की गतिविधि (हरे/काले धब्बे) मुख्यतः बारिश के बाद, सितम्बर व अक्टूबर माह में होता है। कीड़ों की गतिविधि अनुकूल तापमान (28-25 डिग्री सेल्सियस) होने, यमुना नदी में जलस्तर कम होने और किनारों पर पानी रूकने के कारण सबसे ज्यादा दिखाई पड़ती है। बारिश के मौसम में यमुना नदी में पानी का जलस्तर बढ़ जाता है और पानी का बहाव अधिक हो जाता है, जिससे प्रदूषित पानी किनारों पर रूकता नहीं है और कीड़ों का प्रजनन नगण्य हो जाता है।
के.सी. जैन
वरिष्ठ अधिवक्ता सुप्रीम कोर्ट
ताजमहल की दीवारों पर कीड़ों के कारण उत्पन्न हरे/काले धब्बों का अध्ययन कर एक रिपोर्ट विभागीय अधिकारियों को प्रस्तुत की गयी थी, जिसमें कीड़ों की गतिविधियों की रोकथाम के बारे में उपाय सुझाये गए थे। सूचना के साथ भेजी गयी रिपोर्ट दिनांक 27.05.2016 में कीड़ों की समस्या का कारण नदी में जलस्तर कम होने, अत्यधिक रेत एवं गंदगी होने तथा पानी का प्रवाह न होने के कारण नदी के किनारों पर दलदल का बन जाना है तथा नदी में अत्यधिक गंदगी एवं कचरे का होना है। समस्या के निराकरण के लिए समिति द्वारा अन्य सुझावों के अतिरिक्त यह भी सुझाव था कि नदी के किनारों पर दलदल की स्थिति से बचने के लिये नियमित रूप से रेत को हटाया यानि डिसिल्टिंग की जाय।
अधिवक्ता जैन ने बताया कि पूर्व में भी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना दिनांक 02.01.2020 से भी इन कीड़ों के सम्बन्ध में विज्ञान शाखा के तत्कालीन अधीक्षण पुरातत्व रसायनज्ञ डा. एमके भटनागर की एक विस्तृत रिपोर्ट दी थी और उसमें भी डिसिल्टिंग की सिफारिश थी।
अधिवक्ता जैन ने कहा कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की विज्ञान शाखा द्वारा भी डिसिल्टिंग की सिफारिश की गयी थी। सुप्रीम कोर्ट का आदेश दिनांक 22 अप्रैल एक राहत भरा होगा जो इन गोल्डीक्रिनोमस कीड़ों से भी ताजमहल व अन्य स्मारकों को मुक्ति दिला सकेगा लेकिन यमुना की नियमित सफाई और दलदल की स्थिति पैदा न हो इसकी जिम्मेदारी सम्बन्धित विभागों की ही होगी। अधिवक्ता जैन द्वारा उक्त सूचना को भी सुप्रीम कोर्ट के समक्ष डिसिल्टिंग की मांग की मजबूती के लिए रखा गया था।