आगरालीक्स…“जीवन में खुशी कोई संयोग नहीं, एक कला है – जिसे हम सब सीख सकते हैं”…आगरा में रोटरी क्लब ऑफ आगरा की “हैप्पीनेस वर्कशॉप” में डॉ. विशाल सिन्हा ने सिखाए खुश रहने के मनोवैज्ञानिक सूत्र
होटल भावना क्लार्क्स इन में रोटरी क्लब ऑफ आगरा द्वारा आयोजित हैप्पीनेस वर्कशॉप में प्रसिद्ध वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. विशाल सिन्हा ने क्लब सदस्यों को ‘खुश रहने का विज्ञान’ सहज व प्रभावी ढंग से सिखाया। उनके सारगर्भित विचारों ने न केवल उपस्थितजनों को प्रेरित किया, बल्कि उन्हें जीवन की जटिलताओं के बीच भी संतुलन बनाए रखने की एक नई दिशा दी।डॉ. सिन्हा ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि हमारा मस्तिष्क स्वाभाविक रूप से परिस्थितियों को नकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है – यह एक सुरक्षा तंत्र है जो हमें मानसिक रूप से तैयार करता है, परंतु यह हमेशा हमारे हित में नहीं होता। उन्होंने बताया कि यदि हम अपने सोचने के तरीके को बदलें और सकारात्मकता को अपनाएँ, तो मानसिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता में अद्भुत सुधार आ सकता है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में अधिक मल्टीटास्किंग करने में सक्षम होती हैं और उनकी भावनात्मक समझ भी अधिक गहरी होती है। डॉ. सिन्हा ने इस बात पर जोर दिया कि अधिकांश मानसिक तनाव केवल बातचीत से ही हल किए जा सकते हैं। उन्होंने विशेष रूप से माता-पिता को सलाह दी कि जब उनके बच्चे स्कूल से लौटते हैं, तो वे उनके अनुभवों को ध्यान से सुनें – यही संवाद बच्चों में आत्मविश्वास और पारिवारिक जुड़ाव को मजबूत करता है। "खुश रहने के लिए सिर्फ मुस्कुराहट काफी नहीं, संवाद और समझ की आवश्यकता होती है," – डॉ. सिन्हा का यह वाक्य कार्यशाला की आत्मा बन गया।
रोटरी क्लब ऑफ आगरा की अध्यक्ष रोटेरियन नम्रता पणिकर ने कहा, “हम अक्सर अपने लिए खुशी ढूँढते हैं, लेकिन असली संतुष्टि तब मिलती है जब हम दूसरों की खुशियों में भी भागीदार बनते हैं। यह कार्यशाला हमें उसी दिशा में सोचने की प्रेरणा देती है।” क्लब सचिव रोटेरियन इंजीनियर आशीष अग्रवाल व रोटेरियन राजीव लोचन भारद्वाज ने डॉ. सिन्हा से विभिन्न मानसिक चुनौतियों से जूझने और उचित समय पर पेशेवर सलाह लेने के बारे में उपयोगी प्रश्न पूछे।कार्यशाला में मुख्य वक्ता का स्वागत रोटेरियन संजय जैन द्वारा किया गया तथा धन्यवाद ज्ञापन रोटेरियन विवेक मोहन अग्रवाल ने प्रस्तुत किया। आयोजन को सफल बनाने में रोटेरियन डॉ. आलोक मित्तल, उदित बंसल, जीतेन्द्र जैन, गुंजन गिरीश सिंह एवं मनोज आर. कुमार का महत्वपूर्ण योगदान रहा।