आगरालीक्स…काम अपनी जगह सेहत सबसे पहले, मोबाइल ने भले ही रातों की नींद उड़ा दी हो लेकिन आगरा के युवा कम नहीं हैं, ‘डू नॉट डिस्टर्ब’ और ‘बैडटाइम मोड’ को ढाल बनाकर वे अपनी नींद पर वापस नियंत्रण हासिल कर रहे हैं
सिकंदरा के रहने वाले रोहित (बदला नाम) डिजिटल मार्केटिंग से जुड़े हैं। इसी काम की वजह से वे दिन भर फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का यूज करते हैं। उनके काम से जुड़े नोटिफिकेशन्स, फोन कॉल्स वगैरह उन्हें दिन में तो अटेंड करने ही हैं साथ ही रातों की नींद भी खराब करते हैं। पर रोहित नहीं चाहते कि उनके काम की प्रकति के कारण उनकी नींद पूरी न हो और वे अपना स्वास्थ्य खराब कर लें। यही कारण है कि उन्होंने अपने फोन में रात 10 से सुबह 07 बजे तक डू नॉट डिस्टर्ब और बैडटाइम मोड जैसी सेटिंग्स आॅन की हैं।
इसी तरह छीपीटोला के रहने वाले अनुपम (बदला नाम) अपने काम की वजह से मोबाइल फोन पर दिन भर बहुत व्यस्त रहते हैं। उन्होंने भी अपने फोन में यह सेटिंग्स रात 09 से सुबह 06 बजे तक आॅन की हैं। अनुपम का कहना है कि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं तो देर रात 12 बजे तक फोन कॉल्स आते रहेंगे और दो बजे तक भी नोटिफिकेशंस बंद नहीं होंगे। यदि ऐसा होता है तो वे अपनी नींद भी पूरी नहीं कर पाएंगे।
यहां बात केवल राहुल और अनुपम की नहीं है बल्कि आईटी, डिजिटल मीडिया, डिजाइनिंग, साइबर, कॉल सेंटर के प्रोफेशनल्स हजारों की संख्या में हैं जो तकनीक के साथ कदम मिलाकर भी अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हैं। वे गूगल, यूट्यूब और मोबाइल फोन में ही इनबिल्ट फीचर्स का फायदा लेकर अपनी नींद पूरी कर रहे हैं साथ ही कई एप्लीकेशंस और स्मार्ट वाचिज के सहारे हार्ट रेट, वजन, एक्सरसाइज, पल्स जैसी चीजों पर भी निगरानी कर रहे हैं।
इन युवाओं की मानें तो डिजिटल वेलबीइंग एक ऐसा टूल है जिसे स्क्रीन टाइम को कम करने में मदद करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें बेडटाइम मोड दिया गया है। यह फीचर अपने आप ही कॉल्स और नोटिफिकेशन के लिए डू नॉट डिस्टर्ब ऑन कर देता है। साथ ही स्क्रीन को भी ब्लैक और व्हाइट कर देता है। इसके लिए आपको सेटिंग्स पर जाना होगा। फिर डिजिटल वैलबीइंग एंड पैरेंटल कंटोल पर जाकर बैडटाइम को ऑन कर देना होगा। हालांकि हर फोन में यह सेटिंग अलग हिसाब से हो सकती है। इसके अलावा फोन की ब्लू लाइट काफी हानिकारक होती है। यह रोशनी भी नींद न आने का एक बड़ा कारण है। यह रोशनी मेलाटोनिन को ब्लॉक करती है जिससे नींद आती है। इसी कपारण कई फोन में नाइट लाइट फीचर भी आता है। यह ब्लू लाइट को कम करता है। जब यह रोशनी कम हो जाती है तो फोन इस्तेमाल करने के बाद भी नींद आने की संभावना रहती है।