आगरालीक्स…गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त जानें. पूजन सामिग्री व पूजन विधि के साथ कथा भी जानें…
src=”https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-8335176789442065″ crossorigin=”anonymous”>कार्तिक शुक्ल पक्ष पड़वा दिन शनिवार विशाखा नक्षत्र आयुष्मान योग किंस्तुघ्न करण के शुभ संयोग 02नबम्वर 2024 को भगवान गोवर्धन की पूजा घर घर होगी। इस दिन बली पूजा, अन्नकूट, मार्ग पाली आदि उत्सव भी संपन्न होते हैं अन्नकूट या गोवर्धन पूजा भगवान श्री कृष्ण के अवतार के बाद द्वापर युग से प्रारंभ हुई जिस स्थान पर गोवर्धन की पूजा करनी हो उस स्थान को धो पोछकर साफ शुद्धकर लें; इसके बाद गाय भैंस के मिश्रित गोबर से भगवान गोवर्धन का सुंदर स्वरूप तैयार कर ले; उसे फूलों सुंदर आकर्षक वस्त्रो गुलाल रंग बिरंगी लाइटों झालरो से सजाएं” ओम नमो भगवते वासुदेवाय नमः” की 5, 7, 9, 11 मालाओ का जाप करें। हवन करे कलश (जल से भरा लोटा) लेकर भगवान गोवर्धन की सात परिक्रमा लगाएं जिसे 7 कोस की परिक्रमा का दर्जा प्राप्त है। कलश परिवार का सबसे बड़ा पुरुष (मुखिया) के हाथ में हो। वह व्यक्ति परिक्रमा के साथ कलश से जल छोड़ता हुआ चले और “मानसी गंगा श्री हरिदेव गिरवर की परिकम्मा दे” भजन गाते हुए प्रभु के नाम से जय घोष लगाते हुए प्रभु को मनाएं इस परि कम्मा में केवल पुरुष ही शामिल होते हैं। इसके बाद प्रभु की आरती भोग प्रसाद बांटा जाता है।
पूजा मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 1 नवंबर को शाम 6 बजकर 16 मिनट से शुरू हो गई है. इस तिथि का समाप8न 2 नवंबर को रात 8 बजकर 21 मिनट पर होगा. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार गोवर्धन पूजा का पर्व 2 नवंबर शनिवार को ही मनाया जाएगा. इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह छह बजे से लेकर 8 बजे तक है. इसके बाद दोपहर 03:23 बजे से लेकर शाम 5 बजकर 35 मिनट के बीच होगा.
पूजा सामग्री आम की लकड़ी, देसी घी, गूगल, लोंग, कलावा, रोली, चावल, हवन सामग्री, मिठाई, खील, बताशे और अन्नकूट भोग प्रसाद
पौराणिक कथा
एक बार श्री कृष्ण जी गोप गोपियों के साथ गाय चराते हुए गोवर्धन पर्वत पहुंचे वहां उन्होंने देखा कि हजारों गोप गोपियाँ गोवर्धन पर्वत के पास 56 प्रकार के भोजन रखकर बड़े उत्साह के साथ नाच गाकर उत्सव मना रहे थे श्री कृष्ण के पूछने पर उन्होंने बताया कि मेघों के स्वामी इंद्र को प्रसन्न करने के लिए प्रतिवर्षयह उत्सव होता है श्री कृष्ण जी बोले यदि देवता प्रत्यक्ष आकर भोग लगाए तब तो इस उत्सव की कुछ कीमत है गोपिया बोली कृष्ण तुम इंद्र की निंदा मत करो उनकी कृपा से ही वर्षा होती है कृष्ण जी बोले की वर्षा तो गोवर्धन पर्वत के कारण होती है हमें केवल गोवर्धन पर्वत की पूजा करनी चाहिए सभी गोपग्वाले अपने अपने घरों से पकवान लाकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे इससे इंद्रदेव कुपित हो गए और मेघो को आज्ञा दी की गोकुल में वर्षा आंधी के रूप में प्रलय आ जाए मेघइंद्र की आज्ञा से मूसलाधार वर्षा करने लगे श्री कृष्ण जी की आज्ञा से सभी ग्वाले अपने गाय बछडो को साथ लेकर गोवर्धन पर्वत पर पहुंच गए श्री कृष्ण नेअपनीकन्नी (कनिष्ठ) उंगली से गोवर्धन पर्वत को सात दिन तक उठाये रखा सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर चल की एक भी बूंद नहीं पड़ी तब ब्रह्मा जी ने इंद्र को समझाया की पृथ्वी पर श्री कृष्ण प्रभु श्री हरि विष्णु ही हैतब इन्द्र को अपनी मूर्खता पर बहुत लज्जित होना पड़ा व माफी मांगने लगे सातवें दिनगोवर्धन पर्वत को नीचे रखकर ब्रज वासियों से कृष्ण कहा कि अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करा करो तब से आज तक लगातार यह पर्व पूरे भारतवर्ष में पूर्ण श्रद्धा विश्वास व धार्मिक आस्था के रूप में आज तक मनाया जा रहा है।
प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य परमपूज्य गुरुदेव पंडित हृदय रंजन शर्मा अध्यक्ष श्री गुरु ज्योतिष शोध संस्थान गुरु रत्न भंडार पुरानी कोतवाली सराफा बाजार अलीगढ़ यूपी व्हाट्सएप नंबर-9756402981,7500048250