आगरालीक्स…आगरा में चल रही श्रीराम कथा में इंटरनेशनल सिंगर अजय याग्ननिक ने अपने भजनों में पिरोईं सुंदरकांड की चौपाइयां…चरित्र निर्माण और परिवार में संतुलन करना सिखाती है रामायण
श्रीराम के उद्घोष और वीर हनुमान के जयकारों के साथ आज श्रीराम कथा में सुन्दर काण्ड का पाठ हुआ। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त गायक अजय याग्निक ने भजनों के साथ सुन्दरकाण्ड की चौपाईयों को ऐसे पिरोया कि हर भक्त भक्ति में झूमने लगा। कुछ भक्त सुन्दरकाण्ड अपने साथ लेकर कथा स्थल पहुंचे, जहां अजय याग्निक से साथ सुन्दरकाण्ड में स्वर से स्वर मिलाया। भक्ति का ऐसा माहौल जहां जहां श्रीराम नाम के तरन खूब लूटे श्रद्धालुओं ने। तू एक बार आजा हनुमान जी की शरण में…, हमुमान डटे रहो आसन पर, जब तक कथा राम की होवे… और केसर तिलक लगाएं मेरे राम जी… जैसे भजनों की भक्ति और सुन्दरकाण्ड के साथ श्रीराम और बजरंग बली की शक्ति मानों पंडाल में भक्तों को आर्शीवाद प्रदान कर रही थी। सुन्दरकाण्ड का आयोजन का संयोजन रविन्द्र सिंह पप्पू व स्वागत विमल सोलंकी ने किया।
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श्री राम कथा कोठी मीना बाजार में
संस्कार पाठशाला भोगीपुरा शाहगंज आगरा के बच्चों द्वारा श्री गणेश पंचरत्न श्री गणेश संकटनाशन स्तोत्र एवं शिव पंचाक्षर स्तोत्र द्वारा पादुका पूजन एवं पोथी पूजन संपन्न हुआ एवं कामद् पीठाधीश्वर श्री महाराज जी द्वारा बच्चों को अपना आशीर्वाद प्रदान किया।
इससे पहले श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि श्रीराम चरित मानस हमें जीवन में संतुलन बनाना और चरित्र निर्माण सिखाती है। परिवार में संतुलन बनाए रखने के लिए अयोध्या काण्ड की विशेष भूमिका है। जिसने अयोध्या काण्ड के मर्म को समझ लिया उसका घर अवश्य ही अयोध्या बन जाएगा। नारी परिवार में संतुलन बनाती है। बशर्ते वह मंथरा नहीं कौशल्या हो। कौशल्या ही थी जिन्होंने तीनों माताओं को समान बताते हुए पुत्र राम को पहले वन जाने की आज्ञा देने वाली मां कैकयी की बात का अनुसरण करने की अनुमति दी। श्री कामतानाथ सेवा समिति द्वारा चित्रकूट धाम (कोठी मीना बाजार) में आयोजित श्रीराम कथा में आज श्री कामदगिरि पीठाधीश्वर श्रीमद् जगतगुरु राम नंदाचार्य स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि त्रेता युग में अयोध्या में केवल एक मंथरा थी, लेकिन आज एक मोहल्ले में 10-10 मंथरा हैं। कहा मंथरा एक कुवृत्ति है, जो खुशियों वाले घर में धकार के बादल लेकर आती है। जो बहकाने वाली भाषा बोले उससे सावधान रहें। घर को अयोध्या बनाना है तो मंथरा नहीं कौशल्या बनो। अपने अंदर प्रतिकूलता में अनुकूलता का साम्राज्य स्थापित करिए। समरसा के धरातल का निर्माण करिए।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सांसद राजकुमार चाहर, आलौकिक उपाध्याय, वात्सल्य उपाध्याय, चिराग उपाध्याय, राजवीर चौधरी, यतेन्द्र चाहर, सुरेश मदेरणा, रामवीर सिंह चाहर, महावीर त्याही, दीनदयाल मित्तल, डॉ. पीके गुप्ता, श्रीराम त्यागी, अवधेष कुमार त्यागी, रामदत्त त्यागी, विनोद त्यागी, मनीष मित्तल, छोटेलाल बंसल, द्वारिका प्रसाद, विष्णुदयाल बंसल आदि उपस्थित थे।
परिवार को तिजोरी की तरह संभाल कर रखो
स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने कहा कि परिवार एक तिजोरी की तरह और उसके सदस्य रत्नों की तरह हैं। अपने परिवार को तिजोरी की तरह सद्विचारों से सम्भाल कर रखो। जीवन को जीयो उसे ढोयो मत। जीवन जीने में गैरजिम्मेदाराना तरीका क नहीं।
श्रीराम कथा में आज लगभग 3000 श्रीराम चरित मानस का किया गया वितरण
श्रीराम कथा में आज श्रीराम चरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कराने के उद्देश्य के साथ लगभग तीन हजार रामचरित मानस की प्रतियों का वितरण भक्तों को किया गया। इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया जा रहा है, जो आगरा में एक अक्टूबर तक चलेगा। पहले दिन कता में लगभग ढी हजार से अधिक हस्ताक्षर किए गए।
धूपबत्ती जलाने से नहीं धर्म और सत्य के मार्ग पर चलन से मिलते हैं भगवान
स्वामी रामस्वरूपाचार्य महाराज ने भक्तों से राजा हरिशचंद्र व रानी तारा की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि मात्र धूपबत्ती और आरती से भगवान नहीं मिलते। भगवन प्राप्ति के लिए सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना पड़ता है। सत्य और धर्म का ममार्ग कठिन है, इसलिए कष्ट मिलने पर भी इस रास्ते को छोड़ो मत। राजा हरिशचंद्र ने पत्नी और पुत्र का त्याग कर दिया परन्तु धर्म और सत्य का मार्ग नहीं छोड़ा। महाभारत का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि यदि गांधारी अपनी कों पर पट्टी नहीं बांधती तो दुर्योधन क्रूर नहीं होता। उसे पिता का न सही माता का संरक्षण तो मिलता। उसने पट्टी खोली भी तो असत्य और अधर्म के स्वरूप दुर्योधन को अमर करने के लिए। कहा अपने जीवन में मोह और अधर्म, सम्पत्ति और पुत्र को नहीं बल्कि सत्य और धर्म को महत्व दें।