आगरालीक्स …( Agra News ) आगरा सहित देश भर में वन्यजीव के साथ अपराध हो रहे हैं। 950 से अधिक पशु प्रजातियों को रेड सूची में डाला गया है। ( Agra News : Prevent Crimes against wildlife)
आगरा में आयोजित कार्यशाला में वन अधिकारियों को वाइल्डलाइफ एसओएस ने वन्यजीव अपराध और अवैध शिकार की रोकथाम पर डाला प्रकाश। कार्यशाला में 50 से अधिक वन विभाग के अधिकारियों ने भाग लिया, जिसमें वन रक्षक, डिप्टी रेंजर, रेंज वन अधिकारी और उप-प्रभागीय अधिकारीयों ने एक साथ भाग लिया। इसका मुख्य उद्देश्य वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 में नवीनतम संशोधनों को बताते हुए वन्यजीव अपराधों को रोकने और दंडित करने के लिए बनाए गए महत्वपूर्ण कानूनों की गहरी समझ प्रदान करना था।
वन्यजीव संरक्षण अधिनियम में हाल के संशोधनों पर एक विस्तृत चर्चा हुई, जिससे उपस्थित लोगों को इन कानूनों को लागू करने में उनकी भूमिकाओं और जिम्मेदारियों के बारे में आवश्यक जानकारी प्राप्त कराई गई। सीएफ, आगरा और डीएफओ आगरा ने वन्यजीव संरक्षण के महत्व और संरक्षण प्रयासों से जुड़े अधिकारों के बारे में मौजूद अधिकारियों को संबोधित किया।
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, श्री बैजूराज एम.वी. ने उपस्थित लोगों के बीच सांपों के बचाव और आगरा में पाए जाने वाले सांपों की प्रजातियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से एक प्रस्तुति दी। उन्होंने विशेष रूप से आगरा और पड़ोसी जिलों में सरीसृपों से जुड़े वन्यजीव अपराध की बढ़ती चिंताओं की ओर भी ध्यान आकर्षित किया।
आगरा सर्कल के वन संरक्षक डॉ. अनिल कुमार पटेल ने कहा, “वन्यजीव संरक्षण कानूनों और अधिकारों में नवीनतम विकास के बारे में जानकारी रखना जमीनी स्तर पर संरक्षण प्रयासों के सफल कार्यनीति का अभिन्न अंग है।”
आदर्श कुमार, प्रभागीय निदेशक, सामाजिक वानिकी प्रभाग, आगरा ने कहा, “यह कार्यशाला वन्यजीव संरक्षण के लिए सामूहिक प्रयासों को मजबूत करने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। यह वन्यजीव अपराध के खिलाफ लड़ाई में नागरिक, समाज और संस्थागत ढांचे के बीच प्रभावी सहयोग के महत्व को रेखांकित करता है।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “भारत में, कई प्रजातियों को अवैध शिकार और तस्करी के खतरों का सामना करना पड़ता है, जिसमें 950 से अधिक पशु प्रजातियों को आई.यू.सी.एन रेड लिस्ट में गंभीर रूप से लुप्तप्राय, लुप्तप्राय या असुरक्षित के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इसलिए, वन्यजीव अपराध को संबोधित करने और संरक्षण प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए वन्यजीव कानूनों के बारे में ज्ञान आवश्यक है।
बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस, ने कहा, “शहरी वातावरण में सरीसृप प्रजातियों को अपना अस्तित्व बनाऐ रखने के लिए गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। सरीसृपों के खिलाफ अपराधों का बढ़ना और इनकी रोकथाम के लिए इन जटिलताओं को समझना महत्वपूर्ण है। कार्यशाला की शुरुआत सर्वोच्च न्यायालय और दिल्ली उच्च न्यायालय के अधिवक्ता सत्यनारायण वशिष्ठ और वन संरक्षक, आईएफएस डॉ. अनिल कुमार पटेल के स्वागत के साथ हुई।