Agra News: Sushil Sarit’s book ‘Abhishapta’ inaugurated in Agra…#agranews
आगरालीक्स…आगरा में सुशील सरित की कृति ‘अभिशप्त’ खंडकाव्य का हुआ लोकार्पण. महाभारत में कर्ण के पात्र के दर्द को बयां करती है यह कृति
भारतीय बैंकर्स क्लब के तत्वावधान में सुशील सरित की सद्य प्रकाशित कृति अभिशप्त खंडकाव्य का लोकार्पण रविवार को डॉ कुलदीप सक्सेना (लखनऊ) एवं श्रीमती विजयलक्ष्मी शर्मा तथा डॉक्टर राजेंद्र मिलन के हाथों संपन्न हुआ। ग्रीन हाउस आगरा में आयोजित इस आयोजन में कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से संजय गुप्त ने किया। स्वागत सुधीर शर्मा( संस्थापक सचिव )ने किया। कृति पर बोलते हुए आकाशवाणी के कार्यक्रम अधिकारी श्रीकृष्ण ने कहा कर्ण एक ऐसा पात्र है जिसके साथ महाभारत में न्याय नहीं हुआ उस पात्र पर तमाम रचनाएं हुई है किंतु सुशील सरित का यह खंडकाव्य कुछ नए प्रयोगों के कारण चर्चा में रहेगा। डॉ शशि गुप्ता के स्वर थे स्वर्णिम सी भोर हुई चंपई सी शाम।

मुख्य अतिथि डॉ कुलदीप नारायण सक्सेना ने सुनाया शकुनी बहन के गेह में क्यों है, आंसू भी संदेह में क्यों है, शुद्ध है तो बस केवल छल है, किंतु मिलावट नेह में क्यों है। इंदल सिंह की रचना थी ‘चिरागों की भांति नभ में जलता है कोई-कोई, किसी को जेठ की तपती दुपहरी है जिंदगी।’ डॉ रमेश आनंद ने व्यंग पढ़ा और दिग्विजय सिंह दीप ने कहा ‘बंजर बने रहने की भीष्म प्रतिज्ञा से पहले कुछ सोचना था’
सुशील सरित ने अपने खंड काव्य चर्चा करते हुए कहा यूं तो महाभारत के पात्र मन पर दस्तक देते रहते हैं किंतु कुंती का पुत्र और पांडवों के भाई होने के बावजूद कर्ण ने जिस पीडा को सहा वैसी पीड़ा किसी और पात्र ने नहीं सही इसी कारण इस बात पर केंद्रित खंडकाव्य लिखने का मन हुआ। डॉ राजेंद्र मिलन ने कहा ‘तुम सुबह हुईं तुम शाम हुईं दोपहर तुम्हारे नाम हुईं’ कुमारी पूजा ने सुनाया ‘फूलों की तरह निखरो खुशबू की तरह बिखरों, छोटी सी रहगुजर है इस जिंदगी की यारों इस रहे गुजर से हंसते मुस्कुराते हुए गुजरो’। संजय गुप्ता शरद गुप्ता चंद्रशेखर शर्मा सुधीर शर्मा आदि ने भी अपनी रचनाएं प्रस्तुत कीं।