Agra News: Release of the book Tuk Tuk Goes to Hospital by Dr. Rahul Dev and Rajeev Redkar…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में अब जन्मजात विकारों का भी इलाज संभव. डॉक्टर राहुल देव व राजीव रेडकर की पुस्तक टुक टुक गोज टू हॉस्पिटल का विमोचन
जन्मजात विकार से ग्रसित बच्चों के परिजनों को अब परेशान होने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज आधुनिक तरीके से आगरा में संभव है। इस तरह के बच्चों का कब, कैसे और किससे इलाज कराया जाए जैसे सवालों के जवाब देती डॉक्टर राहुल देव और डॉक्टर राजीव रेडकर की पुस्तक टुक टुक गोज टू हॉस्पिटल का अनावरण शनिवार को किया गया। साथ ही गंभीर बीमारी का आपसी समन्वय के साथ किस तरह निदान किया जाए, इस पर सीएमई (कांटीन्यू मेडिकल एजुकेशन ) प्रोग्राम के जरिए चर्चा की गई।
कोर्टयार्ड मैरियट होटल में आयोजित पुस्तक विमोचन पर विशिष्ट अतिथि केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल ने कहा कि जन्मजात शारीरिक विकार से पीड़ितों को उम्र भर दिक्कतों का सामना पड़ता है। उनका शुरुआत में ही निदान हो जाए तो फिर उन्हें इस तरह की परेशानी नहीं झेलनी पड़ेगी। उन्होंने उम्मीद जताई कि ऐसे बच्चों के इलाज में यह बुक मददगार साबित होगी। उन्होंने उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के एमडी नरेंद्र मल्होत्रा की तारीफ की और कहा कि वे इस दिशा में काम कर रहे हैं।
मुख्य अतिथि लीलावती हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर मुंबई के पीडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर राजीव रेडकर ने बाल शल्य चिकित्सा के विभिन्न पहलुओं पर विचार रखे। उन्होंने कहा कि एक्यूट एपेंडिसाइटिस, ब्रान्चियल साइनस और सिस्ट, क्लोआका, डायाफ्रामेटिक हर्निया, एंपीमा, एक्सोम्फालोस और गैस्ट्रो स्काइसिस जैसी समस्याओं का समय पर इलाज से निदान संभव है। उन्होंने बाल शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में नवीनतम तकनीकों और जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया। कहा कि बाल रोग विशेषज्ञों और शल्य चिकित्सकों को नियमित रूप से शिक्षा और प्रशिक्षण कार्यक्रमों में भाग लेना चाहिए है। इस तरह के आयोजनों से जानकारी अपडेट रहती है। सर्वोत्तम इलाज के लिए यह जरूरी भी है।
उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के लेप्रोस्कोपिक एवं रोबोटिक पीडियाट्रिक सर्जन डॉक्टर राहुल देव शर्मा ने पेशेवर चिकित्सकों के बीच बेहतर समन्वय और बाल शल्य चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचारों को साझा करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के प्रयोग से गंभीर से गंभीर बीमारी का इलाज कर मरीजों की जान बचाई जा सकती हैं। इस संदर्भ में उन्होंने कई केसों के उदाहरण पेश किए। उन्होंने बताया कि अभी हाल में उन्होंने पांच घंटे के शिशु का ऑपरेशन किया। बच्चे को जन्मजात रीढ़ की हड्डी का ट्यूमर था। जन्म के समय बच्चे का वजन दो किलोग्राम था, जो कि ट्यूमर के साथ था। सर्जरी कर निकाले गए ट्यूमर का वजन किया गया तो वह एक किलोग्राम का निकला। अगर समय रहते इसकी सर्जरी नहीं की जाती तो, इसका बचना मुश्किल था। आज बच्चा स्वस्थ है। अभी हाल ही में उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में एक अलग तरह का केस आया। उन्होंने बताया कि गर्भ में ही बच्चे की आंतें फट गई थी। बच्चे को पैदा हुए 24 घंटे ही हुए थे, उसकी सर्जरी कर जान बचाई गई। इसी तरह के तमाम केस उन्होंने किए हैं।
मशहूर महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा ने कहा कि आज एक हजार में से छह बच्चे ऐसे पैदा होते हैं जिनमें कुछ न कुछ कमियां होती हैं, जैसे कान के ऊपर गांठ,आंतों की रुकावट, छह अंगुलियां, दिल में छेद, कटा होठ, जीभ के नीचे ततुआ, पेट में गांठ आदि। इन सब बीमारियों का शल्य चिकित्सा से इलाज किया जा सकता है। कुछ बीमारियां जेनेटिक होती हैं, जिनका कोई इलाज नहीं है। इसलिए जरूरी है कि गर्भ के समय ही जल्द से जल्द जांच कर जेनेटिक बीमारियां का पता लगाया जाए। मां के खून की जांच से बीमारी का पता लगाया जा सकता है। इनकी जांच और इलाज उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल में उपलब्ध है। अगर बच्चे में जेनेटिक बीमारी के साथ-साथ अन्य कोई बीमारी भी है, तब तीन माह के अंदर गर्भपात कराया जा सकता है। तीन माह में गर्भपात सुरक्षित है और सरकार से इसकी अनुमति भी है। इलाज न कराने पर महिला और बच्चे दोनों को जिंदगी भर कष्ट झेलना पड़ता है। इस तरह की बीमारियों के इलाज की आगरा में पहली बार 2004 में डॉक्टर नरेंद्र मल्होत्रा और डॉक्टर जयदीप मल्होत्रा ने शुरुआत की।
इस अवसर पर डॉक्टर विशाल गुप्ता, राजीव सिंघल, डॉक्टर संजीव अग्रवाल, डॉक्टर पंकज नगायच, नरेश चंद्र शर्मा, डॉक्टर मानवेंद्र चौहान, डॉक्टर अनूप दीक्षित, डॉक्टर राजेश गुप्ता, योगेश दीक्षित, उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के जीएम राकेश आहूजा उपस्थित थे।