आगरालीक्स…एमबीए, एमसीए छात्रों की कोशिश कोविड में कारोबार गंवाने वालों के लिए स्टार्ट अप बनी, एसओएस टिफिन सर्विस को 50 शहरों तक पहुंचाने में जुटे युवा, दूसरों के लिए बिजनेस कर रहे खड़ा
आगरा में हिन्दुस्तान इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमेंट एंड कंप्यूटर स्टडीज के निदेशक डाॅ. नवीन गुप्ता का मानना है कि मैनेजमेंट में कॅरियर के साथ मानवता की सेवा के अवसर भी छुपे होते हैं। यही वजह है कि उनके सिखाए छात्र इनोवेटिव करते हैं। लाॅकडाउन के दौरान इन छात्र्ाों ने एक्शन रिसर्च के जरिए गरीब आॅटो रिक्शा चालकों के लिए रोजगार के अवसर पैदा किए थे। इस बार भी वे अपनी इनोवेटिव माइंड और मैनेजमेंट फंडों के साथ तमाम गरीब परिवारों को उनका खुद का कारोबार खड़ा करने में मदद कर रहे हैं।
बता दें कि आगरा में सोल्जर्स आॅफ सोसायटी (एसओएस) डाॅ. नवीन गुप्ता और आरबीएस काॅलेज में अर्थशास्त्र कीं प्रोफेसर डाॅ. अंजू गुप्ता द्वारा निर्देशित आॅटो रिक्शा चालकों का एक संगठन है। महज दो आॅटो रिक्शा चालकों से शुरू कर डाॅ. गुप्ता ने इस संगठन को 450 आॅटो रिक्शा चालकों और चार रेलवे स्टेशनों तक पहुंचाया है, जहां इन आॅटो रिक्शा चालकों को अपने पेशे और बाहर से आने वाले पर्यटकों के प्रति ईमानदारी, जरूरतमंदों की मदद की सीख दी जाती है। एचआईएमसीएस के छात्र्ाों और विशेषाधिकार प्राप्त कुछ लोगों की मदद से एक एसओएस भोजनालय राजा की मंडी रेलवे स्टेशन पर भी संचालित किया जा रहा है, जिससे गरीबों को 10 रूपये में भर पेट भोजन कराया जाता है और आॅटो रिक्शा चालकों के परिवारों को रोजगार का अवसर भी मिल गया है। इसी तरह के भोजनालय अब और भी शुरू किए जा रहे हैं। साथ ही डाॅ. गुप्ता की प्रेरणा से एमबीए और एमसीए छात्र्ाों द्वारा यूपी और राजस्थान के कई शहरों में जरूरतमंदों के लिए इसे कारोबार में बदला जा रहा है।
इसके तहत गणेश चतुर्थी के दिन एमएयू के सहयोग से अलीगढ़ में एसओएस टिफिन सर्विस शुरू की गई है। मथुरा, फिरोजाबाद, जयपुर, धौलपुर के साथ ही आगरा में इस सेवा का विस्तार किया जा रहा है। आगरा में एसओएस टिफिन सर्विस चला रहे एमबीए पास आउट मनोहद दास, सेवा विस्तार में सहयोग कर रहीं एमबीए प्रथम वर्ष कीं प्रिया श्रीवास्तव और श्रद्धा मुदगल का कहना है कि इस सेवा का असल मकसद बेहद कम दर पर गरीबों को भोजन उपलब्ध कराना, उन बुजुर्ग दंपतियों को भोजन उपलब्ध कराना है जो उम्र के एक पड़ाव पर आकर खुद के लिए भोजन बनाने व अन्य नित्य क्रियाओं में कठिनाई का सामना करते हैं और उन लोगों को रोजगार प्रदान करना है जिन्होंने कोविड में अपना कारोबार या नौकरियां गंवा दी हैं। एक भोजनालय पर चार लोगों की टीम के हिसाब से शुरू होते ही यह सेवा 250 लोगों के लिए रोजगार बनेगी। इसके बाद लाभार्थी के उपर है कि वो इसे और कितना आगे बढ़ा सकते हैं।
डाॅ. नवीन गुप्ता का कहना है कि अगर परिवार, दोस्तों या मेहमानों को खाना खिलाना आपका जुनून है तो आप आसानी से फूड एंटरप्रेन्योर बन सकते हैं। अच्छे भोजन की आवश्यकता और मांग कभी खत्म नहीं होती।